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(क) पाठ-एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा, लेखिका-बचेंद्री पाल।
(ख) एवरेस्ट की तरफ देखने पर लेखिका को बर्फ का एक बड़ा भारी फूल दिखाई दिया। यह पर्वत के शिखर पर ध्वज की तरह लहरा रहा था। वास्तव में यह तेज हवा के चलने के कारण बनता था।
(ग) बर्फ का फूल शिखर पर 150 किलामीटर या उससे अधिक गति से हवा चलने के कारण बनता है।
(घ) जो पर्वतारोही हिमालय पर्वत के शिखर पर चढ़ते हैं, उन्हें खराब मौसम और बर्फ के तूफान का मुकाबला करना ही पड़ता है। राह में चलते-चलते हिम की आँधी भी चलने लगती हैं। जिसके कारण जीवन खतरे में पड़ जाता है।
क) पाठ-एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा, लेखिका-बचेंद्री पाल।
(ख) बर्फ़ के खंडों का अव्यवस्थित ढंग से गिरना हिमपात कहलाता है।
(ग) अभियान दल के सदस्यों को यह बताया गया कि ग्लेशियर के बहने से अक्सर बर्फ़ में हलचल हो जाती है, इससे बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्टानें तत्काल गिर जाया करती हैं। अन्य कारणों से भी खतरनाक स्थिति हो जाती है।
(घ) लेखिका को यह जानकारी मिली कि हिमपात के खतरे कोई अनहोनी नहीं हैं। ये संपूर्ण यात्रा में इसी तरह बने रहेंगे। हिमपात और हिमखंड का गिरना लगातार होता रहेगा। सभी आरोहियों और कुलियों को हिमपात की कठिनाईयाँ सहनी होंगी।
(क) पाठ-एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा, लेखिका-बचेंद्री पाल।
(ख) लेखिका ने अंगदोरजी के सामने आदर भाव से झुककर उनका सम्मान किया क्योंकि उसी ने लेखिका को पर्वत-शिखर पर पहुँचने के लिए प्रोत्साहित किया था।
(ग) अंगदोरजी की पर्वत-यात्रा की विशेषता यह थी कि वे बिना ऑक्सीजन लगाए पर्वत-यात्रा करते थे। उन्होंने दूसरी बार बिना ऑक्सीजन लगाए पर्वत शिखर को छूआ था।
(घ) कर्नल खुल्लर ने लेखिका को पर्वत-शिखर छूने पर बधाई दी। उसे देश का गौरव कहा और उसकी उपलब्धि को अनूठी सफलता कहा।
नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को इतना अच्छा लगा कि वह भौचक्की होकर देखती रही। उसने बेस-कैंप पहुँचने पर दूसरे दिन एवरेस्ट और उसकी अन्य श्रेणियों को देखा। वह इसके सौंदर्य को देखकर प्रभावित हुई। लहोत्से और नुत्से की ऊँचाई से घिरी बर्फीली टेढ़ी-मेढ़ी नदी को निहारती रही।
डॅा. मीनू मेहता ने उन्हें निम्न जानकारियाँ दीं?
- अल्युमिनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुलों का बनाना।
- लट्ठों और रस्सियों का उपयोग करना।
- बर्फ़ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना।
- अग्रिम दल के अभियांत्रिकी कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
किसी भी अनजान पथ पर जाते हुए यह जानकारी महत्वपूर्ण थी।
पर्वतीय यात्रा से पूर्व तैयारी करनी पड़ती है। रोमांचक यात्रा खतरनाक मोड़ ले लेती है, यदि विस्तृत जानकारी न हो।
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एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल सात कैंप लगाए गए थे।
1. बेसकैंप यह कैंप काठमांडू के शेरपालैंड में लगाया गया। पर्वतीय दल के नेता कर्नल खुल्लर यहीं रहकर एक-एक गतिविधि का संचालन कर रहे थे। उपनेता प्रेमचंद ने भी हिमपात संबंधी सभी कठिनाईयों का परिचय यही दिया।
2. कैंप एक: यह हिमपात से 6000 मीटर की ऊँचाई पर था। यहाँ हिमपात से सामान उठाकर कैंप तक लाये जाने का अभ्यास किया गया।
3. कैंप दो: 16 मई प्रात: सभी लोग इस कैंप पर पहुँचे। जिस शेरपा की टाँग टूट गई उसे स्ट्रेचर पर लिटाया गया।
4. कैंप तीन: यह ल्होत्से पहाड़ियों के गन में स्थित था। यहाँ नाइलॉन के बने तंबू में लेखिका और उसके सभी साथी सोए हुए थे। इसमें 10 व्यक्ति थे रात 12.50 बजे एक हिमखंड उन पर आ गिरा।
5. कैंप चार: यह समुंदर के 7900 मीटर ऊपर था। यहीं से साउथ कैंप और शिखर कैंप के लिए चढ़ाई की गई। यह 29 अप्रैल 1984 को अंगदोरजी, लोपसांग और गगन बिस्सा ने लगाया था।
6. साउथ पोल कैंप: यहीं से अंतिम दिन की चढ़ाई शुरू हुई।
7. शिखर कैंप: यह पर्वत की सर्वोत्तम चोटी से ठीक नीचे स्थित है। इस कैंप में लेखिका और अंगदोरजी केवल दो घंटे में पहुँच गया। चोटी पर पहुँचने से पहले यहीं आराम करके चाय पी ली।
निहारा है-प्रसन्नतापूर्वक देखा है।
लेखिका ने नमचे बाज़ार में पहुँचकर सबसे पहले एवरेस्ट को देखा था वह उसे देखते ही उसके सौंदर्य पर मुग्ध हो गई। इसलिए लेखिका इसे मात्र देखा न कहकर ‘निहारा’ करती है।
धसकना-नीचे को धँसना।
जब धरती का कुछ हिस्सा नीचे की ओर दब जाता है उसे धसकना कहते हैं।
खिसकना-अपनी जगह से हटकर परे चले जाना।
हिमपात से बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्टानें खिसक जाती हैं।
सागरमाथा-संसार का सबसे ऊँचा स्थान।
जिस स्थान ने बचेंद्री पाल ने हिमालय की चढ़ाई आरंभ की, वह स्थान समुद्र तल का सर्वोच्च स्थान है। इसलिए उसे सागरमाथा ठीक ही कहा गया है।
नौसिखिया-अनजान।
तेनजिंग के सामने बचेंद्री पाल ने स्वयं को नौसिखिया पर्वतारोही कहा।
(क) उन्होंने कहा, ‘‘तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।”
(ख) क्या तुम भयभीत हो!
(ग) ‘तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली? बचेंद्री।
नियमित - अनियमित विख्यात - कुख्यात
आरोही - अवरोही निश्चित - अनिश्चित
सुंदर - असुंदर
वास - प्रकस
व्यवस्थित - सुव्यवस्थित
कूल - प्रतिकूल, अनुकूल
गति - प्रगति
रोहण - आरोहण
रक्षित - आरक्षित
(क) मैं सुबह तक यह कार्य कर लूँगा।
(ख) बादल घिरने के कुछ देर बाद ही वर्षा हो गई।
(ग) उसने बहुत कम समय में इतनी तरक्की कर ली।
(घ) नाडकेसा को अगले दिन गाँव जाना था।
1. बेस कैंप 2. एवरेस्ट 3. किलोमीटर
4. ग्लेशियर 5. वॉकी-टॉकी 6. साउथ
7. कुकिंग गैस 8. स्ट्रेचर 9. थरमस
10. नाइलॉन
1 लट्ठे 2. थरमस 3. तंबू
4. धुरी 5. वॉकी-टॉकी 6. ऑक्सीजन
7. फावड़ा 8. ऑक्सीजन की सीढ़ी 9. इंडिया
10. नाइलॉन की रस्सी
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