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तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
मेरे एक मित्र हैं- डॉ० सिंगला। उनका नर्सिंग होम मेरे घर से कुछ ही दूरी पर है। उनका घर भी नर्सिंग होम का ही एक हिस्सा है जो उनके रोगियों के लिए बहुत उपयुक्त है। दिन-रात किसी भी आपातकाल में वे उनके पास मिनट में पहुँच सकते हैं। मेरे मित्र बहुत साफ-सुथरे रहते हैं। साफ-सफाई तो उनके हर काम में दिखाई देती है। चमचमाते फर्श, साफ-सुथरी दीवारें, चुस्त कर्मचारी उनके नर्सिंग होम की पहचान है जिसमें डॉ० सिंगला के स्वभाव की पहचान साफ झलकती है। वे मृदुभाषी हैं। उनके रोगियों का आधा रोग तो उनसे बातचीत कर के ही दूर हो जाता है। उन्हें पेड़-पौधों का अच्छा शौंक है। रंग-बिरंगे फूल, झाड़ियाँ और बेलें उनके घर में महकती रहती है। अपने व्यस्त समय में से भी वे कुछ घड़ियां इनके लिए निकाल लेते हैं। वे बहुत मिलन सार हैं। नगर के बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे जो उन्हें जानते-पहचानते न हों। वे अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़ कर समाज सेवा के कार्यो में सहयोग देते रहते हैं। वे सदा सभी के सुख-दुःख में सहायता करने के लिए तैयार रहते हैं। उनका व्यक्तित्व उन्हें जानने-पहचानने वाले सभी लोगों को एक उत्साह-सा प्रदान करता है।
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परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए-
बाल ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही।।
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही।।
सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा।।
मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर।।
लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई?
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