निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
उनका आशय था कि यह पत्नी की महिमा है। उसकी महिमा का मैं कायल हूँ। आदिकाल से इस विषय में पति से पत्नी की ही प्रमुखता प्रमाणित है और यह व्यक्तित्व का प्रश्न नहीं, स्त्रीत्व का प्रश्न है। स्त्री माया न जोड़े, तो क्या मैं जोड़े? फिर भी सच-सच है और वह यह कि इस बात में पत्नी की ओट ली जाती है। मूल में एक और तत्त्व की महिमा सविशेष है। वह तत्त्व है मनीबेग, अर्थात् पैसे की गरमी या एनर्जी।
पैसा पावर है। पर उसके सबूत में आस-पास माल-टाल न जमा हो तो क्या वह खाक पावर है! पैसे को देखने के लिए बैंक-हिसाब देखिए, पर माल-असबाब मकान-कोठी तो अनदेखे भी दीखते हैं। पैसे की उस ‘पर्चेजिंग पावर’ के प्रयोग में ही पावर का रस है।
1. पाठ तथा लेखक का नाम बताइए।
2. लंबक किसकी महिमा का कायल है?
3. मनीबेग से क्या तात्पर्य है?
4. पैसे के बारे में लेखक क्या कहता है?
1. पाठ का नाम: बाजार दर्शन। लेखक का नाम: जैनेंद्र कुमार।
2. लेखक पत्नी की महिमा का कायल है। प्राचीन काल से ही खरीददारी में पत्नी की भूमिका अहम् होती रही है। इसी महिमा के कारण बाजार का अस्तित्व है।
3. ‘मनीबैग’ से तात्पर्य है-पैसे की गरमी। जब तक व्यक्ति के पास पैसा होता है तब तक वह खरीददारी करता है; वह अपनी जरूरत के बिना भी खरीददारी करता है।
4. पैसे के बारे में लेखक यह कहता है कि पैसा पावर है अर्थात् पैसे में काफी शक्ति है। पैसे की पावर तभी दिखाई देती है जब उससे खरीददारी की जाती है। किसी के बैंक खाते को देखने की बजाय उसके माल-सामान और कोठी (मकान) से उसकी अमीरी का पता चल जाता है।