‘डायरी के पन्ने’ के आधार पर औरतों की शिक्षा और उनके मानवाधिकारों के बारे में ऐन के विचारों को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
ऐन के विचार: ऐन समाज मे स्त्रियों की स्थिति को बहुत अन्याय कहती है। वह उसके कारण जानना चाहती है। वह मानती है कि शारीरिक अक्षमता को बहाना बनाकर पुरुषों ने स्त्रियों को घर में बाँधकर रखा है। इस स्थिति को स्त्रियाँ अब तक सहती आ रही थीं। ऐन इसे बेवकूफी कहती है। वह स्पष्ट कहती है कि आधुनिक समाज में स्थिति बदली है और औरतों ने चेतनाशील होकर हर क्षेत्र में कदम बढ़ाया है। औरतों और कुछ पुरुषों ने इस गलत स्थिति का विरोध किया है। वह स्त्रियों की स्वतंत्रता के साथ उनका सम्मान भी चाहती है। समाज के निर्माण में सभी स्त्रियों का योगदान महत्वपूर्ण मानती है। वह एक पुस्तक ‘मौत के खिलाफ मनुष्य’ के हवाले से स्पष्ट करती है कि प्रसवपीड़ा दुनिया की सबसे बड़ी तकलीफ है। इस तकलीफ को भी झेलकर स्त्री मनुष्य जाति को जीवित रखे हुए है। उसकी इच्छा है कि स्त्रियों के विरोध और असम्मान देने वाले मूल्यों और मनुष्यों की निंदा की जाए। वह स्त्री जीवन के अनुभव को अतुलनीय बताती है। उसके भीतर आगामी भविष्य को लेकर आशा एवं सपने हैं कि अगली सदी में स्थिति बदलेगी। बच्चे पैदा करने वाली स्थिति बदलकर औरतों को ज्यादा सम्मान एवं सराहना प्राप्त होगी। ऐन के ये विचार बहुत सामाजिक एवं प्रभावी चिन्तन का गुण लिए हुए हैं।
ऐन मानवाधिकारों के बारे में भी अपनी आवाज उठाती है। उसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान घटी घोर अमानवीय स्थितियों का कुशलतापूर्वक चित्रण किया है। तब हिटलर की यातनाओं ने यहूदियों का जीवन दूभर बना दिया था।