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मियाँ नसीरुद्दीन

Question
CBSEENHN11012215

लोग कहै, मीरा भइ बावरी, न्यात कहै कुल-नासी - मीरा के बारे में लोग (समाज) और न्यात (कुटुंब) की अलग-अलग धारणाएँ क्यों है?

Solution

लोग (समाज) तो उन्हें बावरी बताते हैं, क्योंकि उन्हें वह कृष्ण-प्रेम में पागल प्रतीत होती हैं। यह मुग्धावस्था का ही एक रूप है। न्यात अर्थात् परिवार जन (कुटुंब) उन्हें कुल का नाश करने वाली मानते हैं। उनके विचार में मीरा ने कुल की मर्यादा को नष्ट कर दिया है। मीरा की वजह से कुल (खानदान) को नीचा देखना पड़ता है।

 

Some More Questions From मियाँ नसीरुद्दीन Chapter

लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं?

बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी?

मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देख यह मजमून न छेड़ने का फैसला किया- इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए।

पाठ में मियां नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखक ने कैसे खींचा है?

मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं?

तालीम की तालीम ही बड़ी चीज होती है-यहाँ लेखक ने तालीम शब्द का दो बार प्रयोग क्यों किया है ? क्या आप दूसरी बार आए तालीम शब्द की जगह कोई अन्य शब्द रख सकते हैं? लिखिए ।

मियां नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं, जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया । वर्तमान समय में प्राय : लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं । ऐसा क्यों? 

मियां, कहीं अखबारनवीस तो नहीं हो? वह तो खोजियों की खुराफात है-अखबार की भूमिका को देखते हुए इस पर टिप्पणी करें ।

‣ पाठ में आए रोटियों के अलग- अलग नामों की सूची बनाएं और इनके बारे में जानकारी प्राप्त करें ।

तीन-चार वाक्यों में अनुकूल प्रसंग तैयार कर नीचे दिए गए वाक्यों का इस्तेमाल करें ।

(क) पंचहजारी अंदाज से सिर हिलाया ।

(ख) आँखों के कंचे हम पर फेर दिए ।

(ग) आ बैठे उन्हीं के ठीये पर ।