पढ़ाई-लिखाई के संबंध में ‘जूझ, कहानी के लेखक के पिता के रवैये के विषय में अपने विचार बताइए।
लेखक के पिता चाहते थे कि वह खेती का काम करे। वह उसकी पढ़ाई नहीं होने देना चाहते थे। लेखक खेती के महत्त्व को अच्छी तरह समझ रहा था। वह जानता था कि खेती में पूरा जीवन गँवा देने के बाद भी कुछ लाभ नहीं होगा। खेती का महत्त्व लगातार कम हो रहा था। दादा जी के समय खेती का महत्त्व बहुत अधिक था। पिता के समय में यह महत्व कम हो गया और आज के समय में यह खेती लोगों को गड्ढे में धकेल रही है। लोगों के जीवन को कठिन बना रही है। वह पढ़ना चाहता था, जिससे पैसे कमा सके। बाद में वह कुछ व्यापार आदि भी कर सके।
आधुनिक समाज में एवं किसी भी व्यक्ति के जीवन में शिक्षा के महत्व से इंकार नहीं किया जा सकता है। शिक्षा के महत्त्व को लेखक व दत्ता जी राव दोनों अच्छी तरह जानते हैं। लेखक के पिता के लिए खेती ही सबसे महत्वपूर्ण है जबकि आधुनिक जीवन में खेती का महत्त्व लगातार कम होता जा रहा है। अत: यह सिद्ध होता है कि दत्ता जी राव और लेखक का ही रवैया सही था।