निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
एक बार वह ‘दंगल’ देखने श्याम नगर मेला गया। पहलवानों की कुश्ती और दाँव-पेंच देखकर उससे नहीं रहा गया। जवानी की मस्ती और ढोल की ललकारती हुई आवाज ने उसकी नसों में बिजली उत्पन्न कर दी। उसने बिना-कुछ सोचे-समझे दंगल में ‘शेर के बच्चे’ को चुनौती दे दी।
‘शेर के बच्चे’ का असल नाम था चाँव सिंह। वह अपने गुरु पहलवान बादल सिंह के साथ, पंजाब से पहले-पहल श्याम नगर मेले में आया था। सुंदर जवान, अंग-प्रत्यंग से सुन्दरता टपक पड़ती थी। तीन दिनों में ही पंजाबी और पठान पहलवानों के गिरोह के अपनी जोड़ी और उप्र के सभी पट्टों को पछाड़कर उसने ‘शेर के बच्चे’ की टायटिल प्राप्त कर ली थी। इसलिए वह दंगल के मैदान में लंगोट लगाकर एक अजीब किलकारी भरकर छोटी दुलकी लगाया करता था। देशी नौजवान पहलवान, उससे लड़ने की कल्पना से भी घबराते थे। अपनी टायटिल को सत्य प्रमाणित करने के लिए ही चाँदसिंह बीच-बीच में दहाड़ता फिरता था।
1. एक बार कौन, कहाँ गया? वहाँ का उस पर क्या प्रभाव पड़ा?
2. किस बात से उत्साहित होकर उसने किसे चुनौती दे डाली?
3. ‘शेर का बच्चा’ कौन था? उसके बारे में बताइए।
4. वह अपने टायटिल को सही प्रमाणित करने के लिए क्या करता था?
1. एक बार लुट्टन पहलवान दंगल देखने श्याम नगर मेला गया। वहाँ उसने पहलवानों की कुश्ती और दाँव-पेंच देखे। इन्हें देखकर उससे रहा नहीं गया।
2. जवानी की मस्ती और ढोल की ललकारती आवाज ने लुट्टन पहलवान की नसों में बिजली उत्पन्न कर दी। उसने बिना सोचे-समझे दंगल में आए अन्य पहलवान ‘शेर के बच्चे’ को चुनौती दे डाली।
3. ‘शेर के बच्चे’ का असली नाम चाँदसिंह था। वह एक पहलवान था। वह अपने गुरु पहलवान बादलसिंह के साथ पंजाब से आया था। वह पहली बार श्याम नगर आया था। वह सुन्दर और जवान था। उसने कई पंजाबी और पठान पहलवानों को पछाड़कर ‘शेर के बच्चे’ की उपाधि प्राप्त की थी।
4. चाँद पहलवान दंगल के मैदान में लंगोट लगाकर एक अजीब किलकारी भरकर छोटी दुलकी लगाया करता था। वह अपनी टायटिल को सत्य प्रमाणित करने के लिए बीच-बीच में दहाड़ता रहता था।