निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया निःशेष;
शब्द के अंकुर फूटे
पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।
1. उपर्युक्त पंक्तियों में प्रयुक्त रूपक स्पष्ट कीजिए?
2. भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
3. शिल्प-सौदंर्य पर प्रकाश डालिए।
1. उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों में रूपक के माध्यम से दो-दो अर्थ साथ-साथ चलते हैं। एक बीज के अंकुरण एवं पल्लवित-पुष्पित होने का अर्थ तथा दूसरा विचारों का रचना-रूप ग्रहण करना और अभिव्यक्ति का माध्यम बनना।
2. हृदय का विचार कल्पना का आश्रय लेकर शब्द के रूप में प्रस्फुटित होता है और विकसित होकर सुंदर रचना का रूप धारण कर लेता है। इस प्रक्रिया में कवि स्वयं विगलित हो जाता है।
3. शिल्प-सौंदर्य:
- रूपक अलंकार का प्रयोग है।
- ‘पल्लव पुष्पों’ में अनुप्रास अलंकार है।
- प्रतीकात्मकता का समावेश है।
- तत्सम शब्दावली का प्रयोग है।