स्पर्श भाग १ Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक चनद्रशेखर वेंकट रामन - धीरंजन मालवे
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    NCERT Solution For Class 9 About 2.html स्पर्श भाग १

    वैज्ञानिक चेतना के वाहक चनद्रशेखर वेंकट रामन - धीरंजन मालवे Here is the CBSE About 2.html Chapter 5 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 About 2.html वैज्ञानिक चेतना के वाहक चनद्रशेखर वेंकट रामन - धीरंजन मालवे Chapter 5 NCERT Solutions for Class 9 About 2.html वैज्ञानिक चेतना के वाहक चनद्रशेखर वेंकट रामन - धीरंजन मालवे Chapter 5 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 About 2.html.

    Question 1
    CBSEENHN9000534

    निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    पेड़ से सेब गिरते हुए लोग सदियों से देखते आ रहे थे, मगर गिरने के पीछे छिपे रहस्य को न्यूटन से पहले कोई और समझ नही पाया था। ठीक उसी प्रकार विराट समुद्र की नील-वर्णीय आभा को भी असंख्य लोग आदिकाल से देखते आ रहे थे, मगर इस आभा पर पड़े रहस्य के परदे को हटाने के लिए हमारे समक्ष उपस्थित हुए सर चंद्रशेखर वेंकट रामन्।

    बात सन् 1921 की है, जब रामन् समुद्री यात्रा पर थे। जहाज के डेक पर खड़े होकर नीले समुद्र को निहारना, प्रकृति-प्रेमी रामन् को अच्छा लगता था। वे समुद्र की नीली आभा में घंटों खोए रहते। लेकिन रामन् को अच्छा लगता था। वे समुद्र की नीली आभा में घंटों खोए रहते। लेकिन रामन् केवल भावुक प्रकृति-प्रेमी ही नहीं थे। उनके अंदर एक वैज्ञानिक की जिज्ञासा भी उतनी ही सशक्त थी। यही जिज्ञासा उनसे सवाल कर बैठी- ‘आखिर समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है? कुछ और क्यों नहीं?’ रामन् सवाल का जवाब ढूँढने में लग गए। जवाब ढूँढ़ते ही वे विश्वविख्यात बन गए।
    प्रशन:
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो?
    (ख) न्यूटन ने किस जिज्ञासा से कौन-सा सिद्धांत खोजा था?
    (ग) रामन् के व्यक्तित्व के गुणों पर प्रकाश डालिए?
    (घ) लेखक ने रामन् को भावुक प्रकृति-प्रेमी क्यों कहा है?




    Solution

    (क) पाठ-वैज्ञानिक चेतना के वाहक चन्द्रशेखर वेंकट रामन्, लेखक-धीरंजन मालवे।
    (ख) न्यूटन के मन में यह जिज्ञासा उठी थी कि सेब पेड़ से नीचे ही क्यों गिरता है। वह ऊपर क्यों नहीं उठता। इसी जिज्ञासा को लेकर उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत की खोज की।
    (ग) रामन के व्यक्तित्व के दो गुण प्रमुख थे-
    - वे प्रकृति के गहरे भावुक प्रेमी थे। वे घंटों-घंटों समुद्री जल के नीले रंग को निहारते रहते थे।
    - उनमें प्रकृति के रहस्यों को जानने की तीव्र इच्छा थी।
    (घ) लेखक ने रामन् को भावुक प्रकृति प्रेमी इसलिए कहा है क्योंकि उन्हें जहाज के डेक पर खड़े होकर समुद्र को निहारना अच्छा लगता था। वे घंटों-घंटों समुद्र की नीली आभा में खोए रहते थे।

    Question 2
    CBSEENHN9000535

    निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    कलकत्ता में सरकारी नौकरी के दौरान उन्होंने अपने स्वाभाविक रुझान को बनाए रखा। दफ़्तर से फुर्सत पाते ही वे लौटते हुए बहू बाज़ार आते, जहाँ ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ की प्रयोगशाला थी। यह अपने आप में एक अनूठी संस्था थी, जिस कलकत्ता के एक डॉक्टर महेंद्रलाल सरकार ने वर्षों की कठिन मेहनत और लगन के बाद खड़ा किया था। इस संस्था का उद्देश्य था देश में वैज्ञानिक चेतना का विकास करना अपने महान् उद्देश्यों के बावजूद इस संस्था के पास साधनों का नितांत अभाव था। रामन् इस संस्था की प्रयोगशाला में कामचलाऊ उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए शोधकार्य करते। यह अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था, जिसमें एक साधक दफ्तर में कड़ी मेहनत के बाद बहू बाजार की इस मामूली-सी प्रयोगशाला में पहुँचता और अपनी इच्छाशक्ति के जोर से भौतिक विज्ञान को समृद्ध बनाने के प्रयास करता। उन्हीं दिनों वे वाद्ययंत्रों की ओर आकृष्ट हुए। वे वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्यों की परतें खोलने का प्रयास कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने अनेक वाद्ययंत्रों का अध्ययन किया जिनमें देशी और विदेशी, दोनों प्रकार के वाद्ययंत्र थे।  प्रशन:
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
    (ख) रामन कलकत्ता में कहाँ प्रयोग करने जाते थे?
    (ग) प्रयोगशाला को कामचलाऊ क्यों कहा गया है?
    (घ) आधुनिक हठयोग किसे कहा गया है?
    दफ़्तर

    Solution

    (क) पाठ-वैज्ञानिक चेतना के वाहक: चन्द्रशेखर वेंकट रामन्, लेखक-धीरंजन मालवे।
    (ख) कलकत्ता के बहू बाजार में ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ सांइस’ नाम एक प्रयोगशाला था। इसके संस्थापक थे डॉक्टर महेन्द्रलाल सरकार। रामन् इसी प्रयोगशाला में आकर प्रयोग किया करते थे।
    (ग) यह प्रयोगशाला एक ही व्यक्ति के प्रयत्नों तथा साधनों से चलाई जा रही थी। इसलिए इसमें उन्नत उपकरण तथा अन्य साधन नहीं थे। पैसे का अभाव था जो भी उपकरण थे कामचलाऊ थे इसलिए इसे कामचलाउ कहा गया है।
    (घ) हठयोग की साधना के मूल में साधक का हठ काम करता है। रामन् अपनी सरकारी नौकरी पूरी करने के बाद लौटते समय एक काम चलाऊ प्रयोगशाला में जाकर प्रयोग करते थे। उनके पास न साधन थे, न समय। केवल इच्छा शक्ति पर ही वे काम कर रहे थे।

    Question 3
    CBSEENHN9000536

    निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    रामन् ने अनेक ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि जब एकवर्णीय प्रकाश कि किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुज़रती है तो गुज़रने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन आता है। वजह यह होती है कि एकवर्णीय प्रकाश कि किरण के फोटॉन जब तरल या ठोस रवे से गुजरते हुए इनके अणुओं से टकराते हैं तो इस टकराव के परिणामस्वरूप वे या तो ऊर्जा का कुछ अंश खो देते हैं या पा जाते हैं। दोनों ही स्थितियाँ प्रकाश के वर्ण (रंग) में बदलाव लाती है। एकवर्णीय प्रकाश की किरणों में सबसे अधिक ऊर्जा बैंजनी रंग के प्रकाश में होती है। बैंजनी के बाद क्रमश: नीले, आसमानी, हरे, पीले, नारंगी और लाल वर्ण का नंबर आता है। इस प्रकार लाल-वर्णीय प्रकाश की ऊर्जा सबसे कम होती है। एकवर्णीय प्रकाश तरल या ठोस रवों से गुजरते हुए जिस परिणाम में ऊर्जा खोता या पाता है, उसी हिसाब से उसका वर्ण परिवर्तित हो जाता है।
    प्रसन:
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
    ख) रामन ने पानी के रंग बदलने का कौन-सा कारण खोजा?
    (ग) ठोस रवे या तरल पदार्थ से गुजरते समय प्रकाश के फोटॉन में क्या परिवर्तन होता है?
    (घ) आप रंगों, की क्या विशेषता जानते है? दफ़्तर

    Solution

    (क) पाठ-वैज्ञानिक चेतना के वाहक: चंन्द्रशेखर वेंकट रामन्, लेखक-धीरंजन मालवे।
    (ख) रामन् ने खोजा कि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरणें किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ में से गुजरती है तो उनका रंग बदलने लगता है।
    (ग) जब ठोस, रवे या तरल पदार्थ में से एकवर्णीय प्रकाश- की किरणें गुजरती हैं तो प्रकाश के फोटॉन इनके अणुओं से टकराते हैं। इस टकराव के कारण या तो ये अपनी ऊर्जा का कुछ अंश खो देते है या पा लेते है। इसी कमी या वृद्धि के कारण वर्ण में परिवर्तन होता है।
    (घ) विभिन्न एकवर्णीय प्रकाश की किरणों की ऊर्जा भिन्न-भिन्न होती है। बैंजनी रंग में सर्वाधिक ऊर्जा होती है। उसके बाद क्रमश: नीले, आसमानी, हरे, पीले, नारंगी, और लाल रंग में ऊर्जा होती है। लाल रंग का एकवर्णीय प्रकाश सबसे कम ऊर्जावान होता है।

    Question 4
    CBSEENHN9000537

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
    रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा और क्या थे?

    Solution
    रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा एक जिज्ञासु वैज्ञानिक भी थे। उनके अंदर सशक्त वैज्ञानिक जिज्ञासा थी। वे विश्व विख्यात वैज्ञानिक बने।
    Question 5
    CBSEENHN9000538

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
    समुद्र को देखकर रामन् के मन में कौन-सी दो जिज्ञासाएँ उठीं?

    Solution
    रामन् के पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक थे। उन्होंने हमेशा रामन् को इन दोनों विषयों के प्रति आकर्षित किया। इस कारण आगे चलकर रामन् ने जगत प्रसिद्धि पाई।
    Question 6
    CBSEENHN9000539

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
    रामन् के पिता ने उनमें किन विषयों की सशक्त नींव डाली?

    Solution
    रामन् के पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक थे। उन्होंने हमेशा रामन् को इन दोनों विषयों के प्रति आकर्षित किया। इस कारण आगे चलकर रामन् ने जगत प्रसिद्धि पाई।
    Question 7
    CBSEENHN9000540

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
    वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् क्या करना चाहते थे?

    Solution
    वाद्य यंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् इनके पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्यों की परतें खोलना चाहते थे। इस दौरान उन्होंने अनेक देशी और विदेशी वाद्य यन्त्रों का अध्ययन किया।
    Question 8
    CBSEENHN9000541

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
    सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे  रामन् की क्या भावना थी?

    Solution
    सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की भावना वैज्ञानिक अध्ययन और शोधकार्य करने की थी।
    Question 9
    CBSEENHN9000542

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
    'रामन्- प्रभाव’ की खोज के पीछे कौन-सा सवाल हिलोरों ले रहा था?

    Solution
    ‘रामन-प्रभाव’ के पीछे समुंदर के नीले रंग की वजह का सवाल हिलोरें ले रहा था। उन्होंने आगे उसी दिशा में प्रयोग किए जिसकी परिणति ‘रामन्-प्रभाव’ की महत्वपूर्ण खोज के रूप में हुई।
    Question 10
    CBSEENHN9000543

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
    प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टीन ने क्या बताया?

    Solution
    प्रकाश की तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने बताया कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है। उन्होंने सूक्ष्म कणों की तुलना बुलेट से की और उसे ‘फोटॉन’ नाम दिया।
    Question 11
    CBSEENHN9000544

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
    रामन् की खोज ने किन अध्ययननो को सहज बनाया?

    Solution

    रामन् की खोज ने पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आतरिक संरचना का अध्ययन सहज बनाया। पहले उस नाम के लिए ‘इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी’ का सहारा लिया जाता था।

    Question 12
    CBSEENHN9000545

    (क) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा क्या थी?

    Solution
    कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा थी कि वे अपना सारा जीवन शोधकार्यों को पूरा करने में लगाए परंतु इसे कैरियर के रूप में अपनाने की उनके पास कोई खास व्यवस्था नहीं थी।
    Question 13
    CBSEENHN9000546

    (क) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौन-सी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की?

    Solution
    वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने यह भ्रांति तोड़ने की कोशिश की कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्ययंत्रों की तुलना में घटिया है।
    Question 14
    CBSEENHN9000547

    (क) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    रामन् के लिए नौकरी सबंधी कौन-सा निर्णय कठिन था?

    Solution
    रामन् के लिए नौकरी संबंधी यह निर्णय कठिन था, जब कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद खाली था और आशुतोष मुखर्जी ने उनसे इस पद को स्वीकार करने का आग्रह किया। प्रोफेसर की नौकरी की अपेक्षा उनकी सरकारी नौकरी ज्यादा वेतन तथा सुविधा से भरी थी, फिर भी उन्होंने प्रोफेसर की नौकरी को स्वीकार किया क्योंकि उनके लिए सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक सरस्वती की साधना थी। इसलिए यह निर्णय करना सचमुच हिम्मत का काम था।
    Question 15
    CBSEENHN9000548

    (क) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    सर चंद्रशेखर वेंकटे रामन् को समय-समय पर किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?

    Solution

    सर चंद्रशेखर वेंकटेरामन को समय-समय पर अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
    1. सन् 1924 में रॉयल सोसाइटी की सदस्यता से उन्हें सम्मानित किया गया।
    2. सन् 1929 में ‘सर’ की उपाधि दी गई।
    3. सन् 1930 में नोबेल पुरस्कार को सम्मानित किया गया।
    4. सन् 1954 में ‘भारत-रत्न’ से सम्मानित किए गए।
    5. रोम का मेटयूसी पदक मिला।
    6. रायल सोसाइटी का ह्युज पदक मिला।
    7. फिलोडेल्फिया इंस्टीट्‌यूट का फ्रेकलिन पदक मिला।
    8. सोवियत रूस का अंतर्राष्ट्रीय लैनिन पुरस्कार मिला आदि।

    Question 16
    CBSEENHN9000549

    (क) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    रामन् को मिलने वाले पुरस्कारों ने भारतीय-चेतना को जाग्रत किया ऐसा क्यों कहा गया है?

    Solution
    रामन् को मिलने वाले पुरस्कारों ने भारतवर्ष को एक नया सम्मान और आत्मविश्वास दिया। उन्होंने एक नई भारतीय चेतना को जन्म दिया। उनके अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी। और वे देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के प्रति समर्पित थे। उन्हें भारतीय संस्कृति से गहरा लगाव था। अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि के बाद भी उन्होंने सैकड़ों छात्रों का मार्गदर्शन किया और देश के भावी नागरिकों को भी एक सफल वैज्ञानिक बनने की प्रेरणा दी।
    Question 17
    CBSEENHN9000550

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
    (ख) 
    रामन् के प्रारम्भिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?

    Solution
    रामन् के प्रारम्भिक शोधकार्यों को आधुनिक हठयोग इसलिए कहा गया है क्योंकि उनकी परिस्थितियाँ बिलकुल विपरीत थीं। वे बहुत महत्त्वपूर्ण तथा व्यस्त नौकरी पर थे। उन्हें हर प्रकार की सुख-सुविधा प्राप्त हो गई थी। समय की कमी थी। स्वतन्त्र शोध के लिए पर्याप्त सुविधाएँ नहीं थी। ले देकर कलकत्ता में एक छोटी सी प्रयोगशाला ही थी जिसमें बहुत कम उपकरण थे। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में शोध कार्य दृढ़ इच्छा शक्ति से ही संभव था। यह रामन् के मन का दृढ़ हठ था जिसके कारण वे शोध जारी रख सके। इसलिए उनके प्रारम्भिक शोधकार्यों को आधुनिक हठयोग कहा है। यह हठयोग विज्ञान से संबंधित था इसलिए आधुनिक कहना उचित था।

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    Question 18
    CBSEENHN9000551

    (ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
     रामन् की खोज ‘रामन प्रभाव’ क्या है? स्पष्ट कीजिए?

    Solution
    रामन् की खोज को ‘रामन्-प्रभाव’ के नाम को जाना जाता है। रामन् ने अनेक ठोस और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरणों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि जब एक-एक वर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो गुजरने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन आ जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्याकि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण के फोटान तरल या रवेदार पदार्थ को गुजरते हुए उनके अणुओं से टकराते हैं तो इस टकराव के परिणाम से या तो ये ऊर्जा काम कुछ अंश पा जाते हैं या कुछ खो देते हैं। दोनों ही स्थितियाँ प्रकाश के वर्ण में बदलाव लाती हैं। एक वर्णीय प्रकाश तरल या ठोस रवों से से गुरजते हुए जिस परिणाम में ऊर्जा खोता या पाता है उसी के अनुसार उसका वर्ग परिवर्तित हो जाता है।
    Question 19
    CBSEENHN9000552

    (ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
     ‘रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य सभंव हो सके?

    Solution

    रामन् की खोज की वजह से पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आतरिक संरचना का अध्ययन सहज हो गया। पहले इस काम के ‘इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी’ का सहारा लिया जाता था। यह मुश्किल तकनीक है और गलतियों की संभावना बहुत अधिक रहती है। रामन् की खोज के बाद पदार्थो की आणविक और परमाणिविक संरचना के अध्ययन के लिए रामन् ‘स्पेक्ट्रोस्कोपी’ का सहारा लिया जाने लगा। यह तकनीक एकवर्णीय प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन के आधार पर पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की संरचना की सटीक जानकारी देती है। इस जानकारी के कारण पदार्थों का संश्लेषण करना तथा अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम रूप से निर्माण संभव हो सका।

    Question 20
    CBSEENHN9000553

    (ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
     देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालिए।

    Solution
    रामन् के अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी तथा वे देश में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित थे। उन्हें अपने शुरुआती दिन हमेशा ही याद रहे जब उन्हें संघर्ष करना पड़ा। इसलिए उन्होंने एक अत्यन्त उन्नत प्रयोगशाला और शोध संस्थान की स्थापना की जो बंगलौर में स्थित है और उन्हीं के नाम पर अर्थात् ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्‌यूट’ के नाम से जानी जाती है। भौतिकी में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने ‘इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स’ नामक शोध-पत्रिका आरम्भ की। विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए वे ‘करंट साइंस’ नामक पत्रिका का संपादन करते थे। रामन् केवल प्रकाश की किरणों तक ही नहीं सिमटे थे। उन्होंने अपने व्यक्तित्व के प्रकाश से पूरे देश को आलोकित और प्रकाशित किया।
    Question 21
    CBSEENHN9000554

    (ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
     सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से प्राप्त होनेवाले संदेशों को अपने शब्दों में लिखिए 

    Solution
    सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् ने कहीं भाषण के द्वारा अपना संदेश प्रसारित नहीं किया। उन्होंने अपना जीवन जिस प्रकार को जीया है वह मौखिक संदेश अधिक प्रभावी और सार्थक है। उन्होंने वैज्ञानिक शोध में अपना जीवन समर्पित कर दिया। वे सरकारी नौरी में रहते हुए भी कलकत्ता की प्रयोगशाला में प्रयोग करते रहे। जब उन्हें भौतिकी विभाग के प्रोफेसर की नौकरी मिली तो कम वेतन और कम सुख-सुविधाओं के बावजूद भी उन्होंने वह नौकरी स्वीकार कर ली। इससे हमें यह संदेश मिलता है कि हमें धन और सुख-सुविधा का मोह त्यागकर शोध या किसी अन्य कल्याणकारी कार्य के लिए अपना जीवन अर्पित करना चाहिए। उन्होंने जिस प्रकार अनेक नवयुवकों को शोध के लिए प्रेरित किया वह भी अनुकरणीय है। उन्होंने राष्ट्रीयता एवं भारतीय संस्कारों को नहीं त्यागा। उन्होंने अपना दक्षिण भारतीय पहनावा भी नहीं छोड़ा।
    Question 22
    CBSEENHN9000555

    (ग) निन्नलिखित आशय स्पष्ट कीजिए-
    उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्वपूर्ण थी?

    Solution
    आशय- वेंकटरामन् सच्चे सरस्वती साधक थे। वे जिज्ञासु प्रकृति के वैज्ञानिक तथा अन्वेषक थे। उन्होंने सरकारी सुख-सुविधाओं की अपेक्षा वैज्ञानिक खोजों को अधिक महत्व दिया। इसके लिए वित्त-विभाग की ऊँची नौकरी छोड़ दी। कलकत्ता विश्वविद्यालय की कम सुविधा वाली नौकरी स्वीकार कर ली। इस प्रकार वे शिक्षण पाने व देने के काम को अधिक महत्वपूर्ण मानते थे और उन्होंने यही किया।
    Question 23
    CBSEENHN9000556

    (ग) निन्नलिखित आशय स्पष्ट कीजिए-
    हमारे पास ऐसी न जाने कितनी ही चीज़ें बिखरी पड़ी हैं जो अपने पात्र की तलाश में हैं?

    Solution
    आशय-हमारे में आस-पास के वातावरण में अनेक प्रकार की वस्तुएँ बिखरी होती है। उनके बारे में जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता है। उन बिखरी चीजों को सही ढंग से सँवारने वाले व्यक्ति की आवश्यकता होती है जो उन्हें नया रूप दे सके है। इन घटनाओं को अनुसंधान करने वाले खोजियों की तलाश रहती है।
    Question 24
    CBSEENHN9000557

    (ग) निन्नलिखित आशय स्पष्ट कीजिए-
    यह अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।

    Solution
    आशय-हठयोग का अर्थ है-जिद् करने वाला। वह यह नहीं देखता कि परिस्थितियाँ उसके अनुकूल है या नहीं। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी वह अपनी इच्छा शक्ति को दबने नहीं देता। अपने कार्य को पूरा करके ही रहता है। रामन् कलकत्ता में सरकारी नौकरी करने के दौरान भी बहु-बाजार में स्थिति इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस की काम चलाऊ प्रयोगशाला के काम चलाऊ उपकरणों से प्रयोग करते थे। यह अपने आप में आधुनिक हठयोग का उदाहरण है।
    Question 25
    CBSEENHN9000558

    उपयुक्त शब्द का चयन करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
    इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस, फिलॉसफिकल मैगज़ीन, भौतिकी, रामन् रिसर्च इंस्टीट्‌यूट।
    1. रामन् का पहला शोध पत्र ___________ में प्रकाशित हुआ था।
    2. रामन् की खोज ___________ के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
    3. कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम ___________ था।
    4. रामन् द्वारा स्थापित शोध-संस्थान ______________ नाम से जानी जाती है।
    5. पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए ___________ का सहारा लिया जाता था।

    Solution

    1. रामन् का पहला शोध पत्र फिलॉसफिकल मैंगजीन में प्रकाशित हुआ था।
    2. रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
    3. कोलकाता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ सांइस’ था।
    4. रामन् द्वारा स्थापित शोध-संस्थान ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ नाम से जाना जाता है।
    5. पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता था।

    Question 26
    CBSEENHN9000559

    नीचे कुछ समानदर्शी शब्द दिए जा रहे हैं जिनका अपने वाक्य में इस प्रकार प्रयोग करें कि उनके अर्थ का अतंर स्पष्ट हो सके।
    (क) प्रमाण .......................... (ख) प्रणाम ...................
    (ग) धारणा .......................    (ध) धारण .....................
    (ड) पूर्ववर्ती .......................   (च) परवर्ती ...................
    (छ) परिवर्तन .....................   (ज) प्रवर्तन ....................

    Solution

    (क) प्रमाण-प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती।
    (ख) प्रणाम-हमें प्रातःकाल उठकर माता-पिता को प्रणाम  करना चाहिए।
    (ग) धारणा-मेरी धारण है कि तुम प्रथम आओगे।
    (घ) धारण-मेरे पिताजी ने मौन व्रत धारण किया है।
    (ङ) पूर्ववर्ती-भारत के पूर्ववर्ती इलाकों में बिजली की कमी हो रही है।
    (च) परवर्ती-परवर्ती क्षेत्रों के विकास हेतु सरकार निरन्तर कार्यरत है।
    (छ) परिवर्तन-परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
    (ज) प्रवर्तन-गौतम बुद्ध ने बौद्धमत का प्रवर्तन किया।

     
    Question 29
    CBSEENHN9000562

    पाठ में निम्नलिखित विशिष्ट भाषा प्रयोग आए हैं। सामान्य शब्दों में इनका आशय स्पष्ट कीजिए।
    घंटों खोए रहते, स्वाभाविक रुझान बनाए रखना, अच्छा-खासा काम किया, हिम्मत का काम था, सटीक जानकारी, काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए, कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था, मोटी तनख्वाह

    Solution

    घंटों खोए रहते-बहुत देर तक ध्यान में लीन रहते।
    स्वाभाविक रुझान बनाए रखना-सहज रूप से रुचि बनाए रखना।
    अच्छा-खासा काम किया - अच्छी मात्रा में ढेर सारा काम किया।
    हिम्मत का काम था-कठिन काम था।
    सटीक जानकारी-बिलकुल सही और प्रमाणिक जानकारी।
    काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए-बहुत अच्छे अंक पाए।
    कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था-बहुत मेहनत के बाद शीघ्र संस्थान की स्थापना की थी।
    मोटी तनख्वाह -बहुत अधिक आय या वेतन।

     
    Question 31
    CBSEENHN9000564

    पाठ में आए रंगों, की सूची बनाइए? इनके अतिरिक्त दस रंगों के नाम और लिखिए

    Solution

    पाठ में आए रंग-बैंजनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी, लाल।
    अन्य रंग-काला, सफेद, गुलाबी, मैरुन, मूंगिया, तोतिया, फिरोजी, भूरा, सलेटी।

    Question 32
    CBSEENHN9000565

    नीचे दिए गए उदाहरण के अनुसार ‘ही’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए
    उदाहरण: उनके ज्ञान की सशक्त नींव उनके पिता ने ही तैयार की थी।

    Solution

    1. मुझे विद्यालय तो जाना ही था।
    2. उसे कार्य तो करना ही पड़ेगा।
    3. आप कब तक ऐसे ही बैठे रहेंगे।
    4. रमेश ने ही मुझे बुलाया था।
    5. हमेशा ही तुम प्रथम आते हो।

    Question 33
    CBSEENHN9000566

    रामन् पर अपने पिता के संस्कारों का क्या योगदान था?

    Solution
    रामन् के पिता गणित तथा भौतिकी के प्रोफेसर थे। उन्होंने रामन् को ये दोनों विषय गहरी रुचि से पढ़ाए थे। रामन् ने वाद्ययंत्रों से संबंधित खोज में गणित और भौतिकी दोनों का उपयोग किया। इसी प्रकार रामन् प्रभाव में भी दोनों विषयों का बराबर उपयोग था। अत: हम कह सकते हैं कि रामन् की सफलता में उनके पिता के संस्कारों का पूरा योगदान था।
    Question 34
    CBSEENHN9000567

    विज्ञान के चेतना वाहक के रूप में विविध वैज्ञानिकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए?

    Solution
    विज्ञान के चेतना वाहक के रूप में वे सर्वप्रथम चंद्रशेखर वेंकट रामन् का नाम लिया जा सकता है। न्यूटन, डी. होमी जहाँगीर भाभा, एडीसन ग्राहम बैल, जगदीश चन्द्र बसु जैसे वैज्ञानिकों ने आधुनिक युग को वैज्ञानिक दृष्टि प्रदान की। इनके योगदान सदैव स्मरणीय रहेंगें।
    Question 35
    CBSEENHN9000568

    रामन् की सफलता पर भारत का क्या प्रभाव हुआ?

    Solution
    रामन् की सफलता से पूरे भारत का सम्मान बढ़ा। देश के नवयुवकों में विज्ञान के प्रति रुचि जाग्रत हो गई,। स्वयं रामन् ने कितने ही वैज्ञानिकों को शोध कार्य की ओर प्रवृत्त किया। उन्होंने ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्‌यूट’ नाम से प्रयोगशाला बनाई। इससे सैकड़ो छात्रों को लाभ मिला। कुछ छात्रों ने अत्यंत महत्वर्पूण कार्य किये तथा ऊँचे पदों तक पहुँचे। इस प्रकार रामन् ने भारत में वैज्ञानिक चेतना का प्रसार किया।

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