संचयन भाग १ Chapter 6 दिये जल उठे - मधुकर उपाध्याय
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    NCERT Solution For Class 9 About 2.html संचयन भाग १

    दिये जल उठे - मधुकर उपाध्याय Here is the CBSE About 2.html Chapter 6 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 About 2.html दिये जल उठे - मधुकर उपाध्याय Chapter 6 NCERT Solutions for Class 9 About 2.html दिये जल उठे - मधुकर उपाध्याय Chapter 6 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 About 2.html.

    Question 1
    CBSEENHN9001158

    किस कारण से प्रेरित हो स्थानीय कलेक्टर ने पटेल को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया?

    Solution
    झँडी कूच की तैयारी के सिलसिले में वल्लभ भाई पटेल 7 मार्च को रास पहुँचे थे। उन्हें वहाँ भाषण नहीं देना था लेकिन आए लोगों ने सरदार को दो शब्द भाषण में बोलने के लिए कहा। उन्होंने लोगों से सत्याग्रह के लिए तैयार होने के लिए कहा। इस कार्य को शासन के विरूद्ध माना गया। यही कारण था कि कलेक्टर ने उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया। पटेल को गिरफ्तार कर लिया गया।
    Question 2
    CBSEENHN9001159

    जज को पटेल की सज़ा ले लिए आठ लाइन के फ़ैसले को लिखने में डेढ़ घंटा क्यों लगा? स्पष्ट करें।

    Solution
    जज को पटेल की सजा के लिए आठ लाइन के फैसले को लिखने के लिए डेढ़ घंटा इसलिए लगा क्योंकि उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि किस धारा के तहत उन पर आरोप लगाया जाए और उन्हें जेल भेजा जाए। उस समय पटेल को 500 रूपए के जुर्माने के साथ 3 महीने की जेल की सजा हुई। पुलिस पहरे में ही तोरसद की अदालत में लाया गया। जज के सामने ही उन्होंने अपना अपराध कबूल किया था। वे उन्हें कितनी और किस प्रकार की सजा दें यह तथ्य उनकी समझ में नहीं आ रहा था।
    Question 3
    CBSEENHN9001160

    “मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।” यहाँ पटेल के कथन का आशय उद्धरत् पाठ के सदंर्भ में स्पष्ट कीजिए?

    Solution
    सरदार पटेल को जब सजा सुना दी गई तो उन्हें अहमदाबाद साबरमती जेल ले जाया गया। साबरमती आश्रम में गाँधी जी को पटेल की गिरफ्तारी, उनकी सजा और साबरमती जेल ले जाए जाने की सूचना थी। गाँधी जी इस गिरफ्तारी से बहुत क्रोधित थे। उन्होनें दांडी कूच की तारीख बदलने का निर्णय ले लिया। आश्रम में एक-एक व्यक्ति यह हिसाब लगा रहा था कि मोटर कार द्वारा वोरसद से साबरमती जेल पहुँचने में कितना समय लगेगा। जेल का रास्ता आश्रम के सामने से ही होकर जाता था। आश्रमवासी पटेल की एक झलक पाना चाहते थे। समय का अनुमान लगाकर गाँधी जी स्वयं आश्रम से बाहर निकल आए। पीछे-पीछे सभी आश्रमवासी आकर सड़क के किनारे खड़े हो गए लोगों का अनुमान था कि गाड़ी नहीं रूकेगी परन्तु उनके रोब के कारण गाड़ी रूकी तब पटेल ने गाँधी जी से कहा कि वे चलते हैं। अब उनकी बारी हैं। उन्होंने तो आंदोलन का प्रारम्भ कर दिया है। अब जन जागृति फैलाने की उनकी बारी हहै।यह पंक्ति का प्रतीकार्थ हैं।
    Question 4
    CBSEENHN9001161

    “इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखे”- गाँधीजी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में कहा?

    Solution
    रास में गाँधी जी का भव्य स्वागत किया गया। दरबार समुदाय के लोग इसमें सबसे आगे थे। दरबार गोपालदास और रविशंकर महाराज वहाँ मौजूद थे। उन्होंने अपने भाषण में दरवारों का खासतौर पर उल्लेख किया है। ये रियासतदार होते हैं। इन्हें साहबी भी कहा गया है। ऐशो आराम की जिंदगी भी एक तरह का राजपाट था। दरबार सभी कुछ छोड्‌कर यहाँ बस गए थे। कभी गाँधी जी ने कहा था कि इनसे त्याग और साहस की परिभाषाएँ सीखनी चाहिए। धैर्य, त्याग और साहस के द्वारा ही अंग्रेजी शासन को बाहर खदेड़ा जा सकता है।
    Question 5
    CBSEENHN9001162

    पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि- 'कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है। अपने शब्दों में लिखिए। 

    Solution
    स्वतन्त्रता संग्राम किसी व्यक्ति विशेष से संबधित नहीं था। विदेशी शासन के अत्याचार बढ़ते जा रहे थे। उनके लिए कानून के दायरे में रह कर काम करना असंभव था। कैसी भी कठिन परिस्थिति हो भारतीयों को उनका सामना करना आता था। वह आपसी से कार्य करने में निपुण थे। एक के पीछे एक पंक्ति बनाकर खड़े हो जाते थे और आशा के दीपक जलने लगते थे। विदेशी शासन थोड़ी सी आवाज बुलंद करने वालों को जेल में डाल दिया करते थे परन्तु पटेल की दृढ़ संकल्प शक्ति के सामने उनकी तकनीक सफल नहीं हुई। पटेल के रोब से पुलिस वालों को मोटर-गाड़ी रोकनी पड़ी थी गाँधी जी की आवाज ने सोने पर सुहागा का काम किया। देशभर में आजादी की लहर दौड़ गई। गाँधी जी के मिलन और सूझ-बूझ ने कठिन परिस्थितियों पर काबू पाकर लोगों के हृदय में स्थान बना लिया।
    Question 6
    CBSEENHN9001163

    महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए?

    Solution
    रात 12 बजे महिसागर नदी का किनारा लोगों की भीड़ से भर गया। घना अँधेरा छाया हुआ था। सत्याग्रहियों के आने का इंतजार हो रहा था। गाँधी जी बाहर निकले और घुटनों तक पानी में चलकर नाव तक पहुँचे। महात्मा गाँधी की जय, सरदार पटेल की जय, नेहरू की जय के नारों से महिसागर नदी का किनारा गूँज रहा था। नाव रवाना हुई। उसे निषादराज चला रहे थे। कुछ ही दूर में नारों की आवाज नदी के दूसरे तट से भी आने लगी थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे नदी का किनारा न हो पहाड़ की घाटी हो जहाँ प्रतिध्वनि सुनाई दे रही थी। महिसागर के दूसरे तट पर भी स्थिति बिलकुल वैसी ही थी। गाँधी जी के पार करने के बाद तट पर दिये लेकर खड़े लोग खड़े ही रह गए। अभी सत्याग्रहियों को भी उस पार जाना था। शायद उन्हें पता था कि रात में कुछ और लोग आएँगे जिन्हें नदी पार करनी होगी।
    Question 7
    CBSEENHN9001164

    “यह धर्मयात्रा है चलकर पूरी करूँगा”-  गाँधीजी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है?

    Solution
    यह धर्म यात्रा चलकर पूरी करूँगा। गाँधी का यह कथन अटूट साहस, उत्साह और तीव्र लगन का परिचय देता है। गाँधी जी मानते हैं कि धर्म मार्ग सत्य व अहिंसा का मार्ग है। मन वचन कर्म की पवित्रता अनिवार्य है। ऐसी यात्रा उनकी अंतिम यात्रा है। इसे उन्होंने धर्म यात्रा का नाम दिया है। ऐसी यात्रा के लिए वे वाहनों का प्रयोग नहीं करना चाहते थे। धर्म यात्रा में हवाई जहाज, मोटर या बैलगाड़ी में जाने वाले को लाभ नहीं मिलता। यात्रा में कस्ट सहना पड़ता है। लोगों का दर्द समझना पड़ता है। तभी यात्रा सफल होती है। गाँधी जी किसी भी तरह विदेशी शासन के राक्षसी राज के अनुसार काम करने के लिए तैयार नहीं थे।
    Question 8
    CBSEENHN9001165

    गाँधी जी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी इन बात से सहमत नहीं थे कि गाँधी कोई काम अचानक और चुपके से करेंगे फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम उठाए?

    Solution
    गाँधी जी सत्य व अहिंसा के पुजारी थे। झूठ बोलकर और चोरी से काम करना उनकी शैली में नहीं था। उनकी व्यक्तित्व की विशेषताओं से वरिष्ठ अधिकारी भी परिचित थे। ब्रिटिश शासकों में एक ऐसा वर्ग भी था जिसे लग रहा था गाँधी जी और उनके सत्याग्रही नदी के किनारे अचानक पहुँचकर नमक बनाकर कानून तोड़ देंगे। समुंद्री पानी नदी तट पर काफी नमक छोड़ जाता है जिसकी रखवाली के लिए चौकीदार रखे जाते हैं। वे मानते ही नहीं हैं कि कोई काम गाँधी जी अचानक या चुपके से करेंगे। इसके भी नदी के तट से सारे नमक के भंडार हटा दिए गए और उन्हें नष्ट करा दिया गया। ताकि इसका खतरा ही न रहे। जी द्वारा बनाई गई योजना ने बरिष्ठ अधिकारियों को हैरानी में डाल दिया।
    Question 9
    CBSEENHN9001166

    गाँधीजी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर क्यों खड़े रहे?

    Solution
    गाँधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर इसलिए खड़े रहे क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि अभी और कुछ लोग रात में नदी पार करेंगे क्योंकि सत्याग्रहियों को भी उस पार जाना था। लोगों की यह भावना विपरीत परिस्थिति में हिम्मत व साहस से डटे रहने का परिचय देती है।
    Question 10
    CBSEENHN9001167

    सरदार पटेल की गिरफ़्तारी पर देशवासी सुब्धं क्यों हो उठे?

    Solution
    सरदार पटेल को गैर कानूनी ढंग से गिरफ्तार किया गया था जब वे रास में पहुँचकर जनसभा में भाषण दे रहे थे तब उन पर निषेधाज्ञा लागू नहीं थी। स्थानीय मजिस्ट्रेट ने अपनी दुश्मनी निकालने के लिए तत्काल निषेधाज्ञा लागू कर दी और उन्हें बिना कोई अवसर दिए गिरफ़्तार कर लिया। यह कार्य अन्यायपू था। इसलिए सारे देश वासी क्षुब्ध हो उठे।
    Question 11
    CBSEENHN9001168

    दरवार लोग कौन थे?

    Solution
    दरवार लोग बड़े-बड़े रियासतदार थे। उन्होंने अपनी इच्छा से रियासत की सुख-सुविधाएँ त्याग दी थी और राष्ट्रीय आंदोलन में लग गए थे। ये रास में ही बस गए थे। इसलिए गाँधीजी ने इन्हें त्याग के उदाहरण के रूप में पेश किया।
    Question 12
    CBSEENHN9001169

    गाँधी जी ने किस राज को राक्षसी राज कहा और क्यों?

    Solution
    गांधी जी ने ब्रिटिश राज को ‘राक्षसी राज’ कहा है। उनके अनुसार यह सरकार गाँवों को लूटने में लगी हुई है इस राज में राजा से लेकर रंक तक सभी दुखी है।
    Question 13
    CBSEENHN9001170

    लोग अपने हाथों में दिए लेकर किसलिए खड़े थे?

    Solution
    गाँधी जी आधी रात को महिसागर नदी पार करने वाले थे। घनघोर अँधेरी रात थी। ऐसे समय में रोशनी करने के लिए हजारों की संख्या में देशवासी अपने-अपने हाथों में दिये लेकर नदी के किनारे उपस्थित थे, ताकि गाँधीजी तथा अन्य सत्याग्रहियों को परेशानी न हो।

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