निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
“वहीं दफना वे, बहादुर!” बादल सिंह अपने शिष्य को उत्साहित कर रहा था।
लुट्टन की आँखें बाहर निकल रही थीं। उसकी छाती फटने-फटने को हो रही थी। राजमत, बहुमत चाँद के पक्ष में था। सभी चाँद को शाबाशी दे रहे थे। गन के पक्ष में सिर्फ ढोल की आवाज थी, जिसके ताल पर वह अपनी शक्ति और दाँव-पेंच की परीक्षा ले रहा था-अपनी हिम्मत को बढ़ा रहा था। अचानक ढोल की एक पतली आवाज सुनाई पड़ी- ‘धाक-धिना, तिरकट-तिना, धाक-धिना, तिरकट-तिना..!!’
कुछन को स्पष्ट सुनाई पड़ा, ढोल कह रहा था-”दाँव काटो, बाहर हो जा दाँव काटो, बाहर हो जा!!”
लोगों के आश्चर्य की सीमा नहीं रही, लुट्टन दाँव काटकर बाहर निकला और तुरन्त लपककर उसने चाँद की गर्दन पकड़ ली।
“वाह रे मिट्टी के शेर!”
1. बादलसिंह ने किससे. किसके लिए क्या कहा?
2. लुट्टन की क्या दशा हो रही थी?
3. लुट्टन को ढोल की क्या आवाज सुनाई दी और उसने उसका क्या अर्थ लिया?
4. लोगों को किस बात पर आश्चर्य हुआ?
1. बादलसिंह ने अपने शिष्य चाँदसिंह (शेर का बच्चा) से कहा कि वह लुट्टन को कुश्ती में वहीं दफना दे अर्थात् बुरी तरह पराजित कर दे l
2. लुट्टन की आँखें बाहर निकल रही थीं। उसकी छाती फटने को हो रही थी। उस समय सभी लोग चाँद के पक्ष में थे। वे उसी को शाबासी दे रहे थे।
3. लुट्टन ने ढोल पर एक पतली आवाज सुनी-’धाक-धिना, तिरकट-तिना धाक-धिना, तिरकट तिना’। लुट्टन ने ढोल की इस आवाज का यह अर्थ लिया-’दाँव काटो, बाहर हो जा, दाँव काटो बाहर हो जा।’
4. लुट्टन ने ढोल की आवाज के मुताबिक किया और दाँव काटकर चाँद की गर्दन पकड़ ली। लोगों को यह दृश्य देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि उन्हें ऐसी उम्मीद न थी।