गाँव और शहर, दोनों जगहों पर चलने वाले मोहन के जीवन-संघर्ष में क्या फर्क है? चर्चा करें और लिखें।
गाँव में मोहन का जीवन-संघर्ष केवल अच्छी शिक्षा पाने के लिए था। गाँव के स्कूल में वह एक प्रतिभावान् छात्र समझा जाता था। स्कूल और गाँव में उसका सम्मान था। सभी उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते थे।
शहर आकर वह पढ़ाई में निरंतर पिछड़ता चला गया। इसके दो कारण थे-
1 उसे किसी अच्छे स्कूल में भर्ती नहीं कराया गया था।
2. उसे घरेलू कामों में उलझाकर एक घरेलू नौकर बना दिया गया था। अब उसे काम पाने वेन लिए संघर्ष करना पड़ रहा था।