निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए-
कलकत्ता में सरकारी नौकरी के दौरान उन्होंने अपने स्वाभाविक रुझान को बनाए रखा। दफ़्तर से फुर्सत पाते ही वे लौटते हुए बहू बाज़ार आते, जहाँ ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ की प्रयोगशाला थी। यह अपने आप में एक अनूठी संस्था थी, जिस कलकत्ता के एक डॉक्टर महेंद्रलाल सरकार ने वर्षों की कठिन मेहनत और लगन के बाद खड़ा किया था। इस संस्था का उद्देश्य था देश में वैज्ञानिक चेतना का विकास करना अपने महान् उद्देश्यों के बावजूद इस संस्था के पास साधनों का नितांत अभाव था। रामन् इस संस्था की प्रयोगशाला में कामचलाऊ उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए शोधकार्य करते। यह अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था, जिसमें एक साधक दफ्तर में कड़ी मेहनत के बाद बहू बाजार की इस मामूली-सी प्रयोगशाला में पहुँचता और अपनी इच्छाशक्ति के जोर से भौतिक विज्ञान को समृद्ध बनाने के प्रयास करता। उन्हीं दिनों वे वाद्ययंत्रों की ओर आकृष्ट हुए। वे वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्यों की परतें खोलने का प्रयास कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने अनेक वाद्ययंत्रों का अध्ययन किया जिनमें देशी और विदेशी, दोनों प्रकार के वाद्ययंत्र थे। प्रशन:
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
(ख) रामन कलकत्ता में कहाँ प्रयोग करने जाते थे?
(ग) प्रयोगशाला को कामचलाऊ क्यों कहा गया है?
(घ) आधुनिक हठयोग किसे कहा गया है?
दफ़्तर
(क) पाठ-वैज्ञानिक चेतना के वाहक: चन्द्रशेखर वेंकट रामन्, लेखक-धीरंजन मालवे।
(ख) कलकत्ता के बहू बाजार में ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ सांइस’ नाम एक प्रयोगशाला था। इसके संस्थापक थे डॉक्टर महेन्द्रलाल सरकार। रामन् इसी प्रयोगशाला में आकर प्रयोग किया करते थे।
(ग) यह प्रयोगशाला एक ही व्यक्ति के प्रयत्नों तथा साधनों से चलाई जा रही थी। इसलिए इसमें उन्नत उपकरण तथा अन्य साधन नहीं थे। पैसे का अभाव था जो भी उपकरण थे कामचलाऊ थे इसलिए इसे कामचलाउ कहा गया है।
(घ) हठयोग की साधना के मूल में साधक का हठ काम करता है। रामन् अपनी सरकारी नौकरी पूरी करने के बाद लौटते समय एक काम चलाऊ प्रयोगशाला में जाकर प्रयोग करते थे। उनके पास न साधन थे, न समय। केवल इच्छा शक्ति पर ही वे काम कर रहे थे।