-
Call Us
+91 8076753736 -
Send us an Email
[email protected]
तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
लक्ष्मण को अपना अपमान करते देख-सुनकर परशुराम ने अपने फरसे को सुधार कर हाथ में ले लिया पर गुरु विश्वामित्र के समझाने पर वे मान गए पर परशुराम अपनी वीरता की डींग हाँकने की आदत का फिर से परिचय दे दिया जिसे सुनकर विश्वामित्र मन ही मन मुस्करा दिए कि ये नहीं समझते कि राम-लक्ष्मण सामान्य क्षत्रिय वीर नहीं थे।
Sponsor Area
“सामाजिक जीवन में क्रोध की ज़रूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध न हो तो मनुष्य दूसरे के द्वारा पहुँचाए जाने बाले बहुत से कष्टों की चिर-निवृत्ति का उपाय ही न कर सके।”
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का यह कथन इस बात की पुष्टि करता है कि क्रोध हमेशा नकारात्मक भाव लिए नहीं होता बल्कि कभी-कभी सकारात्मक भी होता है। इसके पक्ष या विपक्ष में अपना मत प्रकट कीजिए।
Sponsor Area