तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद

Question
CBSEENHN10002179

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा। को नहि जान बिदित संसारा।।
माता पितहि उरिन भय नीकें। गुर रिनु रहा सोचु बड़ जी कें।।
सो जनु हमरेहि माथे काढ़ा। दिन चलि गये ब्याज बड़ बाढां।।
अब आनिअ ब्यवहरिआ बोली। तुरत देऊँ मैं थैली खोली।।
सुनि कटु बचन कुठार सुधारा। हाय हाय सब सभा पुकारा।।
भृगुबर परसु देखाबहु मोही। बिप्र विचारि बचौं नृपद्रोही।।
मिले ने कबहूँ सुभट रन गाढ़े। द्विजदेवता घरहि के बाढ़े।।
अनुचित कहि सबु लोगु पुकारे। रघुपति सयनहि लखनु नेवारे।।
        लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोप कृसानु।
        बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु।।

किस काव्य-रस का प्रयोग है?

Solution

वीर रस का प्रयोग है।

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Some More Questions From तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद Chapter

पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।

इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए-
बालकु बोलि बधौं नहि तोही।

निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए-
कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा।

निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए-
तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा।
बार-बार मोहि लागि बोलावा।

निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए-
लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु।
बढ़त देखि जल सम वचन बोले रघुकुलभानु।।

 “सामाजिक जीवन में क्रोध की ज़रूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध न हो तो मनुष्य दूसरे के द्वारा पहुँचाए जाने बाले बहुत से कष्टों की चिर-निवृत्ति का उपाय ही न कर सके।”

आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का यह कथन इस बात की पुष्टि करता है कि क्रोध हमेशा नकारात्मक भाव लिए नहीं होता बल्कि कभी-कभी सकारात्मक भी होता है। इसके पक्ष या विपक्ष में अपना मत प्रकट कीजिए।

संकलित अंश में राम का व्यबहार विनयपूर्ण और संयत है; लक्ष्मण लगातार व्यंग्य बाणों का उपयोग करते हैं और परशुराम का व्यवहार क्रोध से भरा हुआ है। आप अपने आप को इस परिस्थिति में रखकर लिखें कि आपका व्यबहार कैसा होता 

अपने किसी परिचित या मित्र के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।

दूसरों की क्षमताओं को कम नहीं समझना चाहिए। इस शीर्षक को ध्यान में रखते हुए एक कहानी लिखिए।