संचयन भाग १ Chapter 4 मेरा छोटा- सा निजी पुस्तकालय - धर्मवीर भारती
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    NCERT Solution For Class 9 About 2.html संचयन भाग १

    मेरा छोटा- सा निजी पुस्तकालय - धर्मवीर भारती Here is the CBSE About 2.html Chapter 4 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 About 2.html मेरा छोटा- सा निजी पुस्तकालय - धर्मवीर भारती Chapter 4 NCERT Solutions for Class 9 About 2.html मेरा छोटा- सा निजी पुस्तकालय - धर्मवीर भारती Chapter 4 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 About 2.html.

    Question 1
    CBSEENHN9001136

    लेखक का ऑपरेशन करने से सर्जन क्यों हिचक रहे थे?

    Solution
    लेखक को तीन-तीन जबरदस्त हाई-अंक आए थे। कुछु डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कुर दिया था। लेकिन डॉक्टर बोर्जिस हिम्मत नहीं हारी थी। उन्होंने नौ सौ वॉल्टस के शॉक्स दिए थे। उनका मानना था कि यदि शरीर मृत है तो दर्द महसूस नहीं होगा। परन्तु इस प्रयोग में साठ प्रतिशत हार्ट सदा के लिए नष्ट हो गया केवल चालीस प्रतिशत बचा। ओपन हार्ट ऑपरेशन करने की जरुरत थी। उसी में डॉक्टर हिचक रहे थे केवल चालीस प्रतिशत हार्ट ऑपरेशन के बाद रिवाइव नहीं हुआ तो क्या होगा। अन्य विशेषज्ञों की राय ली गई। कुछ दिन बाद ऑपरेशन की बात की गई।
    Question 2
    CBSEENHN9001137

    ‘किताबों वाले कमरे’ में रहने के पीछे लेखक के मन में क्या भावना थी?

    Solution
    किताबों वाले कमरें में रहने के पीछे लेखक के मन में पुस्तकों का वह संकलन था जो उसके बचपन से लेकर आज तक संबंधित था। जब उन्हें अस्पताल से घर लाया गया तो उन्होनें ज़िद की थी कि वे अपने आपको उनके साथ जुड़ा हुआ अनुभव कर सकें। उनके प्राण इन हजारों किताबों में बसे हुए थे। जो पिछले चालीस-पचास बरस में धीरे-धीरे जमा होती गई थीं।
    Question 3
    CBSEENHN9001138

    लेखक के घर में कौन-कौन-सी पत्रिकाएँ आतीं थी?

    Solution
    लेखक को किताब पढ़ने व सहेजने का शौक बचपन से था। उस समय आर्य समाज का सुधारवादी आंदोलन अपने पूरे जोर पर था। उनके पिता आर्य समाज रानी मंडी के प्रधान थे और माँ ने स्त्री शिक्षा के लिए आदर्श कन्या पाठशाला की स्थापना की। वे घर में ‘सत्यार्थ-प्रकाश’ और स्वामी दयानंद की जीवनी बड़ी रुचि से पढ़ते थे। उनकी रोमांचक कथाएँ उन्हें प्रभावित करती थीं। वह ‘बालसखा’ चमचम की कहानियाँ पढ़ते थे। उसी से उन्हें किताबें पढ़ने का शौक लगा। पाँचवी कक्षा में प्रथम आने पर अंग्रेजी की दो किताबों ने उनके लिए नई दुनिया का द्वार खोल दिया था। पिता की प्रेरणा से उन्होंने अपनी किताबों को इकट्‌ठा करना शुरू कर दिया था। इससे उनके निजी पुस्तकालय की शुरूआत हो गई।
    Question 4
    CBSEENHN9001139

    लेखक को किताबें पढ़ने और सहेजने का शौक कैसे लगा?

    Solution
    लेखक को किताबें पढ़ने और सहेजने का शौक बचपन से था। उस समय आर्य समाज का सुधारवादी आंदोलन अपने पूरे जोर पर था। उनके पिता आर्य समाज रानी मंडी के प्रधान थे और माँ ने स्त्री शिक्षा के लिए आदर्श कन्या पाठशाला की स्थापना की थी। उनके घर में कई पुस्तकें थीं। वह घर में सत्यार्थ-प्रकाश और दयानंद सरस्वतीं की जीवनी बड़ी रूचि से पढ़ते थे। उनकी रोमांचक घटनाएँ उन्हें बड़ा प्रभावित करती थीं। वह बाल-सखा और चमचम की कथाएँ पढ़ते थे। उसी से उन्हें किताबें पढ़ने का शौक लगा। पाँचवी कथा में प्रथम आने पर अंग्रेजी की दो किताबें इनाम में मिली थीं। इन दो किताबों ने उनके लिए नई दुनिया का द्वार खोल दिया था। पिताजी की प्रेरणा से उन्होंने अपनी किताबों को इकट्‌ठा करना शुरू कर दिया था। इनसे उनके निजी पुस्तकालय की शुरूआत हो गई।
    Question 5
    CBSEENHN9001140

    माँ लेखक की स्कूली पढ़ाई को लेकर क्यों चितित रहती थी?

    Solution
    लेखक स्कूल की किताबों के अतिरिक्त बाकी किताबें ज्यादा पढ़ता था। वह कक्षा की किताबें नहीं पढ़ता था। माँ को चिंता थी कि कहीं वह साधु बनकर घर से भाग न जाए। उनका मानना था कि जीवन में यही पढ़ाई काम आएगी। माँ कि चिंता को मिटाने के लिए लेखक ने पिता के कहने पर पाठ्‌य-पुस्तकों का अध्ययन करना आरम्भ कर दिया। तीसरी चौथी कक्षा में अच्छे अंक लाकर माँ की चिंता दूर कर दी। जब पाँचवी कक्षा में प्रथम आए तब माँ ने आँसू भरकर उन्हें गले से लगा लिया।
    Question 6
    CBSEENHN9001141

    स्कूल से इनाम में मिली अंग्रेज़ी की दोनों पुस्तकों ने किस प्रकार लेखक के लिए नयी दुनिया के द्वार खोल दिए?

    Solution
    स्कूल से इनाम में मिली अंग्रेजी की दोनों पुस्तकों ने लेखक के लिए नई दुनिया के द्वार खोल दिए। एक पुस्तक में पक्षियों के बारे में काफी जानकारी थी। विभिन्न पक्षियों की जातियों, उनकी बोलियों, उनकी आदतों की जानकारी उसमें दी गई थी। दूसरीं किताब थी ट्रस्टी द रग जिसमें पानी के जहाजो की कथाएँ थीं। जहाज कितने प्रकार के दातें हैं कौन-कौन सा माल लादकर लाते हैं, कहाँ से लाते है, कहाँ जाते हैं आदि की जानकारी मिलती है। इन दो किताबों से हमें पक्षियों से भरे आकाश और रहस्यों से भरे समुन्दर के बारे में पता चलता है। पिता ने अलमारी के एक खाने से अपनी चीजे हटाकर जगह बनाई और मेरी दोनों किताबें उस खाने में रखकर कहा कि-आज से यह खाना तुम्हारी अपनी किताबों का। यह तुम्हारी अपनी लाइब्रेरी हैं। इस प्रकार लेखक का नया मार्ग प्रशस्त हो गया।
    Question 7
    CBSEENHN9001142

    ‘आज से यह खाना तुम्हारी अपनी किताबों का। यह तुम्हारी अपनी लीइब्रेरी है’- पिता के इस कथन से लेखक को क्या प्रेरणा मिली?

    Solution
    आज से यह खाना तुम्हारी अपनी किताबों का, यह तुम्हारी अपनी लाइब्रेरी है। पिताजी के इस कथन ने लेखक में पुस्तकों के संकलन की चाह पैदा की। यहाँ से आरम्भ हुई उस बच्चे की लाइब्रेरी। बच्चा किशोर हुआ, स्कूल से कॉलेज कॉलेज से युनिवर्सिटी गया, डॉक्टरेट हासिल की, युनिवर्सिटी में अध्यापन किया, अध्यापन छोड़कर इलाहाबाद से बंबई आया संपादन किया। उसी अनुपात में अपनी लाइब्रेरी का विस्तार करता गया। किताबें पढ़ने का शौक तो ठीक, किताबें इकट्‌ठी करने की सनक सवार हुई। बचपन के अनुभव तथा पिता के कथन की प्रेरणा से उनकी घरेलू लाइब्रेरी को स्थापित किया।
    Question 8
    CBSEENHN9001143

    लेखक द्वारा पहली पुस्तक खरीदने की घटना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

    Solution
    पिता के देहावसान के बाद तो आर्थिक संकट इतना बढ़ गया कि पूछिए मत। फीस जुटाना तक मुश्किल था। अपने शौक की किताबें खरीदना तो संभव ही नहीं था। राम ट्रस्ट से योग्य पर असहाय छात्रों को पाठ्यपुस्तकें खरीदने के लिए कुछ रुपए सत्र के आरम्भ में मिलते थे। उनमें लेखक प्रमुख पाठ्‌य पुस्तके सेकेंड-हैंड’ खरीदता था। बाकी अपने सहपाठियों से लेकर पढ़ता और नोट्‌स बना लेता। एक बार जाने कैसे पाठ्‌यपुस्तकें खरीदकर भी दो रूपए बच गए थे उसने देवदास फिल्म देखने का निर्णय किया। तभी पुस्तक की दुकान पर शरतचंद्र चट्‌टोपाध्याय की देवदास को देखा। उसने वह पुस्तक खरीद ली और बाकी के बचे पैसे खर्च करने की बजाए माँ को लौटा दिए। इस प्रकार लेखक ने अपनी पहली पुस्तक खरीदी।
    Question 9
    CBSEENHN9001144

    ‘इन कृतियों बीच अपने को कितना मेरा-भरा महसूस करता हूँ’- का आशय स्पष्ट कीजिए?

    Solution
    आज जब अपने पुस्तक संकलन पर नजर डालता हूँ जिसमें हिन्दी, अंग्रेजी के उपन्यास, नाटक, काव्य संकलन, जीवनियाँ, संस्मरण, इतिहास, कला, पुरातत्व, राजनीति की हजारों पुस्तकें हैं तब कितनी शिद्‌दत से याद आती है अपनी पहली पुस्तक की खरीददारी। रेनर मारिया, रिटके, स्टीफेन, ज्वीना मोपाँसा, चेरवत, टालस्टाय, आदि के साथ हुसैन पिकासो, ब्रगेल तथा हिन्दी में कबीर, तुलसी, सूरदास, प्रेमचंद, निराला, महादेवी वर्मा और न जाने कितने लेखकों, चिंतकों की इन कृत्तियों के बीच अपने को कितना भरा-भरा महसूस करता हूँ। इन किताबों के बीच लेखक अपने आप को अकेला महसूस नहीं करता था। उसे किताबों को देखकर संतोष होता है।
    Question 10
    CBSEENHN9001145

    लेखक अपने कमरे में लेटे-लेटे क्या देखता रहता था?

    Solution
    लेखक अपने कमरे में लेटे-लेटे दो ही चीजें देखता रहता था। खिड़की के बाहर हवा में झूलते सुपारी के पेड़ के झालरदार पत्ते और कमरे के अंदर चारों ओर किताबों से ठसा-ठस भरी अलमारियाँ।
    Question 11
    CBSEENHN9001146

    लेखक के बाल्यकाल में कौन-सा आंदोलन चल रहा था?

    Solution
    लेखक के बाल्यकाल में आर्य समाज का सुधारवादी आंदोलन चल रहा था। यह जन आंदोलन समाज में फैली कुरीतियों और अंधविश्वासों के खिलाफ था।
    Question 12
    CBSEENHN9001147

    मराठी के प्रसिद्ध कवि ने भारती को क्या कहा?

    Solution
    मराठी के वरिष्ठ कवि विंदा करंदीकर ने लेखक धर्मवीर भारती को कहा-भारती, ये सैकड़ो महापुरूष जो पुस्तक रूप में तुम्हारे चारों और विराजमान है: इन्हीं के आशीर्वाद से तुम्हें नया जीवन मिला है।
    Question 13
    CBSEENHN9001148

    लेखक ने फिल्म न देखकर पुस्तक क्यो खरीदी?

    Solution
    लेखक ने फिल्म न देखकर देवदास नामक पुस्तक खरीदी। इसके दो कारण थे। पहला-पुस्तक विक्रेता पुस्तक के दाम कम ले रहा था। दूसरा लेखक को पुस्तकों से बेहद प्रेम था।

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