स्पर्श भाग १ Chapter 4 तुम कब आओगे अतिथि - शरद जोशी
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    NCERT Solution For Class 9 About 2.html स्पर्श भाग १

    तुम कब आओगे अतिथि - शरद जोशी Here is the CBSE About 2.html Chapter 4 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 About 2.html तुम कब आओगे अतिथि - शरद जोशी Chapter 4 NCERT Solutions for Class 9 About 2.html तुम कब आओगे अतिथि - शरद जोशी Chapter 4 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 About 2.html.

    Question 1
    CBSEENHN9000500

    निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
    तुम जहाँ बैठे निस्संकोच सिगरेट का धुआँ फेंक रहे हो, उसके ठीक सामने एक कैलेंडर है। देख रहे हो ना! इसकी तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ाती रहती हैं। विगत दो दिनों से मैं तुम्हें दिखाकर तारीखें बदल रहा हूँ। तुम जानते हो, अगर तुम्हें हिसाब लगाना आता है कि यह चौथा दिन है, तुम्हारे सतत आतिथ्य का चौथा भारी दिन! पर तुम्हारे जाने की कोई संभावना प्रतीत नहीं होती। लाखों मील लंबी यात्रा करने के बाद वे दोनों एस्ट्रॉनाट्‌स भी इतने समय चाँद पर नहीं रुके थे, जितने समय तुम एक छोटी-सी यात्रा कर मेरे घर आए हो। तुम अपने भारी चरण-कमलों की छाप मेरी जमीन पर अंकित कर चुके, तुमने एक अंतरंग निजी संबंध मुझसे स्थापित कर लिया, तुमने मेरी आर्थिक सीमाओं की बैंजनी चट्‌टान देख ली; तुम मेरी काफ़ी मिट्‌टी खोद चुके। अब तुम लौट जाओ, अतिथि! तुम्हारे जाने के लिए यह उच्च समय अर्थात हाईटाइम है। क्या तुम्हें तुम्हारी पृथ्वी नहीं पुकारती? 
    प्रशन:
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो?
    (ख) कैलेंडर शब्द द्वारा लेखक क्या कहना चाहते हैं?
    (ग) अतंरिक्ष यात्रियों के विषय में क्या कहा गया है?
    (घ) ‘अब तुम लौट जाओ’ इस कवन की व्यंग्यात्मकता स्पष्ट कीजिए?


    Solution

    (क) पाठ-तुम कब जाओगे, अतिथि, लेखक-शरद जोशी।
    (ख) कैलेंडर शब्द द्वारा लेखक अतिथि को यह अहसास दिलाना चाहता है कि मेहमानबाजी करवाते हुए अधिक दिन हो गए है। अब उसे चले जाना चाहिए।
    (ग) अंतरिक्ष यात्री भी चांद पर अधिक -दिनों की यात्रा करने के उपरान्त भी वहाँ पर नहीं रूके थे।
    (घ) अनेक उपाय करने के पश्चात् भी अतिथि के न लौटने पर अपनी विवशता व्यक्त करना ही उस शब्दावली की व्यंग्यात्मकता है।

    Question 2
    CBSEENHN9000501

    निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
    उस दिन जब तुम आए थे, मेरा हृदय किसी अज्ञात आशंका से धड़क उठा था। अंदर-ही-अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया। उसके बावजूद एक स्नेह-भीगी मुस्कुराहट के साथ मैं तुमसे गले मिला था और मेरी पत्नी ने तुम्हे सादर नमस्ते की थी। तुम्हारे सम्मान में ओ अतिथि, हमने रात के भोजन को एकाएक उच्च-मध्यम वर्ग के डिनर में बदल दिया था। तुम्हें स्मरण होगा कि दो सब्जियों और रायते के अलावा हमने मीठा भी बनाया था। इस सारे उत्साह और लगन के मूल में एक आशा थी। आशा थी कि दूसरे दिन किसी रेल से एक शानदार मेहमाननवाजी की छाप अपने हृदय में ले तुम चले जाओगे।

    प्रशन:
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
    (ख) मेहमान के आते ही लेखक पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
    (ग) लेखक तथा उसकी पत्नी ने मेहमान का किस प्रकार स्वागत किया?
    (घ) रात्रिभोज को किस प्रकार गरिमापूर्ण बनाया गया?

    Solution

    (क) पाठ- तुम कब जाओगे,अतिथि, लेखक-शरद जोशी।
    (ख) मेहमान के आते ही लेखक का हृदय किसी अज्ञात आशंका से धड़क उठा। उसे डर लगा कि यह आदमी न जाने कब तक ठहरेगा। इसे न चाहते हुए भी झेलना पड़ेगा। उसका बटुआ भी काँप उठा। मेहमान को खुश रखने के लिए पैसा खर्च करना लेखक को असहनीय लगा।
    (ग) लेखका तथा उसकी पत्नी अचानक अतिथि के आ जाने से प्रसन्न नहीं थे। फिर भी उन्होंने स्नेहपूर्वक उनका स्वागत किया। लेखक उसे प्रेमपूर्वक गले मिला और पत्नी ने सादर नमस्ते की।
    (घ) मेहमान का शानदार स्वागत करने के लिए रात्रि भोज को ‘डिनर’ जैसा शानदार बनाया गया। दो-दो सब्जियाँ बनाई गई रायता बनाया तथा एक मीठा भी बनाया। इस प्रकार उसका शानदार स्वागत किया गया।

    Question 3
    CBSEENHN9000502

    निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
    तीसरे दिन की सुबह तुमने मुझसे कहा, “मैं धोबी को कपड़े देना चाहता हूँ।”
    यह आघात अप्रत्याशित था और इसकी चोट मार्मिक थी। तुम्हारे सामीप्य की वेला एकाएक यों रबर की तरह खिंच जाएगी, इसका मुझे अनुमान न था। पहली बार मुझे लगा कि अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।
    प्रशन:
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो
    (ख) कौन-सा आघात अप्रत्याशित था?
    (ग) लेखक को किस-किस का अनुमान नहीं था?
    (घ) अतिथि कब देवता और कब राक्षस बन जाता है?

    Solution

    (क) पाठ - तुम कब जाओगे,अतिथि,  लेखक-शरद जोशी।
    (ख) लेखक का अतिथि अनचाहे रूप से दो दिन ठहर चुका था। तीसरे दिन उसे चले जाना था परन्तु जाने की बजाय उसने धोबी से कपड़े धुलवाने की इच्छा प्रकट की। यह समाचार लेखक के दिल पर आघात की तरह था उसे आशा नहीं थी कि वह इस तरह आकर जम जाएगा।
    (ग) लेखक को इस बात का अनुमान ही नहीं था कि यह अतिथि एक बार आने के बाद जाने का नाम नहीं लेगा। उसकी रहने की अवधि अचानक बढ़ती चली जाएगी।
    (घ) भारतीय परम्परा के अनुसार अतिथि को देवता के समान माना जाता है। यदि अतिथि थोड़ी देर के लिए आए और सम्मानपूर्वक विदा हो जाए तो वह देवता होता है। परन्तु लंबे समय तक जम जाने के कारण वही देवता तुल्य अतिथि राक्षस प्रतीत होने लगता है।

    Question 4
    CBSEENHN9000503

    निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
    तुम्हें यहाँ अच्छा लग रहा है न! मैं जानता हूँ। दूसरों के यहाँ अच्छा लगता है। अगर बस चलता तो सभी लोग दूसरों के यहाँ रहते, पर ऐसा नहीं हो सकता। अपने घर की महत्ता के गीत इसी कारण गाए गए हैं। होम को इसी कारण स्वीट-होम कहा गया है कि लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़े। तुम्हें यहाँ अच्छा लग रहा है, पर सोचो प्रिय, कि शराफ़त भी कोई चीज होती है और गेट आउट भी एक वाक्य है, जो बोला जा सकता है।

    प्रशन:
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
    (ख) लेखक की मानसिक स्थिति पर प्रकाश डालिए
    (ग) अपने घर को स्वीट होम क्यों कहा जाता है।
    (घ) लेखक किसे ‘गेट आउट’ कहने की धमकी दे रहा है

    Solution

    (क) पाठ-तुम कब जाओगे,अतिथि, लेखक-शरद जोशी।
    (ख) लेखक अपने घर पर टिके मेहमान से बहुत परेशान है। उसने सोचा था कि वह एकाध दिन ठहर कर चला जाएगा परन्तु जब चार दिन बाद भी उसने जाने का नाम नहीं लिया तो वह परेशान हो उठा।
    (ग) अपने घर को ‘स्वीट होम’ इसलिए कहा जाता है। क्योंकि वहाँ सब हमारे अपने होते है, किसी प्रकार की औपचारिकता, शालीनता या बोरियत नहीं होती, मनुष्य अपने स्वभाव के अनुसार वहाँ उठ बैठ और खा-पी सकता है।
    (घ) लेखक चार दिनों से अपने घर जमे मेहमान को 'गेट आउट' कहने की धमकी दे रहा था क्योंकि वह मेहमान के अनचाहे रूप से टिकने के कारण बहुत परेशान है।

    Question 5
    CBSEENHN9000504

    निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
    अपने खर्राटों से एक और रात गुंजायमान करने के बाद कल जो किरण तुम्हारे बिस्तर पर आएगी वह तुम्हारे यहाँ आगमन के बाद पाँचवें सूर्य की परिचित किरण होगी। आशा है, वह तुम्हें चूमेगी और तुम घर लौटने का सम्मानपूर्ण निर्णय ले लोगे। मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी। उसके बाद मैं स्टैंड नहीं कर सकूँगा और लड़खड़ा जाऊँगा। मेरे अतिथि, मैं जानता हूँ कि अतिथि देवता होता है, पर आखिर मैं भी मनुष्य हूँ। मैं कोई तुम्हारी तरह देवता नहीं। एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते। देवता दर्शन देकर लौट जाता है। तुम लौट जाओ अतिथि! इसी में तुम्हारा देवत्व सुरक्षित रहेगा। यह मनुष्य अपनी वाली पर उतरे, उसके पूर्व तुम लौट जाओ!

    प्रशन:
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
    (ख) लेखक ने खर्राटों का प्रसगं क्यों उठाया है?
    (ग) लेखक अतिथि से क्या उपेक्षा करता है?
    (घ) ‘एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर तक साथ नहीं रहते’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    (क) पाठ-तुम कब जाओगे, अतिथि, लेखक-शरद जोशी।
    (ख) लेखक खर्राटों का प्रसंग उठाकर यह कहना चाहता है कि उसके घर आया हुआ मेहमान बड़े आराम से मजे लूट रहा है। उसे घर जाने की चिन्ता नहीं है। वह मानो उसे अपना घर मानकर वही बस गया है।
    (ग) लेखक अतिथि से अपेक्षा करता है। कि वह शीघ्र ही उसका घर छोड़कर चला जाए। उसे रहते हुए चार दिन हो चुके हैं। पाँचवे दिन की सुबह होते ही उसे अपने घर चले जाना चाहिए।
    (घ) देवता थोड़े समय के लिए दर्शन देकर चले जाते है। मनुष्य उनका सम्मान करते है। मनुष्य अधिक देर तक देवता को झेल नहीं पाता। इसी प्रकार अतिथि भी थोड़े समय के लिए ही तो अच्छा लगता है। अधिक समय तक वह उसे झेल नहीं पाता।

    Question 6
    CBSEENHN9000505

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
    अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?

    Solution
    अतिथि लेखक के घर पर पिछले चार दिनों से रह रहा था और अभी तक जाने का नाम नहीं ले रहा था।
    Question 7
    CBSEENHN9000506

    कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही है?

    Solution
    कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से पंछी के पंखों की तरह फड़फड़ा रही है।
    Question 8
    CBSEENHN9000507

     पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?

    Solution
    पति ने स्नेह से भीगी मुस्कुराहट से मेहमान को गले लगाकर उसका स्वागत किया। रात के भोजन में दो प्रकार की सब्जियों और रायते के अलावा मीठी चीजों का भी प्रबन्ध किया गया था। उनके आने पर पत्नी ने उनका स्वागत सादर प्रणाम करके किया था।
    Question 9
    CBSEENHN9000508

    दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गई?

    Solution
    दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की गई अर्थात दोपहर के भोजन को लंच जैसा शानदार बनाया गया।
    Question 10
    CBSEENHN9000509

    तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?

    Solution
    तीसरे दिन सुबह अतिथि ने लॉण्ड्री में कपड़े देने को कहा क्योंकि वह उससे कपड़े धुलवाना चाहता था।
    Question 11
    CBSEENHN9000510

    सत्कार की उष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?

    Solution
    सत्कार की उष्मा समाप्त होने पर डिनर के स्थान पर खिचड़ी बनने लगी। खाने में सादगी आ गई और अब भी वह नहीं जाता तो उपवास तक रखना पड़ सकता था।
    Question 12
    CBSEENHN9000511

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?

    Solution
    लेखक अतिथि को भावपूर्ण विदाई देना चाहता था। वह अतिथि का भरपूर स्वागत कर चुका था। उसके सत्कार का आखिरी छोर आ चुका था। प्राचीनकाल में कहा जाता था। ‘अतिथि देवो भव’। अतिथि जब विवशता का पर्याय बन जाए तो उसे भाव विभोर होकर विदा नहीं किया जा सकता। अब लेखक चाहता था कि जब अतिथि विदा हो तब वह और उसकी पत्नी उसे स्टेशन तक छोड़ने जाएँ। वह उसे सम्मानजनक विदाई देना चाहता था। परन्तु उनकी यह मनोकामना पूर्ण नहीं हो पाई।
    Question 13
    CBSEENHN9000512

    (क) निन्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए:
     अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआाँ काँप गया।

    Solution
    लेखक कै घर में जब मेहमान बिना सूचना दिए आ गया तो उसे लगा कि उसका बटुआ हल्का हो जाएगा। उसके हृदय में बेचैनी हो रही थी कि इस अतिथि का सत्कार कैसे किया जाएगा। ऐसे मेहमान जो बिना सूचना के आते है और मेहमानबाजी के बाद घर नहीं लौटना चाहते थे। मेजबान का हाथ अपने बटुए पर चला जाता है। मन कंपकंपाने लगता है। खर्चे बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है। मनमाना व्यवहार अतिथि करता है। मन चाहता है कि जो आए वह शीघ्र ही वापिस लौट जाए। घर में गंभीरता छा जाती है। घर कार बजट गड़बड़ाने लगता है।
    Question 14
    CBSEENHN9000513

    (क) निन्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए:
    अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।

    Solution
    अतिथि यदि बिना तिथि के घर आते हैं तो अपना देवत्व खो बैठते हैं। ‘अतिथि देवा भव’ का मूल्य नगण्य हो जाता है। उन्हें देवता नहीं माना जा सकता। वह मानव जबरदस्ती दूसरों के घर में ठहरकर राक्षसत्व का स्वरूप पा लेता है। यदि अतिथि लम्बे समय तक ठहर जाता है तो वह अपना महत्व खो बैठता है। अधिक दिनों तक अतिथि का ठहरना व्याकुलता उत्पन्न कर देता है। उसकी विदाई की प्रतीक्षा में मन डूबने लगता है। अतिथि के मुख पर सुलभ व सहज मुस्कान होती है और वह मुस्कान लेखक की सहनशीलता को ठेस पहुंचाती है।
    Question 15
    CBSEENHN9000514

    (क) निन्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए:
    लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़े।

    Solution
    लोग अपने घर को तो स्वीट होम ही रखना चाहते हैं परन्तु दूसरे के घर की मिठास में जहर घोलते नजर आते है। अतिथि जब दूसरों के घर जाते हैं तो उनके घर की शांति नष्ट कर देते हैं, लोगों का आचरण दूसरों के जीवन को उथल-पुथल कर देता है। अतिथियों की मेहमानबाजी करने में बोरियत होती है। आर्थिक स्थिरता को बनाकर घर में लोग सुख-चैन की सांस ले रहे होते हैं। खान-पान, रहन-सहन सब ठाट-बाट का होता है। अचानक अतिथि का आगमन देवत्व का बोध नहीं करा पाता। घर की स्वीटनेस को काट डालता है। ऐसे लोगो को भाव भीनी विदाई देने का मन करता है जो दूसरों के घरों की सरसता कम कारण का  कारण-बनाते है।
    Question 16
    CBSEENHN9000515

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए:
    मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।

    Solution
    अतिथि यदि एक दो दिन के लिए ठहरे तो उसका आदर सत्कार होता है। परन्तु जब अधिक दिन ठहरे तो सहनशीलता की सीमा टूट जाती है। उससे अधिक उस अतिथि को झेलने की क्षमता उसमें समाप्त हो जाती है। उसे ‘गेट आउट’ कहने का मन करता है। आतिथ्य-सत्कार में भी अंतर आ जाता है। अतिथि अपने देवत्व को खोकर राक्षसत्व का बोध कराता है।
    Question 17
    CBSEENHN9000516

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए:
    एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।

    Solution
    अतिथि को देवता माना जाता है परन्तु यदि वह अधिक समय तक ठहरे तो उसका देवत्व समाप्त हो जाता है क्योंकि देवता तो थोड़ी देर के लिए दर्शन देकर चले जाते हैं। वे अधिक समय तक नहीं ठहरते। उनमें ईर्ष्या-द्वेष के भाव नहीं होते। घरेलू परिस्थितियों की जटिलताओं का सामना उन्हें नहीं करना पड़ता। परन्तु मनुष्य को उसकी परिस्थितियाँ प्रभावित करती है। घर की शांति को वह भंग नहीं करना चाहता। इस प्रकार विपरीत स्वभाव का एक ही म्यान में ठहरना नामुमकिन है।

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    Question 18
    CBSEENHN9000517

    (ख) निन्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए:
    कौन सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा।

    Solution
    मेहमानों को बिना बुलाए घर चले आने का आघात अप्रत्याशित था तथा उनके घर में रहकर नई-नई फरमाइशें करना उससे भी अधिक मार्मिक चोट थी। अचानक कह देना कि वह धोबी को कपड़े धोने के लिए देना चाहते है; लेखक की समीपता की बेल को रबर की भांति खींच देता है। तब उन्हें लगता है। अतिथि सदैव देवता नहीं होते। अच्छा अतिथि वही होता है जो सूचना देकर आए और निर्धारित लौट जाए। जैसा आदर-सत्कार हो उसे स्वीकार करे तथा मेजबान को यह सोचने पर विवश न करे कि! तुम कब जाओगे।
    Question 19
    CBSEENHN9000518

    (ख) निन्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए:
    ‘सबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना’-इस पंक्ति से आप क्या समझते है? विस्तार से लिखिए।

    Solution
    संक्रमण का अर्थ है-बदलाव। जैसे संक्रमेण काल अर्थात् एक स्थिति से दूसरी स्थिति में प्रवेश करना इस अवस्था को संधिकाल भी कहते है। इस स्थान पर आकर एक चीज अपना स्वरूप खो देती है तो दूसरा अपना स्वरूप ले लेती है। लेखक के साथ भी अतिथि के आने पर कुछ ऐसा ही हुआ। मधुर संबंध कटुता में परिवर्तित हो गए। सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गई। डिनर से खिचड़ी तक पहुंचकर अतिथि के जाने का चरम क्षण समीप आ गया था। घर के लोगों की शांति भंग होने लगी। अतिथि का मन भले ही घर लौटने का न हो परन्तु उसे अपने घर की ओर चल देना चाहिए। इस प्रकार मधुर स्थितियों की कटुता को उजागर किया गया है।
    Question 20
    CBSEENHN9000519

    (ख) निन्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए:
    जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?

    Solution

    जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के आतिथ्य में कमी आ गई। लंच और डिनर की विविधता कम हो गई। वह उसके जाने की प्रतीक्षा करने लगे। कभी कैलेंडर दिखाकर तो कभी नम्रता की आँखे दिखाकर। स्नेह-भीगी मुस्कुराहट कुछ ही दिनों में गायब हो जाती है। घर की शांति गड़बड़ाने लगती है। समीपता दूरी में बदलने लगती है। वे उसे स्टेशन तक छोड़ने जाना चाहते हैं परन्तु अतिथि है कि जाने का नाम नहीं लेता। लेखक के व्यवहार में निम्न परिवर्तन आए-
    1. खाने का स्तर डिनर से गिरकर खिचड़ी तक आ पहुंचा।
    2. वह गेट आउट कहने को भी तैयार हो जाता है।
    3. लेखक को अतिथि राक्षस के समान लगने लगता है।
    4. अब अतिथि के प्रति सत्कार की कोई भावना नहीं बनी रहती।
    5. भावनाएँ अब गालियों का स्वरूप ग्रहण करने लगती हैं।

    Question 21
    CBSEENHN9000520

    निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्याय लिखिए-
    चाँद,    जिक्र,    आघात,   उष्मा,   अंतरंग।

    Solution

    चाँद - चंद्रमा, शशि
    जिक्र - पूछना, कहना
    आघात - चोट, प्रहार
    उष्मा - गर्मी, ऊर्जा
    अंतरंग - घनिष्ठ, गहरा

    Question 29
    CBSEENHN9000528

    'अतिथि देवो भव ' उक्ति की व्याख्या करें तवा आधुनिक युग के सदंर्भ में इसका आकलन करें?

    Solution
    इस उक्ति का अर्थ है कि अतिथि देवता के समान होता है। यह उक्ति पहले समय में कभी ठीक रही होगी। आधुनिक युग में यह उक्ति उचित प्रतीत नहीं होती। आज लोगों के पास अपने लिए समय नहीं है। वे अतिथियों के स्वागत-सत्कार के लिए समय कैसे निकाले? आज के लोग कमाने, व्यापार बढ़ाने, कैरियर बनाने, पढ़ने-पढ़ाने में अधिक ध्यान देने लगे हैं। इसलिए आजकल अतिथि के आने पर उनकी खुशी बढ़ने की अपेक्षा कम होती है।
    Question 31
    CBSEENHN9000530

    अतिथि के अपेक्षा से अधिक रुक जाने पर लेखक की क्या-क्या प्रतिक्रियाएँ हुई। उन्हें कम से छाँटकर लिखिए 

    Solution

    दूसरे दिन मन में आया कि बस इस अतिथि को अब और अधिक नहीं झेला जा सकता।
    - तीसरे दिन उसका देवत्व समाप्त हो गया वह राक्षस दिखाई देने लगा।
    - चौथे दिन मुस्कान फीकी पड़ गई। बातचीत रूक गई। डिनर की बजाय खिचड़ी, बन गई। मन में आया कि उसे ‘गेट आउट’ कह दिया जाए।

    Question 32
    CBSEENHN9000531

    अतिथि के न जाने पर लेखक के मन में क्या विचार आ रहे थे?

    Solution
    लेखक में सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गई। डिनर का स्थान खिचड़ी ने ले लिया। अब भी अतिथि ने बिस्तर को गोलाकार रूप प्रदान नहीं किया तो लेखक के परिवार को उपवास तक जाना पड़ सकता है। अतिथि के जाने का यह चरम क्षण है।
    Question 33
    CBSEENHN9000532

    लेखक ने अतिथि को जाने का संकेत किन-किन उपायों से दिया?

    Solution
    लेखक ने अतिथि को जाने का संकेत देने के लिए कई उपाय किए। उसने अतिथि के सामने रोज-रोज तारीखें बदली, तारीखें बदलते समय इस बात को दोहराया कि आज यह तारीख हो चुकी है। उसने धोबी को कपड़े देने की बजाय लॉण्ड्री में देने का सुझाव दिया ताकि कपड़े जल्दी धुल सके। अन्त में लेखक ने मुस्कराना और बातचीत करना तक बंद कर दिया।
    Question 34
    CBSEENHN9000533

    घर की स्वीटनेस कब समाप्त हो जाती है?

    Solution
    घर की स्वीटनेस अर्थात् पारिवारिकता की मिठास तब समाप्त हो जाती है, जब कोई बाहर का अतिथि बिना किसी कारण अचानक आकर डेरा जमा लेता है। घर के सदस्यों को तब घर-घर नहीं लगता। वह आराम से नहीं रह पाता। जान-बूझकर उसे शिष्टता का दिखावा करना पड़ता है। वास्तविकता का स्थान नाटकीयता ले लेती है। खुलकर हँसना भी मुस्किल हो जाता है।

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