जाति प्रथा के पोषक, जीवन, शारीरिक-सुरक्षा तथा संपत्ति के अधिकार की स्वतंत्रता को तो स्वीकार कर लेंगे, परंतु मनुष्य के लक्षण एवं प्रभावशाली प्रयोग की स्वतंत्रता देने के लिए जल्दी तैयार नहीं होंगे, क्योंकि इस प्रकार की स्वतंत्रता का अर्थ होगा अपना व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता किसी को नहीं है, तो उसका अर्थ उसे ‘दासता’ में जकड़कर रखना होगा, क्योंकि ‘दासता’ केवल कानूनी पराधीनता को ही नहीं कहा जा सकता। ‘दासता’ में वह स्थिति भी सम्मिलित है जिसमें कुछ व्यक्तियों को दूसरे लोगों के द्वारा निर्धारित व्यवहार एवं कर्त्तव्यों का पालन करने के लिए विवश होना पड़ता है। यह स्थिति कानूनी पराधीनता न होने पर भी पाई जा सकती है। उदाहरणार्थ जाति-प्रथा की तरह ऐसे वर्ग होना संभव है, जहाँ कुछ लोगों को अपनी इच्छा के विरुद्ध पेशे अपनाने पड़ते हैं।
A.
लेखक के अनुसार जाति-प्रथा के समर्थक किन अधिकारों को देना मान सकते हैं और किन्हें नहीं?
B.
‘दासता’ के दो लक्षण स्पष्ट कीजिए।
C.
व्यवसाय चुनने की स्वतत्रंता न दिए जाने पर लेखक ने क्या संभावना व्यक्त की है? स्पष्ट कीजिए।
D.
‘जाति-प्रथा की तरह ऐसे वर्ग होना’ से अंबेडकर का क्या आशय है?
A. जाति-प्रथा के समर्थक जीवन, सुरक्षा तथा संपत्ति का अधिकार को देना तो मान सकते हैं, परंतु मनुष्य के लक्षण एवं प्रभावशाली प्रयोग की स्वतंत्रता देने को तैयार नहीं होंगे। |
B. ‘दासता’ शब्द के दो लक्षण हैं-(1) कानूनी पराधीनता, (2) इसमें वह स्थिति भी शामिल है जिसमें कुछ व्यक्तियों को दूसरे लोगों द्वारा निर्धारित व्यवहार और कर्तव्यों का पालन करने के लिए विवश होना पड़ता है। |
C. व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता न दिए जाने पर लेखक ने यह संभावना व्यक्त की है कि समाज उसे अपनी दासता में जकड़ रखना चाहता है। |
D. इसका आशय यह है कि समाज में ऐसे अनेक वर्ग हैं जिन्हें अपनी इच्छा के विरुद्ध के व्यवसाय करने पड़ते हैं। उन्हें योग्य होने पर भी परंपरागत व्यवसाय करने पड़ते हैं। |