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दिये जल उठे - मधुकर उपाध्याय

Question
CBSEENHN9001164

“यह धर्मयात्रा है चलकर पूरी करूँगा”-  गाँधीजी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है?

Solution
यह धर्म यात्रा चलकर पूरी करूँगा। गाँधी का यह कथन अटूट साहस, उत्साह और तीव्र लगन का परिचय देता है। गाँधी जी मानते हैं कि धर्म मार्ग सत्य व अहिंसा का मार्ग है। मन वचन कर्म की पवित्रता अनिवार्य है। ऐसी यात्रा उनकी अंतिम यात्रा है। इसे उन्होंने धर्म यात्रा का नाम दिया है। ऐसी यात्रा के लिए वे वाहनों का प्रयोग नहीं करना चाहते थे। धर्म यात्रा में हवाई जहाज, मोटर या बैलगाड़ी में जाने वाले को लाभ नहीं मिलता। यात्रा में कस्ट सहना पड़ता है। लोगों का दर्द समझना पड़ता है। तभी यात्रा सफल होती है। गाँधी जी किसी भी तरह विदेशी शासन के राक्षसी राज के अनुसार काम करने के लिए तैयार नहीं थे।

Some More Questions From दिये जल उठे - मधुकर उपाध्याय Chapter

पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि- 'कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है। अपने शब्दों में लिखिए। 

महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए?

“यह धर्मयात्रा है चलकर पूरी करूँगा”-  गाँधीजी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है?

गाँधी जी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी इन बात से सहमत नहीं थे कि गाँधी कोई काम अचानक और चुपके से करेंगे फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम उठाए?

गाँधीजी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर क्यों खड़े रहे?

सरदार पटेल की गिरफ़्तारी पर देशवासी सुब्धं क्यों हो उठे?

दरवार लोग कौन थे?

गाँधी जी ने किस राज को राक्षसी राज कहा और क्यों?

लोग अपने हाथों में दिए लेकर किसलिए खड़े थे?