क्षितिज भाग २ Chapter 6 नागार्जुन - यह दंतुरित मुसकान
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    NCERT Solution For Class 10 Hindi क्षितिज भाग २

    नागार्जुन - यह दंतुरित मुसकान Here is the CBSE Hindi Chapter 6 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 Hindi नागार्जुन - यह दंतुरित मुसकान Chapter 6 NCERT Solutions for Class 10 Hindi नागार्जुन - यह दंतुरित मुसकान Chapter 6 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN10001741

    बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पढ़ता है?

    Solution
    बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा था। वह उसके सुंदर और मोहक मुख पर छाई मनोहारी मुसकान से प्रसन्नता में भर उठा था। उसे ऐसा लगा था कि वह धूल-धूसरित चेहरा किसी तालाब में खिले सुंदर कमल के फूल के समान था जो उसकी झोपड़ी में आ गया था। कवि उसे एकटक देखता ही रह गया था। उसकी मुसकान ने उसे अपनी पत्नी के प्रति कृतज्ञता प्रकट कर देने के लिए विवश-सा कर दिया था।
    Question 2
    CBSEENHN10001742

    बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है?

    Solution
    बच्चे की मुसकान में बनावटीपन नहीं होता। वह सहज और स्वाभाविक होती है लेकिन किसी बड़े व्यक्ति की मुसकान बनावटी हो सकती है। वह समय और स्थिति के अनुसार बदलती रहती है, बच्चे की मुसकान में निश्छलता रहती है पर बड़े व्यक्ति की मुसकान में हर समय स्वाभाविकता नहीं होती।
    Question 3
    CBSEENHN10001743

    कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है?

    Solution
    कवि ने बच्चे की मुसकान से चाक्षुक और मानस बिंबों की सुंदर सृष्टि की है। छोटे-छोटे दाँतों से युक्त उसकी मुसकान किसी मृतक को भी पुन: जीवन देने की क्षमता रखती है। उसका धूल-धूसरित शरीर के अंग तो कमल के सुंदर फूल के समान प्रतीत होते हैं। पत्थर भी मानो उसके स्पर्श को पा कर जल के रूप को पा गए होंगे। चाहे कोई कितना भी कठोर क्यों न रहा हो, बाँस या बबूल के समान ही उसका रूप क्यों न हो पर वे सब उसे छू कर शेफालिका के फूलों के समान कोमल हो गया होगा।
    Question 4
    CBSEENHN10001744

    भाव स्पष्ट कीजिए-
    छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात।

    Solution
    कवि को ऐसा लगा कि उस छोटे बच्चे की अपार सुंदरता तो ईश्वरीय वरदान के समान थी। वह धूल--धूसरित अंग-प्रत्यंगों वाला तो जैसे तालाब में खिले कमल के समान मोहक और मनोरम था जो उसकी झोपड़ी में आकर बस गया था।
    Question 5
    CBSEENHN10001745

    भाव स्पष्ट कीजिए-
    छू गया तुम से कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल 
    बाँस था कि बबूल?

    Solution
    उस छोटे दंतुरित बच्चे का ऐसा मनोरम रूप था कि चाहे कोई कितना भी कठोर क्यों न रहा हो पर उसे देख मन ही मन प्रसन्नता से भर उठता था। चाहें बाँस के समान हो या कांटों भरे कीकर के समान, पर उसकी सुदंरता से प्रभावित हो वह उसकी ओर देख मुस्कराने के लिए विवश हो जाता था।
    Question 6
    CBSEENHN10001746

    मुसकान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव हैं। इसकी उपस्थिति से बने वातावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिये

    Solution
    मुसकान और क्रोध दोनों मानव-मन में उत्पन्न होने वाले भाव हैं। मुसकान एक सुखद मनोभाव है पर क्रोध एक मनोविकार है। मुसकान में व्यक्ति अपने हृदय के सुखद भावों को प्रकट करता है तो क्रोध में वह अतृप्ति, क्लेश और पीड़ा के भावों को प्रकट करता है। मुसकान सदा सुखदायी होती है तो क्रोध दुःखदायी। क्रोध उन सभी को दुःख देता है जो-जो उसकी समीपता को प्राप्त करता है। मुसकान से किसी के भी हृदय को जीता जा सकता है पर क्रोध से अपनों को भी पलभर में दुश्मन बनाया जा सकता है।
    Question 7
    CBSEENHN10001747

    बच्चे से कवि की मुलाकात का जो शब्द-चित्र उपस्थित हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

    Solution
    कितना सुंदर है वह बच्चा। छोटा-सा है, एक साल से भी छोटा होगा। कमल के फूल के समान उसका मोहक चेहरा है। मिट्‌टी में खेलता है, इधर-उधर कच्चे गन में रेंगता रहता है। सारे शरीर पर धूल लगी हुई है। कवि लंबे समय के बाद पर लौटा है। अपनी बच्चे के बारे में उसे अपनी पत्नी से पता लगा है। वह भाव-विभोर है। एक टक उस बच्चे की ओर निहार रहा है। वह उसकी मोहक ‘दंतुरित मुसकान’ पर तो मंत्र-मुग्ध है। बच्चा उसे पहचानना चाहता है पर पहचान नहीं पाता-छोटा है न, शायद उसने उन्हें पहली बार देखा है, वह कनखियों को अनजाने से अतिथि को देखता है पर क्रोध करता नहीं है-बस मुसकराता है। कवि को लगता है कि इस बच्चे की मुसकान तो पत्थर को भी पिघला देने की क्षमता रखती है। कठोर-से-कठोर व्यक्ति भी इसकी मोहक मुसकान पर मर मिट सकता है।
    Question 8
    CBSEENHN10001748

    आप जब भी किसी बच्चे से पहली बार मिलें तो उसके हाव-भाव, व्यवहार आदि को सूक्ष्मता से देखिए और उस अनुभव को कविता या अनुच्छेद के रूप में लिखिए।

    Solution
    कल मैं अपनी सहेली के घर गई थी। वह मेरी ही कक्षा में पढ़ती है। जब मैं उसके साथ उनके घर के आँगन में बैठी थी तो मैंने देखा कि लगभग डेढ़-दो वर्ष की एक छोटी-सी लड़की दरवाजे की ओट में खड़ी होकर एकटक हम दोनों को देख रही थी। उस ने अपने एक हाथ की एक उंगली मुँह में डाल रखी थी और दूसरी से दरवाजा थाम रखा था। मैंने उसे इशारे से बुलाया पर वह वहीं खड़ी रही। मेरी सहेली ने मुझे बताया कि वह उसकी भतीजी थी जो दो दिन पहले ही दिल्ली से वहाँ कुछ दिन के लिए आए थे। उसका नाम सलोनी था। मैंने उसे नाम से पुकारा। वह मुसकराई तो अवश्य पर वहाँ से आगे नहीं बड़ी। मैं अपनी जगह से उठी और जैसे ही उस की तरफ बढ़ी वह झट से भीतर भाग गई। मैं भी वापिस अपनी जगह पर आकर बैठ गई। मैंने कुछ देर बाद फिर उधर देखा तो वह वहीं खड़ी थी। मेरी सहेली ने उसे बुलाया तो वह हमारे पास आ गई। मैंने उसे पुचकारा, उसका नाम पूछा। वह चुप रही। बस धीरे-धीरे मुसकाती रही। मैंने उससे पूछा कि क्या उसे गाना आता था तो उसने हाँ में सिर हिलाया और फिर धीरे-से पूछा कि क्या वह गाना सुनाए। मेरे हाँ कहने के बाद उसने गाना शुरू किया और एक के बाद एक न जाने कितनी देर तक वह आधे-अधूरे गाने गाती रही, ठुमकती रही। उसकी झिझक दूर हो गई थी। जब मैं चलने लगी तो वह मेरी उंगली थाम कर मेरे साथ चलने को तैयार थी। कुछ देर पहले मुझ से शर्माने और झिझकने वाली सलोनी अब मेरे साथ थी। अब उसके चेहरे पर झिझक के भाव नहीं थे। उसके व्यवहार में भय नहीं था। वह बहुत मीठा और अच्छा बोलती थी।
    एन० सी० ई० आर० टी० द्वारा नागार्जुन पर बनाई गई फिल्में देखिए।
    Question 9
    CBSEENHN10001749

    कवि के अनुसार फसल क्या है?

    Solution
    कवि के अनुसार फसल मनुष्य के परिश्रम, लग्न और शारीरिक परिश्रम के साथ प्रकृति के जादुई सहयोग का परिणाम है। जब मनुष्य और प्रकृति मिल कर कार्य करते हैं तभी फसल की प्राप्ति होती है।
    Question 10
    CBSEENHN10001750

    कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। बे आवश्यक तत्त्व कौन-कौन से हैं?

    Solution
    कविता में फसल उपजाने के लिए जिन आवश्यक तत्त्वों की बात कही है, वे हैं-नदियों के पानी का जादू करोड़ों हाथों का परिश्रम, मिट्‌टी के अद्‌भुत गुण, सूर्य की किरणें और हवा।
    Question 11
    CBSEENHN10001751

    फसल को ‘हाथों से स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर क्या व्यक्त करना चाहता है?

    Solution
    कवि ने लाखों-करोड़ों लोगों के द्वारा किए जाने वाले परिश्रम और उनकी एक निष्ठ लग्न के लिए ‘हाथो के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहा है। फसल उत्पन्न करना किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है। न जाने कितने दिन -रात मेहनत करके इसे उगाने का गौरव प्राप्त करते हैं।
    Question 12
    CBSEENHN10001752

    भाव स्पष्ट कीजिए-
    रूपांतर है सूरज की किरणों का
    सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!

    Solution
    कवि का भाव है कि फसल के केवल मनुष्य के परिश्रम का परिणाम नहीं है। सूर्य की किरणें इसे प्रकाश देती हैं, अपनी ऊष्मा, ऊर्जा प्रदान करती हैं जिससे फसलें उत्पन्न होती हैं। प्रकृति से अपना भोजन प्राप्त करती है और बढ़ती हैं। हवा उन्हें थिरकन प्रदान करती है तभी उसमें बीज बनता है और दानों के रूप में हमें फसल प्राप्त होती है।
    Question 13
    CBSEENHN10001753

    कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्‌टी का गुण-धर्म कहा है-
    मिट्‌टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?

    Solution
    मिट्‌टी के गुण-धर्म इस की उपजाऊ शक्ति है जो इसमें मिले अनेक तत्त्वों के कारण होती है। उन तत्त्वों की उपस्थिति के कारण ही मिट्‌टी भिन्न-भिन्न रंगों को प्राप्त करती है। हल्की-हल्की गंध प्राप्त करती है। वे तत्व ही फसल को बढ़ाने में सहायता देते हैं।
    Question 14
    CBSEENHN10001754

    कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्‌टी का गुण-धर्म कहा है-
    वर्तमान जीवन शैली मिट्‌टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?

    Solution
    वर्तमान जीवन शैली मिट्‌टी को प्रदूषित कर रही है। तरह-तरह के रासायनिक पदार्थ जाने-अनजाने इसमें मिलाए जाते हैं जिस कारण इसके गुण बदल जाते हैं। उद्‌योग-धंधे और प्रदूषित जल इसे बिगाड़ रहे हैं। तरह-तरह के खरपतवार नाशी और कीट नाशी इसे खराब कर रहे हैं। इनके प्रयोग से हमें फसल तो चाहे कुछ अधिक प्राप्त हो जाती है पर इसे मिट्‌टी की प्रकृति बदल रही है।
    Question 15
    CBSEENHN10001755

    मिट्‌टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?

    Solution
    मिट्‌टी के अपने स्वाभाविक गुण-धर्म को छोड़ देने से जीवन की सहज कल्पना नहीं की जा सकती। यदि मिट्‌टी फसल उगाने का गुण-धर्म त्याग दे तो हमारा जीवन असंभव-सा हो जाएगा क्योंकि सभी प्राणियों का जीवन फसल पर ही निर्भर करता है। मांसाहारियों के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी भूमिका अति महत्त्वपूर्ण हो सकता है। हमें इसे प्रदूषित होने से बचा सकते हैं। इस में मिलाए जाने वाले रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, खरपतवार नाशियों के स्थान पर प्राकृतिक पदार्थों को उपयोग कर सकते हैं। इसमें मिलने वाले औद्‌योगिक अपशिष्ट पदार्थो की रोकथाम कर सकते हैं।
    Question 16
    CBSEENHN10001756

    मिट्‌टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है? 

    Solution
    मिट्‌टी के अपने स्वाभाविक गुण-धर्म को छोड़ देने से जीवन की सहज कल्पना नहीं की जा सकती। यदि मिट्‌टी फसल उगाने का गुण-धर्म त्याग दे तो हमारा जीवन असंभव-सा हो जाएगा क्योंकि सभी प्राणियों का जीवन फसल पर ही निर्भर करता है। मांसाहारियों के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी भूमिका अति महत्त्वपूर्ण हो सकता है। हमें इसे प्रदूषित होने से बचा सकते हैं। इस में मिलाए जाने वाले रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, खरपतवार नाशियों के स्थान पर प्राकृतिक पदार्थों को उपयोग कर सकते हैं। इसमें मिलने वाले औद्‌योगिक अपशिष्ट पदार्थो की रोकथाम कर सकते हैं।
    Question 17
    CBSEENHN10001757

    इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया के माध्यमों द्वारा आपने किसानों की स्थिति के बारे में बहुत कुछ सुना, देखा और पड़ा। एक सुदृढ़ कृषि-व्यवस्था के लिए आप अपने सुझाव देते हुए अखबार के संपादक को पत्र लिखिए।

    Solution

    91-मॉडल टाऊन,
    कानपुर
    23 मार्च, 20..... .
    संपादक,
    दैनिक भास्कर,
    लखनऊ।

    विषय: सुदृढ़ कृषि-व्यवस्था हेतु सुझाव।
    मान्यवर,

    मैं आप के समाचार-पत्र के माध्यम से सुदृढ़ कृषि-व्यवस्था हेतु कुछ सुझाव देना चाहता हूँ जो किसानों और उनके खेतों के लिए निश्चित रूप से महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे। हमारा देश कृषि-प्रधान देश है। इसकी लगभग 80% जनता गाँवों में ही रहती है और वह किसी-न-किसी प्रकार से कृषि पर ही आश्रित हैं।

    सुदृढ़ कृषि व्यवस्था के लिए खेती योग्य अधिकतम भूमि पर हमें फसल उगाने की योजनाएं बनानी चाहिएँ। कृषि करने की परंपरागत पद्‌यति को त्याग कर वैज्ञानिक आधार पर फसलें उगानी चाहिए। हर खेत की मिट्‌टी एक-सी फसल उगाने योग्य नहीं होती। कृषि संस्थानों से मिट्‌टी की परख करवाकर हमें जान लेना चाहिए कि वह किस प्रकार की फसल के लिए अधिक उपयोगी है। यदि उसमें किसी विशेष तत्त्व की कमी है तो उसे रासायनिक पदार्थो के प्रयोग से पूरा कर लेना चाहिए। फसल के लिए उन्नत और संकरण से प्राप्त बीज ही बोने चाहिएं जो कृषि संस्थानों से प्राप्त हो जाते हैं। समय-समय पर खरपतवार नाशियों और कीटनाशियों का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। सिंचाई के लिए परंपरागत तरीके छोड़ कर स्पिंरकरज़ का प्रयोग करना चाहिए। इससे सारे खेत की सिंचाई एक समान होती है। उर्वरकों के साथ-साथ कंपोस्ट और वर्मीकंपोस्ट का प्रयोग करना चाहिए। इससे फसल की प्राप्ति अच्छी होती है। सुदृढ़ कृषि व्यवस्था के अंतर्गत फूलों की खेती की और अवश्य ध्यान देना चाहिए। वर्ष भर में केवल दो फसलें प्राप्त न कर तीन-चार अंतराफसलें प्राप्त करनी चाहिए। कीटनाशियों के अच्छे प्रयोग से भी हम अपनी फसलों को नष्ट होने से बचा सकते हैं।

    आशा है कि आप अपने प्रतिष्ठित समाचार-पत्र में इन सुझावों को स्थान देंगे।

    भवदीय,
    राकेश भारद्‌वाज।

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    Question 18
    CBSEENHN10001758

    कवि ने स्वयं को प्रवासी क्यों कहा है?

    Solution
    नागार्जुन प्राय: घूमते रहते थे। वे फक्कड़ थे घुमक्कड़ थे। राजनीति और घुमक्कड़ी के शौक के कारण प्राय: अपने घर से दूर रहते थे इसलिए उन्होंने स्वयं को प्रवासी कहा है। साहित्य में भी उन्हें ‘यात्री’ के नाम से जाना जाता है।
    Question 19
    CBSEENHN10001759

    ‘दंतुरित मुसकान’ क्या-क्या कर सकती थी?

    Solution
    ‘दंतुरित मुसकान’ किसी कठोर-से-कठोर व्यक्ति के हृदय को भी कोमलता से भर सकती थी। वह हर एक के हृदय की कठोरता को मिटा कर उसमें कोमल भाव भर सकती थी। उसकी सुंदरता से प्रभावित होकर कठोर-से-कठोर मन भी पिघल सकता था।
    Question 20
    CBSEENHN10001760

    कवि ने फसल के द्वारा किन-किन में आपसी सहयोग का भाव व्यक्त किया है?

    Solution
    कवि ने फसल के द्वारा मनुष्य के शारीरिक बल और परिश्रम तथा प्रकृति में छिपी अथाह ऊर्जा के आपसी सहयोग का भाव व्यक्त किया है। जब मनुष्य की मेहनत और प्रकृति का सहयोग आपस में मिल जाते हैं तो फसल उत्पन्न होती है।
    Question 21
    CBSEENHN10001761

    निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर उसकी सप्रसंग व्खाया कीजिये:
    तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
    मृतक में भी डाल देगी जान
    धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात....
    छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात
    परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
    पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
    छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल
    बांस था कि बबूल?
    तुम मुझे पाए नहीं पहचान?
    देखते ही रहोगे अनिमेष!
    थक गए हो?
    आंख लूं मैं फेर?
    क्या हुआ यदि हो सके परिचित न पहली बार?

    Solution

    प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्‌य-पुस्तक क्षितिज भाग–2 में संकलित कविता ‘यह दंतुरित मुसकान’ से ली गई हैं। इसके रचयिता श्री नागार्जुन हैं। कवि घुमक्कड़ स्वभाव का था और जगह-जगह घूमता रहता था। उसने जब अपने छोटे से बच्चे के मुँह में छोटे-छोटे दाँत देखे तो उसे अपार प्रसन्नता हुई। उसने अपने भावों को अनेक बिंबों के माध्यम से प्रकट किया।

    व्याख्या- कवि अपने छोटे से बच्चे को संबोधित करता हुआ कहता है कि तुम्हारे छोटे-छोटे दाँतों से सजे हुए और भरे मुंह की मुसकान इतनी आकर्षक है कि वह तो मृतकों में भी जान डालने की क्षमता रखती है। वह तो जीवन का संदेश देती है। तुम्हारे शरीर का अंग-प्रत्यंग धूल-मिट्‌टी में सना हुआ है। मुझे ऐसा लगता है कि तुम तालाब को छोड़ कर मेरी निर्धन की झोंपड़ी में खिलने वाले कमल हो। वह तालाब भी पहले पत्थर होगा पर तुम्हारे प्राणों का स्पर्श पा कर वह पिघल गया होगा और जल बन गया होगा। चाहे वह बाँस हो या बबूल, पर तुम से छू कर उससे भी शेफालिका के कोमल फूल झड़ने लगते हैं। कवि उस नन्हें बच्चे से पूछता है कि क्या उसने उसे पहचाना था कि नहीं। क्या वह नन्हा बच्चा हैरानी से भर कर बिना पलकें झपकाए लगातार उसकी ओर देखता ही रहेगा? क्या वह थक गया था? क्या वह उससे मुंह फेर ले? कवि कहता है कि यदि वह उसे पहले पहचान नहीं पाया तो भी कोई बात नहीं। भाव है कि वह अभी बहुत छोटा है पर वह बहुत भोला-भाला और सुंदर है।

    Question 22
    CBSEENHN10001762

    निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये
    तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
    मृतक में भी डाल देगी जान
    धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात....
    छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात
    परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
    पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
    छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल
    बांस था कि बबूल?
    तुम मुझे पाए नहीं पहचान?
    देखते ही रहोगे अनिमेष!
    थक गए हो?
    आंख लूं मैं फेर?
    क्या हुआ यदि हो सके परिचित न पहली बार?

    अवतरण में निहित भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

    Solution
    कवि अपने बच्चे को काफी लंबे समय के बाद मिला और उसके मुँह में को छोटे-छोटे दाँतों को देख अति प्रसन्न हो उठा था। उसे यह प्रतीत हुआ था कि उसकी मुसकान में अपार सुंदरता छिपी हुई थी।
    Question 29
    CBSEENHN10001769

    निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये
    तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
    मृतक में भी डाल देगी जान
    धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात....
    छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात
    परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
    पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
    छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल
    बांस था कि बबूल?
    तुम मुझे पाए नहीं पहचान?
    देखते ही रहोगे अनिमेष!
    थक गए हो?
    आंख लूं मैं फेर?
    क्या हुआ यदि हो सके परिचित न पहली बार?

    ‘बाँस था कि बबूल’ की प्रतीकात्मकता स्पष्ट कीजिए।


    Solution
    ‘बाँस था कि बबूल’ में कठोर और विपरीत स्थितियों का भाव छिपा है। कठिनाइयों की स्थिति में भी वह अपनी सुंदरता और भोलेपन से सबके मन को हरता रहा था।

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    Question 42
    CBSEENHN10001782

    निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये
    तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
    मृतक में भी डाल देगी जान
    धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात....
    छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात
    परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
    पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
    छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल
    बांस था कि बबूल?
    तुम मुझे पाए नहीं पहचान?
    देखते ही रहोगे अनिमेष!
    थक गए हो?
    आंख लूं मैं फेर?
    क्या हुआ यदि हो सके परिचित न पहली बार?
    अवतरण से अलंकार छाँट कर लिखिए।

    Solution

    अतिशयोक्ति- तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
    मृतक में भी डाल देगी जान।
    उत्प्रेक्षा-
    • छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल उठे जलजात।
    • पिंघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण।
    • छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल।
    अनुप्रास- ‘परस पाकर’, ‘धूलि-धूसर’।

    Question 43
    CBSEENHN10001783

    निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर उसकी सप्रसंग व्याख्या कीजिये:
    यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज
    मैं न सकता देख
    मैं न पाता जान
    तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
    धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
    चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!
    इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क
    उंगलियां माँ की कराती रही हैं मधुपर्क
    देखते तुम इधर कनखी मार
    और होतीं जब कि आँखें चार
    तब तुम्हारी तुरित मुसकान
    मुझे लगती बड़ी ही छविमान!

    Solution

    प्रसंग- प्रस्तुत अवतरण हमारी पाठ्‌य-पुस्तक क्षितिज भाग-2 से अवतरित किया गया है। इसे नागार्जुन के द्‌वारा रचित कविता ‘यह दंतुरित मुसकान’ से लिया गया है। कवि लंबे समय तक कहीं बाहर रहने के पश्चात् वापिस अपने घर लौटा था और उसने अपने बच्चे के मुँह में जो छोटे-छोटे दाँतों की सुंदर चमक से शोभायमान मुसकान को देखा था। इससे उसे अपार प्रसन्नता हुई थी।

    व्याख्या- कवि कहता है कि हे सुंदर दाँतों वाले मेरे बच्चे, यदि तुम्हारी माँ तुम्हारे और मेरे बीच माध्यम न बनी होती तो मैं कभी भी तुम्हें और तुम्हारी सुंदर पुष्ट को देख न पाता और न ही तुम्हें जान पाता। तुम धन्य हो और तुम्हारी माँ भी धन्य है। मैं तुम दोनों का आभारी हूँ। मैं तो लंबे समय से कहीं बाहर था इसलिए मैं तो तुम्हारे लिए कोई दूसरा हूँ, पराया हूँ। मेरे प्यारे बच्चे, मैं तुम्हारे लिए मेहमान की तरह हूँ इसलिए तुम्हारा मेरे साथ कोई संबंध नहीं रहा, तुम्हारे लिए मैं अनजाना-सा हूँ। मेरी अनुपस्थिति में तुम्हारी माँ ही आत्मीयतापूर्वक तुम्हारा पालन-पोषण करती रही। तुम्हें अपना प्यार प्रदान करती रही। वही तुम्हारा पंचामृत से पालन-पोषण करती रही। तुम मुझे देख कर हैरान से थे और मेरी ओर कनखियों से देख रहे थे। जब कभी अचानक तुम्हारी और मेरी दृष्टि मिल जाती थी तो मुझे तुम्हारे मुँह में तुम्हारे चमकते हुए सुदर दाँतों से युक्त मुसकान दिखाई दे जाती थी। सच ही मुझे तुम्हारी दूधिया दांतों से सजी मुसकान बहुत सुंदर लगती है। मैं तो तुम्हारी मुसकान पर मुग्ध हूँ।

    Question 44
    CBSEENHN10001784

    निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज
    मैं न सकता देख
    मैं न पाता जान
    तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
    धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
    चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!
    इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क
    उंगलियां माँ की कराती रही हैं मधुपर्क
    देखते तुम इधर कनखी मार
    और होतीं जब कि आँखें चार
    तब तुम्हारी तुरित मुसकान
    मुझे लगती बड़ी ही छविमान!

    अवतरण में निहित भावार्थ स्पष्ट कीजिए 


    Solution
    कवि ने अपने बच्चे की सुंदर दंतावलि को देखा था और उसकी मुसकान पैर मुग्ध हो उठा था। वह अपनी पत्नी के प्रति आभारी था कि उसकी अनुपस्थिति में उसने बहुत अच्छे तरीके से बच्चे का प्रेमपूर्वक पालन-पोषण किया था।
    Question 45
    CBSEENHN10001785
    Question 46
    CBSEENHN10001786

    निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज
    मैं न सकता देख
    मैं न पाता जान
    तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
    धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
    चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!
    इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क
    उंगलियां माँ की कराती रही हैं मधुपर्क
    देखते तुम इधर कनखी मार
    और होतीं जब कि आँखें चार
    तब तुम्हारी तुरित मुसकान
    मुझे लगती बड़ी ही छविमान!

    किस अवस्था में कवि अपने बच्चे को न देख सका?

    Solution
    यदि कवि की पत्नी बच्चे की मधुर मुसकान से उसका परिचय न कराती तो वह उस के विषय में न जान पाता और उसे न देख सकता क्योंकि वह बहुत लंबे समय के बाद वापिस अपने घर लौटा था।
    Question 47
    CBSEENHN10001787

    निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज
    मैं न सकता देख
    मैं न पाता जान
    तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
    धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
    चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!
    इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क
    उंगलियां माँ की कराती रही हैं मधुपर्क
    देखते तुम इधर कनखी मार
    और होतीं जब कि आँखें चार
    तब तुम्हारी तुरित मुसकान
    मुझे लगती बड़ी ही छविमान!

    कवि ने किसे-किसे धन्य माना है और क्यों?

    Solution
    कवि ने अपने बच्चे और अपनी पत्नी को धन्य माना है क्योंकि उनके कारण उसे अपार प्रसन्नता की प्राप्ति हुई थी। वह स्वयं को धन्य मानते के योग्य हुआ था।
    Question 50
    CBSEENHN10001790
    Question 52
    CBSEENHN10001792
    Question 53
    CBSEENHN10001793

    निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज
    मैं न सकता देख
    मैं न पाता जान
    तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
    धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
    चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!
    इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क
    उंगलियां माँ की कराती रही हैं मधुपर्क
    देखते तुम इधर कनखी मार
    और होतीं जब कि आँखें चार
    तब तुम्हारी तुरित मुसकान
    मुझे लगती बड़ी ही छविमान!

    भाव स्पष्ट कीजिए।
     


    Solution
    कवि ने अपने नन्हें से बच्चे की मधुर मुसकान के आकर्षण का सहज सुंदर वर्णन किया है और अपनी पत्नी की कर्त्तव्यनिष्ठा का उल्लेख किया है। जिस ने उस की अनुपस्थिति में अपने पुत्र का प्रेमपूर्वक पालन-पोषण किया था।
    Question 64
    CBSEENHN10001804

    निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर उसकी सप्रसंग व्याख्या कीजिये:
    एक के नहीं,
    दो के नहीं,
    ढेर सारी नदियों के पानी का जादू:
    एक के नहीं,
    दो के नहीं,
    लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा:
    एक की नहीं,
    दो की नहीं,
    हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्‌टी का गुण धर्म:
    फसल क्या है?
    और तो कुछ नहीं है वह
    नदियों के पानी का जादू है वह
    हाथों के स्पर्श की महिमा है
    भूरी-काली-संदली मिट्‌टी का गुण धर्म है
    रूपांतर है सूरज की किरणों का
    सिमटा हुआ संकोच है हवा का थिरकन का!

    Solution

    प्रसंग- प्रस्तुत कविता फसल हमारी पाठ्‌य पुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-2 में संकलित की गई है जिसके रचयिता श्री नागार्जुन हैं। कवि ने स्पष्ट किया है कि फसल उत्पन्न करने के लिए मनुष्य और प्रकृति मिलकर एक-दूसरे का सहयोग करते हैं।
    व्याख्या- कवि कहता है कि फसल को उत्पन्न करने के लिए एक-दो नहीं बल्कि अनेक नदियों से प्राप्त होने वाला पानी अपना जादुई प्रभाव दिखाता है। उसी पानी के कारण यह पनपती है, बढ़ती है। इसे उगाने के लिए किसी एक व्यक्ति के नहीं, दो के नहीं बल्कि लाखों-करोड़ों हाथों के द्वारा छूने की गरिमा छिपी हुई है। यह लाखों-करोड़ों इंसानों के परिश्रम का परिणाम है। इसमें एक-दो खेतों की मिट्‌टी नहीं प्रयुक्त हुई। इसमें तो हजारों खेतों की उपजाऊ मिट्‌टी की विशेषताएं छिपी हुई हैं। मिट्‌टी का गुण-धर्म इसमें छिपा हुआ है। फसल क्या है? यह तो नदियों के द्वारा लाए गए पानी का जादू है जिससे इसे उपजाने में सहायता दी। इसमें न जाने कितने लोगों के हाथों का परिश्रम छिपा है। यह उन हाथों की महिमा का परिणाम है। भूरी-काली-संदली मिट्‌टी की विशेषताएं इसमें विद्यमान हैं। यह सूर्य की किरणों का फसल के रूप में परिवर्तन है। सूर्य ने अपनी किरणों से उसे बढ़ाया है। जीवन दिया है। हवा ने इसे थिरकने और इधर- उधर डोलने का गुण प्रदान किया है। भाव यह है कि फसल प्रकृति और मनुष्य के सामूहिक प्रयत्नों का परिणाम है।

    Question 65
    CBSEENHN10001805

    निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिये
    एक के नहीं,
    दो के नहीं,
    ढेर सारी नदियों के पानी का जादू:
    एक के नहीं,
    दो के नहीं,
    लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा:
    एक की नहीं,
    दो की नहीं,
    हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्‌टी का गुण धर्म:
    फसल क्या है?
    और तो कुछ नहीं है वह
    नदियों के पानी का जादू है वह
    हाथों के स्पर्श की महिमा है
    भूरी-काली-संदली मिट्‌टी का गुण धर्म है
    रूपांतर है सूरज की किरणों का
    सिमटा हुआ संकोच है हवा का थिरकन का!

    कविता में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।

    Solution
    कवि ने माना है कि फसल केवल मनुष्य उत्पन्न नहीं करता। यह प्रकृति और मनुष्य के द्वारा मिल-जुल कर किए जाने वाले सहयोग का परिणाम है।
    Question 69
    CBSEENHN10001809
    Question 70
    CBSEENHN10001810

    निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    एक के नहीं,
    दो के नहीं,
    ढेर सारी नदियों के पानी का जादू:
    एक के नहीं,
    दो के नहीं,
    लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा:
    एक की नहीं,
    दो की नहीं,
    हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्‌टी का गुण धर्म:
    फसल क्या है?
    और तो कुछ नहीं है वह
    नदियों के पानी का जादू है वह
    हाथों के स्पर्श की महिमा है
    भूरी-काली-संदली मिट्‌टी का गुण धर्म है
    रूपांतर है सूरज की किरणों का
    सिमटा हुआ संकोच है हवा का थिरकन का!

    मिट्‌टी के लिए ‘संदली’ शब्द का प्रयोग क्यों किया जाता है?

    Solution
    ‘संदल’ का अर्थ है ‘चंदन’। मिट्‌टी में सदा सोंधी-सोंधी-सी गंध होती है। कवि ने मिट्‌टी की इसी विशेषता को प्रकट करने के लिए ‘संदली’ शब्द का प्रयोग किया है।
    Question 74
    CBSEENHN10001814

    निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    एक के नहीं,
    दो के नहीं,
    ढेर सारी नदियों के पानी का जादू:
    एक के नहीं,
    दो के नहीं,
    लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा:
    एक की नहीं,
    दो की नहीं,
    हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्‌टी का गुण धर्म:
    फसल क्या है?
    और तो कुछ नहीं है वह
    नदियों के पानी का जादू है वह
    हाथों के स्पर्श की महिमा है
    भूरी-काली-संदली मिट्‌टी का गुण धर्म है
    रूपांतर है सूरज की किरणों का
    सिमटा हुआ संकोच है हवा का थिरकन का!

    भाव स्पष्ट कीजिए।

    Solution
    कवि ने फसलों के उत्पन्न होने का आधार और परिश्रम केवल मनुष्य को नहीं माना बल्कि मनुष्य और प्रकृति के मिले-जुले सहयोग को माना है।

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