कविता के आधार पर कवि के पिता के व्यक्तित्व का शब्दचित्र खींचिए।
कवि भवानीप्रसाद मिश्र ने कविता में पिता को याद करके उनका शब्दचित्र चित्रित किया है। कवि भवानी प्रसाद मिश्र के पिताजी सरल व्यक्तित्व के धनी और बहादुर प्रकृति के व्यक्तित्व हैं। उनकी भुजाएँ व्रज-सी शक्तिशाली हैं, परन्तु उनका हृदय तो मक्खन के समान कोमल है। वे अभी भी भाग-दौड़ सकते हैं और हँसी के ठहाके लगा सकते हैं। अभी भी उन पर वृद्धावस्था का कोई प्रभाव नहीं है। वे शेर से भी नहीं डरते हैं और उनकी आवाज में भारी दम है। वे प्रतिदिन गीता पाठ करते हैं तथा शारीरिक व्यायाम में दो सौ साठ दंड लगाते हैं। उनका हृदय बरगद के वृक्ष की भाँति कोमल और भावुक है। वे किसी का वियोग सहन नहीं कर पाते हैं। वे सभी का विशेष ध्यान रखते हैं। इसलिए कवि उनकी भावुक प्रकृति को समझकर उन्हें कोई कष्ट नहीं देना चाहता। कवि की इच्छा है कि वे सदैव प्रसन्न और सुखी बने रहें। इसीलिए हरे- भरे सावन से उन्हें धीरज देने की बात कहता है। उन्हें सभी संतानें प्रिय हैं इसीलिए किसी को अलग नहीं देख सकते।