साफिया की मनःस्थिति को कहानी में एक विशिष्ट संदर्भ में अलग तरह से स्पष्ट किया गया है। अगर आप साफिया की जगह होते तो क्या आपकी मनःस्थिति भी वैसी ही होती? स्पष्ट कीजिए।
हाँ हमारी मन:स्थिति भी वैसी ही होती जैसी साफिया की थी। साफिया सरकारी कानून के ऊपर इंसानी, मानवीय, प्रेम-प्यार के बंधन को मानती है। अंतत: उसे इसमें सफलता भी मिलती है। हम भी साफिया के समान अपने वायदे को अवश्य पूरा करते। उसके लिए तरह-तरह के उपाय सोचते। हमारे ऊपर भी कभी भावना तो कभी बुद्धि हावी होती।