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मेरा छोटा- सा निजी पुस्तकालय - धर्मवीर भारती

Question
CBSEENHN9001139

लेखक को किताबें पढ़ने और सहेजने का शौक कैसे लगा?

Solution
लेखक को किताबें पढ़ने और सहेजने का शौक बचपन से था। उस समय आर्य समाज का सुधारवादी आंदोलन अपने पूरे जोर पर था। उनके पिता आर्य समाज रानी मंडी के प्रधान थे और माँ ने स्त्री शिक्षा के लिए आदर्श कन्या पाठशाला की स्थापना की थी। उनके घर में कई पुस्तकें थीं। वह घर में सत्यार्थ-प्रकाश और दयानंद सरस्वतीं की जीवनी बड़ी रूचि से पढ़ते थे। उनकी रोमांचक घटनाएँ उन्हें बड़ा प्रभावित करती थीं। वह बाल-सखा और चमचम की कथाएँ पढ़ते थे। उसी से उन्हें किताबें पढ़ने का शौक लगा। पाँचवी कथा में प्रथम आने पर अंग्रेजी की दो किताबें इनाम में मिली थीं। इन दो किताबों ने उनके लिए नई दुनिया का द्वार खोल दिया था। पिताजी की प्रेरणा से उन्होंने अपनी किताबों को इकट्‌ठा करना शुरू कर दिया था। इनसे उनके निजी पुस्तकालय की शुरूआत हो गई।