भगवद्गीता में क्या कहा गया है? लेखक बचपन को क्या मानता है? वह ऐसा क्यों सोचता है?
भगवद्गीता कहती है,’ जीवन में जो कुछ भी है, “तनाव के कारण है।” बचपन जीवन का पहला चरण, एक जागृति है। लेकिन मेरे जीवन का बंबई वाला दौर भी जागृति का नचरणही था। कई निजी मसले थे, जिन्हें सुलझाना था। मुझे आजीविका कमानी थी। मैं कहूँगा कि पैसा कमाना महत्वपूर्ण होता है, वैसे अंतत: वह महत्वपूर्ण नहीं ही होता। उत्तरदायित्व होते हैं, किराया देना होता है, फीस देनी होती है, अध्ययन करना होता है, काम करना होता है।