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फणीश्वर नाथ रेणु

Question
CBSEENHN12026578

कहानी के किस-किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए?

Solution

लुट्टन जब नौ वर्ष का था तभी उसके पिता चल बसे थे। सौभाग्यवश उसकी शादी हो चुकी थी। उसका पालन-पोषण विधवा सास ने किया। बचपन में वह गाय चराता तथा गाय का ताजा दूध पीता था और कसरत करता था। लुट्टन के जीवन में कसरत की धुन सवार होने का भी एक कारण था। गाँव के लोग उसकी सास को तकलीफ दिया करते थे। उन लोगों से बदला लेने के लिए ही वह कसरत की ओर मुड़ा ताकि शरीर को मजबूत बना सके। गाँव में उसे पहलवान समझा जाने लगा।

उसके जीवन में अगला दौर तब शुरू हुआ जब उसने श्याम नगर के मेले में दंगल में पंजाब से आए ‘शेर के बच्चे’ चाँद पहलवान को धरती सुँघा दी। तब उसे राजदरबार का पहलवान बना दिया गया। फिर वह राजदरबार का दर्शनीय ‘जीव’ हो गया। उसने अनेक नामी पहलवानों को हरा दिया।

लुट्टन के जीवन के उत्तरार्द्ध में उसके बेटे भी पहलवानी के क्षेत्र में उतरे। वे भी राजदरबार में स्थान पा गए। लुट्टन उन्हें कुश्ती के दाँव-पेंच सिखाने लगा।

लुट्टन के जीवन का अंतिम भाग कष्टपूर्ण रहा। बूढ़े राजा के मरने पर राजकुमार ने दरबार से उसकी छुट्टी कर दी। अब उसे खाने के भी लाले पड़ गए। तभी गाँव में फैली महामारी ने उसके बेटों को लील लिया। वह उन्हें अपने कंधों पर लादकर नदी में बहा आया। इसके चार-पाँच दिन बाद उसने भी दम तोड़ दिया। सियारों ने उसकी जाँघ का माँस तक खा लिया था।

Some More Questions From फणीश्वर नाथ रेणु Chapter

रात्रि की विभीषिका को सिर्फ पहलवान की ढोलक ही ललकार कर चुनौती देती रहती थी। पहलवान संध्या से सुबह तक, चाहे जिस ख्याल से ढोलक बजाता हो किंतु गाँव के अर्द्धमृत, औषधि-उपचार-पथ्य-विहीन प्राणियों में वह संजीवनी शक्ति ही भरती थी। बढ़े-बच्चे-जवानों की शक्तिहीन आँखों के आगे दंगल का दृश्य नाचने लगता था। स्पंदन-शक्ति-शून्य स्नायुओं में भी बिजली दौड़ जाती थी। अवश्य ही ढोलक की आवाज में न तो बुखार हटाने का कोई गुण था और न महामारी की सर्वनाश शक्ति को रोकने की शक्ति ही, पर इसमें संदेह नहीं कि मरते हुए प्राणियों को आँख मूँदते समय कोई तकलीफ नहीं होती थी, मृत्यु से वे डरते नहीं थे।

कुश्ती के समय ढोल की आवाज़ और लुट्टन के दाँव-पेंच में क्या तालमेल था? पाठ में आए ध्वन्यात्मक शब्द और ढोल की आवाज़ आपके मन में कैसी ध्वनि पैदा करते हैं, उन्हें शब्द दीजिए।

कहानी के किस-किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए?

लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है?

गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान ढोल क्यों बजाता रहा?

ढोलक की आवाज़ का पूरे गाँव पर क्या असर होता था?

महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था?

कुश्ती या दंगल पहले लोगों और राजाओं का प्रिय शौक हुआ करता था। पहलवानों को राजा एवं लोगों के द्वारा विशेष सम्मान दिया जाता था।

(क) ऐसी स्थिति अब क्यों नहीं है?

(ख) इसकी जगह अब किन खेलों ने ले ली है?

(ग) कुश्ती को फिर से प्रिय खेल बनाने के लिए क्या-क्या कार्य किए जा सकते हैं?

आशय स्पष्ट करें-
आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे।

पाठ में अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। पाठ में से ऐसे अंश चुनिए और उनका आशय स्पष्ट कीजिए।