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बाज और साँप
साँप केवल रेंगने में ही संतुष्ट है जबकि बाज उड़ने को ही जीवन मानता है। साँप को बाज की यह इच्छा मूर्खतापूर्ण लगती है। क्योंकि वह सोचता है कि गुफा में जीवन सुरक्षित है, तभी उसका यह कहना कि सबके भाग्य में मरना लिखा है, यह शरीर मिट्टी का है और मिट्टी में ही मिल जाना है। अर्थात् सभी का अस्तित्व एक न एक दिन समाप्त हो जाना है, दर्शाता है कि साँप के विचार दार्शनिक हैं।
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