बस, वश, बस तीन शब्द हैं - इनमें बस सवारी के अर्थ मैं, वश अधीनता के अर्थ मैं, और बस पर्याप्त (काफी) के अर्थ में प्रयुक्त होता है, जैसे-बस से चलना होगा। मेरे वश में नहीं है। अब बस करो।
• उपर्युक्त वाक्य के समान तीनों शब्दों से युक्त आप भी दो-दो वाक्य बनाइए।
1. (क) बस चलते ही ठंडी हवा के झोंके आने लगे।
(ख) बस चली और हमने राहत की साँस ली।
2. (क) ईश्वर की करनी मनुष्य के वश में नहीं।
(ख) आजकल औलाद पर माता-पिता का वश नहीं चलता।
3. (क) बस करो, कितना खाओगे?
(ख) अरे भई! अब बस भी करो, कितनी बहस करोगे।