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मियाँ नसीरुद्दीन

Question
CBSEENHN11012224

‘प्रेम बेलि’ के रूपक को स्पष्ट कीजिए।

Solution

बेल को बोना पड़ता है, उसे सींचना पड़ता है, तभी उस पर फल आता है। वह फल मधुर और आनंद देने वाला होता है। इसी प्रकार प्रेम में अनेक कष्ट सहन करने पड़ते हैं। प्रिय के तड़प में आँसू बहाने पड़ते हैं, तब जाकर कहीं साधना पूरी होती है। प्रिय के दर्शन होते हैं। इसके फलस्वरूप सच्चा आनंद प्राप्त होता है। इस प्रकार ‘प्रेम-बेलि’ का रूपक स्पष्ट है।

Some More Questions From मियाँ नसीरुद्दीन Chapter

मियां नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा गया है?

लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं?

बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी?

मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देख यह मजमून न छेड़ने का फैसला किया- इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए।

पाठ में मियां नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखक ने कैसे खींचा है?

मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं?

तालीम की तालीम ही बड़ी चीज होती है-यहाँ लेखक ने तालीम शब्द का दो बार प्रयोग क्यों किया है ? क्या आप दूसरी बार आए तालीम शब्द की जगह कोई अन्य शब्द रख सकते हैं? लिखिए ।

मियां नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं, जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया । वर्तमान समय में प्राय : लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं । ऐसा क्यों? 

मियां, कहीं अखबारनवीस तो नहीं हो? वह तो खोजियों की खुराफात है-अखबार की भूमिका को देखते हुए इस पर टिप्पणी करें ।

‣ पाठ में आए रोटियों के अलग- अलग नामों की सूची बनाएं और इनके बारे में जानकारी प्राप्त करें ।