आशय स्पष्ट करें-
आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे।
इसमें रात्रिकालीन प्रकृति का चित्रण है। अमावस्या की काली ठंडी रात है। आकाश में तारे चमक रहे थे पर धरती पर कहीं रोशनी न थी। आकाश का कोई तारा चाहकर भी पृथ्वी तक नहीं आ पाता था क्योंकि उसकी रोशनी और ताकत रास्ते में ही समाप्त हो जाती थी। अन्य तारे उसके इस प्रयास का मजाक उड़ाते थे।



