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कामचोर
बड़े होते बच्चे यदि माता-पिता के कार्यों में हाथ बँटाएँ व अपने छोटे-मोटे कार्यों हेतु उन पर निर्भर न रहें तो वे उनके सहयोगी हो सकते हैं। यदि पूर्णतया माता-पिता पर ही निर्भर रहें तो कभी-कभी वे भार भी लगने लगते हैं-जैसे कामचोर कहानी में बच्चे पानी तक भी स्वयं नहीं पीते, हर कार्य हेतु माता-पिता या नौकरों पर निर्भर रहते हैं। ऐसे बच्चे कई बार माता-पिता को भार लगने लगते हैं। वास्तव में बच्चों का भी कसूर नहीं होता क्योंकि माता-पिता उन्हें समयानुसार कोई कार्य सिखाते नहीं हैं इसीलिए वे सक्षमता से कार्य करने में असफल रहते हैं।
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