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नागार्जुन - यह दंतुरित मुसकान

Question
CBSEENHN10001800

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज
मैं न सकता देख
मैं न पाता जान
तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!
इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क
उंगलियां माँ की कराती रही हैं मधुपर्क
देखते तुम इधर कनखी मार
और होतीं जब कि आँखें चार
तब तुम्हारी तुरित मुसकान
मुझे लगती बड़ी ही छविमान!

किन मुहावरों का सहज प्रयोग है?

 

Solution
आँखें चार होना, कनखी मारना जैसे मुहावरों का सहज-स्वाभाविक प्रयोग किया गया है।

Some More Questions From नागार्जुन - यह दंतुरित मुसकान Chapter

बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पढ़ता है?

बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है?

कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है?

भाव स्पष्ट कीजिए-
छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात।

भाव स्पष्ट कीजिए-
छू गया तुम से कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल 
बाँस था कि बबूल?

मुसकान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव हैं। इसकी उपस्थिति से बने वातावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिये

बच्चे से कवि की मुलाकात का जो शब्द-चित्र उपस्थित हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

आप जब भी किसी बच्चे से पहली बार मिलें तो उसके हाव-भाव, व्यवहार आदि को सूक्ष्मता से देखिए और उस अनुभव को कविता या अनुच्छेद के रूप में लिखिए।

कवि के अनुसार फसल क्या है?

कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। बे आवश्यक तत्त्व कौन-कौन से हैं?