Question
‘इन कृतियों बीच अपने को कितना मेरा-भरा महसूस करता हूँ’- का आशय स्पष्ट कीजिए?
Solution
आज जब अपने पुस्तक संकलन पर नजर डालता हूँ जिसमें हिन्दी, अंग्रेजी के उपन्यास, नाटक, काव्य संकलन, जीवनियाँ, संस्मरण, इतिहास, कला, पुरातत्व, राजनीति की हजारों पुस्तकें हैं तब कितनी शिद्दत से याद आती है अपनी पहली पुस्तक की खरीददारी। रेनर मारिया, रिटके, स्टीफेन, ज्वीना मोपाँसा, चेरवत, टालस्टाय, आदि के साथ हुसैन पिकासो, ब्रगेल तथा हिन्दी में कबीर, तुलसी, सूरदास, प्रेमचंद, निराला, महादेवी वर्मा और न जाने कितने लेखकों, चिंतकों की इन कृत्तियों के बीच अपने को कितना भरा-भरा महसूस करता हूँ। इन किताबों के बीच लेखक अपने आप को अकेला महसूस नहीं करता था। उसे किताबों को देखकर संतोष होता है।