मंत्री नामक मास्टर का चरित्र-चित्रण कीजिए।
मंत्री नामक मास्टर कड़क स्वभाव के थे, परंतु पढ़ने वाले लड़कों के लिए वे बहुत सरल एवं दयालु थे। वे प्राय: छड़ी का उपयोग नहीं करते थे। जब कोई बच्चा शरारत करता तो वे हाथ से गरदन पकड़कर पीठ पर घूँसा लगाते थे। यह दंड मिलने पर बालक हुक भरने लगता था। लड़कों के मन में उनकी दहशत बैठी हुई थी। इसके कारण ऊधम मचाने वाले लडुकों के मन में दहशत बैठी हुई थी। वे पड़ने वाले लडुकों को शाबासी देते थे। यदि उनका एकाध सवाल गलत हो जाता तो वे उसे अपने पास बुलाकर समझा दंते थे। यदि कोई लड़का मूर्खता दिखाता तो उसे वहीं ठोंक देत थे। उनके भय से सभी लड़के घर से पढाई करके आने लगे।