निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
पिताजी भोले बहादुर
चख- भुज नवनीत-सा उर।
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि भवानीप्रसाद मिश्र रे खड़ी बोली की छंदमुक्त कविता का प्रयोग किया है। भाषा सरल, सहज और तत्सम शब्दावली युक्त है। ‘व्रज- भुज’ में रूपक और ‘नवनीत-सा उर’ में उपमा अलंकार का प्रयोग है। पिता के स्वभाव का शब्दचित्र अंकित करते हुए कवि ने उन्हें सरल और भोले स्वभाव के बहादुर व्यक्तित्व वाला बताया है। उनकी भुजाएँ व्रज-सी मजबूत हैं, परन्तु हृदय तो मक्खन-सा मुलायम और कोमल है। इस प्रकार कवि के पिता बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी हैं।