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दिये जल उठे - मधुकर उपाध्याय

Question
CBSEENHN9001163

महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए?

Solution
रात 12 बजे महिसागर नदी का किनारा लोगों की भीड़ से भर गया। घना अँधेरा छाया हुआ था। सत्याग्रहियों के आने का इंतजार हो रहा था। गाँधी जी बाहर निकले और घुटनों तक पानी में चलकर नाव तक पहुँचे। महात्मा गाँधी की जय, सरदार पटेल की जय, नेहरू की जय के नारों से महिसागर नदी का किनारा गूँज रहा था। नाव रवाना हुई। उसे निषादराज चला रहे थे। कुछ ही दूर में नारों की आवाज नदी के दूसरे तट से भी आने लगी थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे नदी का किनारा न हो पहाड़ की घाटी हो जहाँ प्रतिध्वनि सुनाई दे रही थी। महिसागर के दूसरे तट पर भी स्थिति बिलकुल वैसी ही थी। गाँधी जी के पार करने के बाद तट पर दिये लेकर खड़े लोग खड़े ही रह गए। अभी सत्याग्रहियों को भी उस पार जाना था। शायद उन्हें पता था कि रात में कुछ और लोग आएँगे जिन्हें नदी पार करनी होगी।

Some More Questions From दिये जल उठे - मधुकर उपाध्याय Chapter

“इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखे”- गाँधीजी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में कहा?

पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि- 'कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है। अपने शब्दों में लिखिए। 

महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए?

“यह धर्मयात्रा है चलकर पूरी करूँगा”-  गाँधीजी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है?

गाँधी जी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी इन बात से सहमत नहीं थे कि गाँधी कोई काम अचानक और चुपके से करेंगे फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम उठाए?

गाँधीजी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर क्यों खड़े रहे?

सरदार पटेल की गिरफ़्तारी पर देशवासी सुब्धं क्यों हो उठे?

दरवार लोग कौन थे?

गाँधी जी ने किस राज को राक्षसी राज कहा और क्यों?

लोग अपने हाथों में दिए लेकर किसलिए खड़े थे?