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तुम कब आओगे अतिथि - शरद जोशी

Question
CBSEENHN9000531

अतिथि के न जाने पर लेखक के मन में क्या विचार आ रहे थे?

Solution
लेखक में सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गई। डिनर का स्थान खिचड़ी ने ले लिया। अब भी अतिथि ने बिस्तर को गोलाकार रूप प्रदान नहीं किया तो लेखक के परिवार को उपवास तक जाना पड़ सकता है। अतिथि के जाने का यह चरम क्षण है।

Some More Questions From तुम कब आओगे अतिथि - शरद जोशी Chapter

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
उस दिन जब तुम आए थे, मेरा हृदय किसी अज्ञात आशंका से धड़क उठा था। अंदर-ही-अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया। उसके बावजूद एक स्नेह-भीगी मुस्कुराहट के साथ मैं तुमसे गले मिला था और मेरी पत्नी ने तुम्हे सादर नमस्ते की थी। तुम्हारे सम्मान में ओ अतिथि, हमने रात के भोजन को एकाएक उच्च-मध्यम वर्ग के डिनर में बदल दिया था। तुम्हें स्मरण होगा कि दो सब्जियों और रायते के अलावा हमने मीठा भी बनाया था। इस सारे उत्साह और लगन के मूल में एक आशा थी। आशा थी कि दूसरे दिन किसी रेल से एक शानदार मेहमाननवाजी की छाप अपने हृदय में ले तुम चले जाओगे।

प्रशन:
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
(ख) मेहमान के आते ही लेखक पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
(ग) लेखक तथा उसकी पत्नी ने मेहमान का किस प्रकार स्वागत किया?
(घ) रात्रिभोज को किस प्रकार गरिमापूर्ण बनाया गया?

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
तीसरे दिन की सुबह तुमने मुझसे कहा, “मैं धोबी को कपड़े देना चाहता हूँ।”
यह आघात अप्रत्याशित था और इसकी चोट मार्मिक थी। तुम्हारे सामीप्य की वेला एकाएक यों रबर की तरह खिंच जाएगी, इसका मुझे अनुमान न था। पहली बार मुझे लगा कि अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।
प्रशन:
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो
(ख) कौन-सा आघात अप्रत्याशित था?
(ग) लेखक को किस-किस का अनुमान नहीं था?
(घ) अतिथि कब देवता और कब राक्षस बन जाता है?

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
तुम्हें यहाँ अच्छा लग रहा है न! मैं जानता हूँ। दूसरों के यहाँ अच्छा लगता है। अगर बस चलता तो सभी लोग दूसरों के यहाँ रहते, पर ऐसा नहीं हो सकता। अपने घर की महत्ता के गीत इसी कारण गाए गए हैं। होम को इसी कारण स्वीट-होम कहा गया है कि लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़े। तुम्हें यहाँ अच्छा लग रहा है, पर सोचो प्रिय, कि शराफ़त भी कोई चीज होती है और गेट आउट भी एक वाक्य है, जो बोला जा सकता है।

प्रशन:
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
(ख) लेखक की मानसिक स्थिति पर प्रकाश डालिए
(ग) अपने घर को स्वीट होम क्यों कहा जाता है।
(घ) लेखक किसे ‘गेट आउट’ कहने की धमकी दे रहा है

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
अपने खर्राटों से एक और रात गुंजायमान करने के बाद कल जो किरण तुम्हारे बिस्तर पर आएगी वह तुम्हारे यहाँ आगमन के बाद पाँचवें सूर्य की परिचित किरण होगी। आशा है, वह तुम्हें चूमेगी और तुम घर लौटने का सम्मानपूर्ण निर्णय ले लोगे। मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी। उसके बाद मैं स्टैंड नहीं कर सकूँगा और लड़खड़ा जाऊँगा। मेरे अतिथि, मैं जानता हूँ कि अतिथि देवता होता है, पर आखिर मैं भी मनुष्य हूँ। मैं कोई तुम्हारी तरह देवता नहीं। एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते। देवता दर्शन देकर लौट जाता है। तुम लौट जाओ अतिथि! इसी में तुम्हारा देवत्व सुरक्षित रहेगा। यह मनुष्य अपनी वाली पर उतरे, उसके पूर्व तुम लौट जाओ!

प्रशन:
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
(ख) लेखक ने खर्राटों का प्रसगं क्यों उठाया है?
(ग) लेखक अतिथि से क्या उपेक्षा करता है?
(घ) ‘एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर तक साथ नहीं रहते’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?

कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही है?

 पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?

दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गई?

तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?

सत्कार की उष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?