Question
लेखक का यह कहना कहाँ तक उचित है कि यह बस गाँधीजी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आदोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी?
Solution
जब लेखक ने बस के चलने पर उसके किसी भी हिस्से का आपसी सहयोग न देखा तो उसे गाँधीजी के ‘असहयोग आंदोलन’ अर्थात् भारतीयों अंग्रेजों का साथ न देना याद आ गया। और बस का सही रूप में न चलना, बार-बार रुक कर विरोध करना, लेखक को ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ की याद दिलाता है। जिसमें गाँधीजी ने अंग्रेजों द्वारा नमक पर टैक्स लगाने पर दांडी यात्रा करके, समुद्री नमक बनाकर उनके कानून को तोड़ा था। इसीलिए लेखक ने कहा कि यह बस गाँधीजी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलन के वक्त जवान रही होगी अर्थात् अपने- आप को स्वतंत्र करवाने के सभी दावपेंच जानती है। लेखक का कहना पूर्णतया उचित है।