Aroh Bhag Ii Chapter 13 धर्मवीर भारती
  • Sponsor Area

    NCERT Solution For Class 12 Hindi Aroh Bhag Ii

    धर्मवीर भारती Here is the CBSE Hindi Chapter 13 for Class 12 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 12 Hindi धर्मवीर भारती Chapter 13 NCERT Solutions for Class 12 Hindi धर्मवीर भारती Chapter 13 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 12 Hindi.

    Question 1
    CBSEHIHN12026886

    धर्मवीर भारती का साहित्यिक परिचय दीजिए।

    Solution

    जीवन-परिचय: ‘धर्मयुग’ के संपादक के रूप में यश अर्जित करने वाले धर्मवीर भारती का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद नगर में सन् 1926 में हुआ था। शैशव में ही पिता का देहांत हो जाने के कारण इन्हें अर्थाभाव का संकट झेलना पड़ा। इनका जीवन संघर्षमय रहा। मामाश्री अभयकृष्ण जौहरी का आश्रय और संरक्षण मिलने से ये अपनी शिक्षा पूर्ण कर पाए। ये प्रारभ से ही स्वावलंबी प्रवृत्ति के थे अत: पद्मकांत महावीर के पत्र ‘अभुदय’ तथा इलाचंद्र जोशी के पत्र ‘संगम’ में कार्य किया। बाद में इन्हें प्रयाग विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग में प्राध्यापक का पद मिल गया 11960 ई. में विश्वविद्यालय छोड्कर मुंबई चले गए और वहाँ ‘धर्मयुग’ का संपादन करने लगे।

    ‘दूसरा सप्तक’ में विशिष्ट कवि के रूप में स्थान पाने के कारण इनकी गिनती प्रयोगवादी कवियों में की जाने लगी किन्तु मूलत: वे गीतकार ही हैं। रोमानी कविता के रूप मे वे प्रेम और सौंदर्य के गायक कवि हैं। कवि, कहानीकार, उपन्यासकार, पत्रकार तथा आलोचक के रूप में इन्होंने हिन्दी-साहित्य को समृद्ध किया है। अपनी साहित्य सेवाओं के लिए इन्हें अनेक बार सम्मानित किया गया है। कॉमनवेल्थ रिलेशंस तथा जर्मन सरकार के आमंत्रण पर इन्होंने इंग्लैंड, यूरोप और जर्मनी की; भारतीय दूतावास के अतिथि के रूप में इंडोनेशिया और थाईलैंड की तथा मुक्तिवाहिनी के सदस्य के रूप में बांग्लादेश की यात्राएँ कीं। इनको भारत सरकार ने ‘पद्मश्री’ के उपाधि से अलंकृत किया। सन् 1997 ई. में इनका देहांत हो गया।

    इन रचनाओं के अतिरिक्त उन्होंने ऑस्कर वाइल्ड की कहानियों का हिन्दी में अनुवाद किया। ‘देशांतर’ तथा ‘युद्ध-यात्रा’ इनकी अनूदित कृतियाँ हैं।

    साहित्यिक परिचय (काव्यगत विशेषताएँ): धर्मवीर भारती की काव्य की भावभूमि अत्यन्त व्यापक है। इनका प्रारंभिक काव्य रोमानी भाव बोध का काव्य है। प्रेम, सौंदर्य और संयोग-वियोग के श्रृंगारिक चित्र इन रचनाओ का वैशिष्टय है। भारती जी ने नारी के मांसल सौंदर्य के मादक चित्र भी उकेरे हैं-

    इन फीरोजी होठों पर बरबाद मेरी जिदंगी,

    गुलाबी पाँखुरी पर एक हल्की सुरमई आभा।

    कि ज्यों करवट बदल लेती, कभी बरसात की दोपहर।

    छायावाद की अनेक विशेषताएं उनके काव्य में मिलती हैं। छायावादी कवियों जैसी वैयक्तिकता भी उनके काव्य में मिलती है पर इतना अवश्य है कि इनकी वैयक्तिकता बौद्धिकता को साथ लेकर चली है। ‘नया रस’ कविता में वैयक्तिकता और बौद्धिकता सहचर रूप में मिलते हैं।

    गुनाहों का देवता उपन्यास से लोकप्रिय धर्मवीर भारती का आजादी के बाद के साहित्यकारों में विशिष्ट स्थान है। उनकी कविताएँ कहानियाँ, उपन्यास, निबंध, गीतिनाट्य और रिपोर्ताज हिन्दी साहित्य की उपलब्धियाँ हैं। भारती जी के लेखन की एक खासियत यह भी है कि हर उम्र और हर वर्ग के पाठकों के बीच उनकी अलग-अलग रचनाएँ लोकप्रिय हैं। वे मूल रूप से व्यक्ति स्वातंत्र्य मानवीय संकट एवं रोमानी चेतना के रचनाकार हैं। तमाम सामाजिकता एवं उत्तरदायित्वों के बावजूद उनकी रचनाओं में व्यक्ति की स्वतंत्रता ही सर्वोपरि है। रोमानियत उनकी रचनाओं में संगीत में लय की तरह मौजूद है। उनका सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यास गुनाहों का देवता एक सरस और भावप्रवण प्रेम कथा है। दूसरे लोकप्रिय उपन्यास सूरज का सातवाँ घोड़ा पर हिन्दी फिल्म भी बन चुकी है। इस उपन्यास में प्रेम को केन्द्र में रखकर निम्न मध्यवर्ग की हताशा, आर्थिक संघर्ष, नैतिक विचलन और अनाचार को चित्रित किया गया है। स्वतत्रता के बाद गिरते हुए जीवन मूल्य, अनास्था, मोहभंग, विश्वयुद्धों से उपजा हुआ डर और अमानवीयता की अभिव्यक्ति अंधा युग में हुई है। अंधा युग गीति साहित्य के श्रेष्ठ गीति नाट्यों में है। ‘मानव मूल्य और साहित्य’ पुस्तक समाज-सापेक्षिता को साहित्य के अनिवार्य मूल्य के रूप में विवेचित करती है।

    इन विधाओं के अलावा भारती जी ने निबंध और रिपोर्ताज भी लिखे। उनके गद्य लेखन में सहजता और आत्मीयता है। बड़ी-से-बड़ी बात वे बातचीत की शैली में कहते हैं।

     

    Question 2
    CBSEHIHN12026887

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये:- 
    उछलते-कूदते, एक-दूसरे को धकियाते ये लोग गली में किसी दुमहले मकान के सामने रुक जाते, “पानी दे मैया, इंदर सेना आई है।” और जिन घरों में आखीर जेठ या शुरू आषाढ़ के उन सूखे दिनों में पानी की कमी भी होती थी, जिन घरों के कुएँ भी सूखे होते थे, उन घरों से भी सहेज कर रखे हुए पानी में से बाल्टी-बाल्टी या धड़े भर-भर कर इन बच्चों को सर से पैर तक तर कर दिया जाता था। ये भीगे बदन मिट्टी में लोट लगाते थे, पानी फेंकने से पैदा हुए कीचड़ में लथपथ हो जाते थे। हाथ, पाँव, बदन, मुँह, पेट सब पर गंदा कीचड़ मल कर फिर हाँक लगाते “बोल गंगा मैया की जय” और फिर मंडली बाँधकर उछलते-कूदते अगले घर की ओर चल पड़ते बादलों को टेरते, “काले मेधा पानी दे।” वे सचमुच ऐसे दिन होते जब गली-मुहल्ला, गाँव-शहर हर जगह लोग गर्मी में मून- भुन कर त्राहिमाम कर रहे होते, जेठ के दसतपा बीत कर आषाढ़ का पहला पखवारा भी बीत चुका होता पर क्षितिज पर कहीं बाबल की रेख भी नहीं दीखती होती, कुएँ सूखने लगते, नलों में एक तो बहुत कम पानी आता और आता भी तो आधी रात को भी मानो खौलता हुआ पानी हो। शहरों की तुलना में गाँव में और भी हालत खराब होती थी। जहाँ जुताई होनी चाहिए वहाँ खेतों की मिट्टी सूख कर पत्थर हो जाती, फिर उसमें पपड़ी पड़ कर जमीन फटने लगती, लू ऐसी कि चलते-चलते आदमी आधे रास्ते में लू खाकर गिर पड़े। ढोर-उंगर प्यास के मारे मरने लगते लेकिन बारिश का कहीं नाम निशान नहीं, ऐसे में पूजा-पाठ कथा-विधान सब कर के लोग जब हार जाते तब अंतिम उपाय के रूप में निकलती यह इंदर सेना।

    1. इंदर सेना कौन थी? यह क्या करती थी?
    2. लोग इनको कौन- सा पानी देते थे और ये क्या करते थे?
    3. उस समय गाँव में कैसा वातावरण उपस्थित रहता था?
    4. खेतों की क्या दशा होती थी?





    Solution

    1. गाँव के 10-15 वर्ष के लड़कों की मंडली को इंदर सेना कहा जाता था। ये लड़के एक-दूसरे को धकियाते, उछलते-कूदते गली-गली में घूमकर मकानों के सामने रुककर पानी माँगते थे। वे कहते-’पानी दे मैया, इंदर सेना आई है’।
    2. जेठ-आषाढ़ के महीनों में सूखा पड़ता था और उन दिनों पानी का भयंकर अकाल पड़ जाता था। तब लोग घरों मे घड़े या बाल्टी में पानी सहेज कर रखते थे। उसी पानी को वे इन लड़कों के ऊपर फेंकते थे। ये भीगे बदन मिट्टी में लोट लगाते थे और कीचड़ में लथपथ हो जाते थे। फिर गंगा मैया की जय लगाते थे।
    3. उस समय गाँव में लोग गर्मी से भुन कर त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहे होते थे। आकाश में कही भी बादल दिखाई नहीं देते थे। कुएँ सूख गए होते। नलों में बहुत कम पानी आता था।
    4. उन दिनों खेतों की मिट्टी सूखकर पत्थर हो जाती थी फिर पपड़ी पड़कर जमीन फटने लगती थी। लू के मारे लोग गश खाकर गिर पड़ते थे।

    Question 3
    CBSEHIHN12026888

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-   
    वे सचमुच ऐसे दिन होते जब गली-मुहल्ला, गाँव-शहर हर जगह लोग गरमी में भुन-मून कर त्राहिमाम कर रहे होते, जेठ के दसतपा बीत कर आषाढ़ का पहला पखवारा भी बीत चुका होता पर क्षितिज पर कहीं बादल की रेख भी नहीं दीखती होती, कुएँ सूखने लगते, नलों में एक तो बहत कम पानी आता और आता भी तो आधी रात को भी मानो खौलता हुआ पानी हो। शहरों की तुलना में गाँव में और भी हालत खराब होती थी। जहाँ जुताई होनी चाहिए, वहाँ खेतों की मिट्टी सूखकर पत्थर हो जाती, फिर उसमें पपड़ी पड़ कर जमीन फटने लगती, लू ऐसी कि चलते-चलते आदमी आधे रास्ते में लू खा कर गिर पड़े। ढोर-उंगर प्यास के मारे मरने लगते लेकिन बारिश का कहीं नाम निशान नहीं, ऐसे में पूजा-पाठ कथा विधान सब कर के लोग जब हार जाते तब अंतिम उपाय के रूप में निकलती यह इंदर सेना। वर्षा के बादलों के स्वामी हैं इंद्र और इंद्र की सेना टोली बाँधकर कीचड़ में लथपथ निकलती, पुकारते हुए मेघों को, पानी माँगते हुए प्यासे गलों और सूखे खेतों के लिए।

    1. पाठ तथा लेखक का नाम बताइए।
    2. आषाढ़ में कैसा मौसम हो जाता है?
    3. गाँव की हालत के विषय में लेखक क्या कहता है?
    4. गाँवों में इंदर सेना क्या करती है?



    Solution

    1. पाठ का नाम: काले मेघा पानी दे।
       लेखक का नाम: धर्मवीर भारती।
    2. आषाढ़ के मौसम में बारिश होती है, परंतु गर्मी अधिक होती है। लोग त्राहि-त्राहि करने लगते हैं। कुएँ सूखने लगते हैं। तब आधी रात को भी पानी खौलता हुआ प्रतीत होता है।
    3. आषाढ़ के महीने में बारिश न होने पर गांवों की दशा अत्यंत दयनीय होती है। खेतों की मिट्टी सूखकर पत्थर हो जाती है। लू चलने के कारण पशु और आदमी बीमार पड़ जाते हैं।
    4. गाँवों में बारिश के लिए ‘इंदर सेना’ बनाई जाती है। इंद्र की सेना टोली बाँधकर कीचड़ में लथपथ होकर मेघों से पानी के लिए प्रार्थना करती है।

    Question 4
    CBSEHIHN12026889

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-   
    वर्षा के बादलों के स्वामी हैं इंद्र और इंद्र की सेना टोली बाँधकर कीचड़ में लथपथ निकलती, पुकारते हुए मेघों को, पानी माँगते हुए प्यासे गलों और सूखे खेतों के लिए। पानी की आशा पर जैसे सारा जीवन आकर टिक गया हो। बस एक बात मेरे समझ में नहीं आती थी कि जब चारों ओर पानी की इतनी कमी है तो लोग घर में इतनी कठिनाई से इकट्टा करके रखा हुआ पानी बाल्टी-बाल्टी कर इन पर क्यों फेंकते हैं। कैसी निर्मम बरबादी है पानी की। वेश की कितनी क्षति होती है इस तरह के अंधविश्वासों से। कौन कहता हे इन्हें इंद्र की सेना? अगर इंद्र महाराज से ये पानी दिलवा सकते हैं तो खुद अपने लिए पानी क्यों नहीं माँग लेते? क्यों मुहल्ले भर का पानी नष्ट करवाते घूमते हैं, नहीं यह सब पाखंड हे। अंधविश्वास है। ऐसे ही अंधविश्वासों के कारण हम अंग्रेजों से पिछड़ गए और गुलाम बन गए।

    1. वर्षा के बादलों का स्वामी कौन है? उसकी सेना क्या माँगती फिरती थी। 
    2. लेखक की समझ में क्या बात नहीं आती?
    3. लेखक किस अंधविश्वास पर दु:खी होता?
    4. अंधविश्वासों का क्या नतीजा हमें भुगतना पड़ा?



    Solution

    1. वर्षा के बादलों का स्वामी इंद्र माना जाता है। इंद्र की सेना अर्थात् लडुकों की टोली मेघों से पानी माँगती फिरती थी।
    2. लेखक की समझ में यह बात नहीं आती कि चारों ओर पानी की इतनी कमी है और लोगों ने बड़ी कठिनाई से पानी इकट्ठा करके रखा हुआ है फिर वे उस पानी को इन लड़कों पर फेंककर क्यों बर्बाद करते हैं? उन्हें उस पानी का उपयोग अपने लिए करना चाहिए।
    3. लेखक इस अधविश्वास से दु:खी है कि लोग इन लड़कों को इंद्र की सेना मानकर पानी की बर्बादी कर रहे हैं। यदि इंद्र महाराज से ये लड़के (इंद्र की सेना) पानी दिलवा सकते तो ये खुद उसी से पानी क्यों नहीं माँग लेते। ये मुहल्ले भर में पानी माँगते क्यों घूमते फिरते हैं।
    4. अंधविश्वासों का नतीजा हमें यह भुगतना पड़ा कि हम अंग्रेजों से पिछड़ गए और हम उनके गुलाम बनकर रह गए।

    Question 5
    CBSEHIHN12026890

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-   
    मैं असल में था तो इन्हीं मेढक-मंडली वालों की उमर का, पर कुछ तो बचपन के आर्यसमाजी संस्कार थे और एक कुमार-सुधार सभा कायम हुई थी उसका उपमंत्री बना दिया गया था- सो समाज-सुधार का जोश कुछ ज्यादा ही था। अंधविश्वासों के खिलाफ तो तरकस से तीर रखकर घूमता रहता था। मगर मुश्किल यह थी कि मुझे अपने बचपन में जिससे सबसे ज्यादा प्यार मिला वे थीं जीजी। यूँ मेरी रिश्ते में कोई नहीं थीं। आयु में मेरी माँ से भी बड़ी थीं, पर अपने लड़के-बहू सबको छोड़कर उनके प्राण मुझी में बसते थे और वे थीं उन तमाम रीति-रिवाजों, तीज-त्योहारों, पूजा-अनुष्ठानों की खान जिन्हे कुमार-सुधार सभा का वह उपमंत्री अंधविश्वास कहता था और उन्हें जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता था पर मुश्किल यह थी कि उनका कोई पूजा-विधान, कोई त्योहार अनुष्ठान मेरे बिना पूरा नहीं होता था। दीवाली है तो गोबर और कौड़ियों से गोवर्धन और सतिया बनाने में लगा हूँ, जन्माष्टमी है तो रोज आठ दिन की झाँकी तक की सजाने और पंजीरी बाँटने में लगा हूँ, हर-छठ है तो छोटी रंगीन कुल्हियों में भूजा भर रहा हूँ। किसी में भुना चना, किसी में भुनी मटर, किसी में भुने अरवा चावल, किसी में भुना गेहूँ। जीजी यह सब मेरे हाथों से करातीं, ताकि उनका पुण्य मुझे मिले। केवल मुझे।

    1. लेखक बचपन में कैसा था?
    2. बचपन में वह क्या काम करता घूमता था?
    3. जीजी कौन थी? उसके साथ लेखक के कैसे सबंध थे?
    4. जीजी के लिए लेखक को क्या-क्या काम करने पड़ते थे?


    Solution

    1. लेखक बचपन में आर्यसमाजी संस्कारों वाला था। उसे कुमार सभा का उपमंत्री बना दिया गया था।
    2. लेखक अंधविश्वासो के खिलाफ प्रचार करता हुआ घूमता था। उस समय उस पर समाज-सुधार का जोश ज्यादा चढ़ा रहता था।
    3. वैसे तो लेखक का जीजी से कोई रिश्ता नहीं था, पर वह लेखक को बहुत प्यार करती थी। जीजी के प्राण उसी मे बसते थे। वह उम्र में लेखक की माँ से भी बड़ी थी। उन दोनों के बीच स्नेह का संबंध था।
    4. लेखक जिन कामों को अंधविश्वास कहता फिरता था, जीजी की खुशी के लिए उसे वे ही काम करने पड़ते थे। उसे सारे पूजा-पाठ, अनुष्ठान पूरे करने पड़ते थे। वह दीवाली पर कौड़ियों से गोवर्धन और सतिया बनाता था, जन्माष्टमी पर झाँकी सजाता था और पंजीरी बाँटता था। हर-छठ पर कुलियों में भूजा भरता था। वैसे जीजी इन कामों को लेखक से इसलिए करवाती थी ताकि पुण्य का भागी वही बने।

    Question 6
    CBSEHIHN12026891

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-  
    लेकिन इस बार मैंने साफ इनकार कर दिया। नहीं फेंकना है मुझे बाल्टी भर-भर कर पानी इस गंदी मेढक-मंडली पर। जब जीजी बाल्टी भर कर पानी ले गईं उनके बूढ़े पाँव डगमगा रहे थे, हाथ काँप रहे थे, तब भी मैं अलग मुँह फुलाए खड़ा रहा। शाम को उन्होंने लहू-मठरी खाने को दिए तो मैंने उन्हें हाथ से अलग खिसका दिया। मुँह फेरकर बैठ गया, जीजी से बोला भी नहीं। पहले वे भी तमतमाई, लेकिन ज्यादा देर तक उनसे गुस्सा नहीं रहा गया। पास आकर मेरा सर अपनी गोद में लेकर बोलीं, “देख भइया रूठ मत। मेरी बात सुन। यह सब अंधविश्वास नहीं है। हम इन्हें पानी नहीं देंगे तो इंद्र भगवान हमे पानी कैसे देंगे? “मैं कुछ नहीं बोला। फिर जीजी बोलीं। “तू इसे पानी की बरबादी समझता है पर यह बरबादी नहीं है। यह पानी का अर्घ्य चढ़ाते हैं, जो चीज मनुष्य पाना चाहता है उसे पहले देगा नहीं तो पाएगा कैसे? इसीलिए ऋषि-मुनियों ने दान को सबसे ऊँचा स्थान दिया है।”

    1.  लेखक ने किस बात से इनकार कर दिया?
    2.  जीजी ने रूठे लेखक को किस प्रकार मनाया?
    3.  जीजी ने अपनी बात के पक्ष में क्या तर्क दिए?
    4.  वह पानी देने को क्या बताती रही?







    Solution

    1. लेखक न जीजी की बात मानने से इनकार करते हुए कहा कि इस बार वह इस इंदर सेना। (मेंढक मंडली) के ललड़कोंपर बाल्टी भरकर पानी नहीं फेंकेगा।
    2. लेखक मुँह फुलाकर रूठ गया। जीजी ने उसे मनाने के लिए शाम को लट्टू-मठरी खाने को दिए पर लेखक ने उन्हे खाया नहीं। फिर वह लेखक के सिर पर हाथ फेरकर समझाने का प्रयास करती रही।
    3. जीजी ने अपनी बात के पक्ष में यह तर्क दिया, यदि हम इन लडुकों को पानी नहीं देंगे तो इंद्र भगवान हमें पानी कैच देंगे। पहले कुछ दिया जाता है तभी तो पाने की आशा की जाती है।
    4. जीजी पानी देने को भगवान को अअर्घ्यचढ़ाना बताती रही। यह अअर्घ्यचढ़ाना पानी की बर्बादी न होकर हमारी पूजा है। मनुष्य जो चीज पाना चाहता है, उसे पहले देगा नहीं तो पाएगा कैसे? ऋषि-मुनियों ने भी दान की महिमा का बखान किया है।

    Question 7
    CBSEHIHN12026892

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-  
    फिर जीजी बोलीं, “देख तू तो अभी से पढ़-लिख गया है। मैंने तो गाँव के मदरसे का भी मुँह नहीं देखा पर एक बात देखी है कि अगर तीस-चालीस मन गेहूँ उगाना है तो किसान पाँच-छह सेर अच्छा गेहूँ अपने पास से लेकर जमीन में क्यारियाँ बनाकर फेंक देता है। उसे बुवाई कहते हैं। यह जो सूखे हम अपने घर का पानी इन पर फेंकते हैं वह भी बुवाई है। यह पानी गली में बोएँगे तो सारे शहर, कस्बा, गाँव पर पानी वाले बादलों की फसल आ जाएगी। हम बीज बनाकर पानी देते हैं, फिर काले मेघा से पानी माँगते हैं। सब ऋषि-मुनि कह गए हैं कि पहले खुद दो तब देवता दो तुम्हें चौगुना-अठगुना करके लौटाएंगे भइया, यह तो हर आदमी का आचरण है, जिससे सबका आचरण बनता है। यथा राजा तथा प्रजा सिर्फ यही सच नहीं है। सच यह भी है कि यथा प्रजा तथा राजा। यही तो गाँधीजी महाराज कहते हैं।” जीजी का एक लड़का राष्ट्रीय आदोलन में पुलिस की लाठी खा चुका था, तब से जीजी गाँधी महाराज की बात अक्सर करने लगी थीं।

    1. जीजी अपनी बात के पक्ष में क्या उदाहरण देती है?
    2. जीजी पानी फेंकने को क्या बताती है? क्यों?
    3. ऋषि-मुनि क्या कह गए हैं?
    4. जीजी गाँधीजी महाराज का नाम क्यों लेती थीं?




    Solution

    1. जीजी पानी देने की बात के पक्ष में खेत में गेहूँ उगाने का उदाहरण देती है। वह कहती है कि यदि खेत में 30-40 मन गेहूँ उगाना हो तो किसान अपने पास से 5-6 सेर गेहूँ खेत में बीज के रूप में डालता है। तभी उसे अच्छी फसल मिलती है।
    2. जीजी पानी फेंकने को भी बुवाई ही कहती है! जितना पानी हम इन लड़कों पर फेंकते हैं, उससे कई गुना पानी इंद्र देवता हमें वर्षा के रूप में लौटा देता है।
    3. ऋषि-मुनि यह कह गए हैं कि पहले खुद दो तब देवता तुम्हें उसका चार गुना- आठ गुना करके लौटाएंगे। कुछ पाने के लिए पहले कुछ देना पड़ता है।
    4. जीजी गाँधीजी महाराज का नाम इसलिए लेती हैं क्योंकि उनका एक लड़का राष्ट्रीय आदोलन में पुलिस की लाठी खा चुका था। उसका संबंध गाँधीजी के आंदोलन से था अत: जीजी का जुड़ाव भी गाँधी जी के साथ हो गया था।

    Question 8
    CBSEHIHN12026893

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-  
    इन बातों को आज पचास से ज्यादा बरस होने को आए पर ज्यों-की-त्यों मन पर दरज हैं। कभी-कभी कैसे-कैसे संदर्भों में ये बातें मन को कचोट जाती हैं, अंग्रेज चले गए पर क्या हम आज भी सच्चे अर्थों में आजाद हो पाए। क्या उनकी रहन-सहन, उनकी भाषा, उनकी संस्कृति से आजाद होकर अपने देश के संस्कारों को समझ पाए। हम आज देश के लिए करते क्या हैं? माँगे हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी हैं पर त्याग का कहीं नाम-निशान नहीं है। अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम चटखारे लेकर इसके या उसके भ्रष्टाचार की बातें करते हैं पर क्या कभी हमने जाँचा है कि अपने स्तर पर अपने दायरे या उसके भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे हैं? यही कारण है कि रोज हम पढ़ते हैं कि यह हजार करोड़ की योजना बनी, वह चार हजार करोड़ की योजना बनी, पर यह अरबों-खरबों की राशि कहाँ गुम हो जाती है? काले मेघा दल के दल उमड़ते हैं, पानी झमाझम बरसता है, पर गगरी फूटी की फूटी रह जाती है, बैल पियासे के पियासे रह जाते हैं? आखिर कब बदलेगी यह स्थिति?

    1. लेखक की चिंता किस बात को लेकर है?
    2. आज किस भावना का नामो-निशान नहीं है?
    3. भ्रष्टाचार के बारे में क्या कहा गया है?
    4. आज देश की हालत क्या है?



    Solution

    1. लेखक की चिता इस बात को लेकर है कि आजादी को मिले 50 से ज्यादा साल बीत गए, पर हम सच्चे अर्थो मे आजाद नहीं हो पाए।
    2. आज देश के लिए त्याग करने की भावना का नामोनिशान तक नहीं है। हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। हम अपने देश के संस्कारों को नहीं समझ पाए हैं।
    3. देश में सर्वत्र भ्रष्टाचार है। हम चटखारे लेकर भ्रष्टाचार की बातें तो करते हैं, पर इस समस्या पर कभी गंभीरता से सोचते नहीं। क्या हम भ्रष्टाचार के अंग नहीं बनते जा रहे है? यह प्रश्न विचारणीय है।
    4. आज देश की हालत यह है कि अरबों-खरबों की राशि न जाने कहाँ गुम हो जाती है। योजनाएँ तो बनती हैं, पैसों की व्यवस्था भी की जाती है पर भ्रष्टाचार सारी राशि को निगल जाता है। गाँवों की हालत वहीं की वहीं रह जाती है।

    Question 9
    CBSEHIHN12026894

    Solution
    Question 10
    CBSEHIHN12026895

    लोगों ने लड़कों की टोली को मेढक मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाती थी?

    Solution

    गाँव के जो लोग उन लडुकों के नंगे शरीर, उनकी उछल-कूद, उनके शोर-शराबे और उसके कारण गली में होने वाली कीचड़ से चिढ़ते थे, वे इन लड़की की टोली को ‘मेढक मंडली’ कहकर पुकारते थे।

    लड़कों की यह टोली अपने आपको ‘इंदर सेना’ कहकर बुलाती थी। इनका कहना था कि वे इंद्र की सेना के सैनिक हैं और उसी के लिए लोगों से पानी माँगते हैं ताकि इंद्र बादलों के रूप में बरस कर हम सब को पानी दे सकें। ये लड़के नंगे बदन (सिर्फ जाँघिया या लंगोटी पहनकर) लोगों से यह कहकर पानी. माँगते-”पानी दे मैया, इंदर सेना आई है।”

    Question 11
    CBSEHIHN12026896

    जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?

    Solution

    लेखक की दृष्टि के विपरीत जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को बिल्कुल सही ठहराया। उसका तर्क था:

    - किसी से कुछ पाने के लिए पहले उसे चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। हम यह पानी का अअर्घ्यचढ़ाते हैं। जो चीज हम पाना चाहते हैं, उसे पहले देंगे नहीं तो पाएँगे कैसे?

    - पहले त्याग करो फिर फल पाने की आशा करो। त्याग उसी वस्तु का मान्य होता है जिसकी तुम्हें भी बहुत अवश्यकता है। पानी की भी यही स्थिति है।

    - जीजी ने खेत में गेहूँ की अच्छी फसल पाने के लिए अच्छे बीजों को खेत में डालने का तर्क देकर भी अपनी बात-इंदर सेना पर पानी फेंके जाने-को सही ठहराया।

    Question 12
    CBSEHIHN12026897

    ‘पानी दे, गुड़धानी दे’ मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है?

    Solution

    वास्तव में तो पानी की ही माँग की जाती है। ‘गुड़धानी’ शब्द तो इसके साथ जोड़ दिया गया है। पानी बरसेगा तभी खेतों में ईख और धान उत्पन्न होगा। ईख से गुड बनेगा और गड़धानी तैयार हो पाएगी।

    ‘गुड़धानी’ का अर्थ पाठ के संदर्भ में अनाज से है। बच्चे मेघों से पानी की माँग भी करते हैं। इसका कारण यह है कि बारिश से प्यास तो बुझती है पर पेट भरने के लिए अनाज की आवश्यकता होती है। अत: वे वर्षा के साथ गुड़धानी (अनाज) की भी माँग करते हैं।

    Question 13
    CBSEHIHN12026898

    ‘गगरी फूटी बैल पियासा’ इंदर सेना के इस खेल गीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है?

    Solution

    इंदर सेना गाती है?

    काले मेधा पानी दे

    गगरी फूटी बैल पियासा

    पानी दे, गुड़धानी दे

    काले मेघा पानी दे।

    इंदर सेना के इस खेल गीत में इंद्र को यह बताया जाता है कि पानी के अभाव में घरों की गगरियाँ फूटने की स्थिति मैं आ गई हैं और बैल (पशु) प्यासे मर रहे हैं अर्थात् मनुष्यों तथा पशुओं सभी को पानी की आवश्यकता है। वे इंद्र से पानी माँगने का कारण स्पष्ट करते हैं। ग्रामीण जीवन में बैलों का अहम् रोल है। बैल ही कृषि का आधार हैं यदि वे प्यासे हैं तो कृषि-कार्य ठीक ढंग से नहीं हो सकता। यदि कृषि ठीक ढंग से नहीं हुई तो जीवन सुखी कैसे रह मकता है? कृषि प्रधान समाज में बैलों का महत्त्व सर्वोपरि है।

    Question 14
    CBSEHIHN12026899

    इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है?

    Solution

    वर्षा के न होने पर गाँव के लड़के इंदर सेना के रूप मे एकत्रित होते हैं और उनका पहला जयकारा लगता है-’बोल गंगा मैया की जय’। यह इदर सेना गंगा मैया की जय दो कारणों ‘से बोलती है-

    1. गंगा मैया को हमारे भारतीय जन-जीवन में विशेष आदर-सम्मान प्राप्त है। प्रत्येक शुभ कार्य करने से पहले उसका स्मरण किया जाता है।

    2. गंगा पवित्र जल को भंडार है। इंद्र से भी जल बरसाने की प्रार्थना की जाती है-’काले मेघा पानी दे’। अत: दोनों का संबंध जल से है।

    - भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक जीवन में नदियों को विशेष स्थान दिया गया है। हमारी संस्कृति में नदियों को पूज्य माना है तथा माँ की मान्यता दी गई है। नदियों के तट पर हमारे सांस्कृतिक केंद्र स्थापित हुए। प्रमुख औद्योगिक बस्तियाँ, धार्मिक नगर इन नदियों के तट पर ही बसे हैं। नदियों को भारतीय संस्कृति में मोक्षदायिनी माना गया है। नदियों में गंगा नदी का स्थान सर्वोपरि है।

    Question 15
    CBSEHIHN12026900

    रिश्तों में हमारी भावना शक्ति का बँट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति को कमजोर करती है। पाठ में जीजी के प्रति लेखक की भावना के संदर्भ में इस कथन के औचित्य की समीक्षा कीजिए।

    Solution

    जब हम रिश्तों को निबाहने की खातिर भावना के वशीभूत हो जाते हैं तब हमारे मन में जमे विश्वास भी कई बार हिल जाते हैं और हम सत्य को खोजने के प्रयास में लक्ष्य से भटक जाते हैं 1. इस प्रकार की मन:स्थिति में हमारी बुद्धि की ताकत कमजोर हो जाती है और हम भावना के वशीभूत हो जाते हैं। भावना के हावी होते ही बुद्धि किसी तर्क को नहीं मानती।

    इस पाठ मे लेखक का जीजी के साथ भावनात्मक संबंध है। उनके सामने वह अपने विश्वास को कायम नहीं रख पाता। उनके तर्कों के सामने उसकी बुद्धि की शक्ति कमजोर पड़ जाती है। वह वे सारे काम करने को तैयार हो जाता है जिन पर वह विश्वास नहीं करता। वह त्योहारों पर उन अनुष्ठानों को करता है जिन्हें वह जड़ से उखाड़ने में विश्वास रखता है।

    Question 16
    CBSEHIHN12026901

    क्या इंदर सेना आज के युवा वर्ग का प्रेरणा स्रोत हो सकती है? क्या आपके स्मृति कोश में ऐसा कोई अनुभव है जब युवाओं ने संगठित होकर समाजोपयोगी रचनात्मक कार्य किया हो, उल्लेख करें।

    Solution

    हाँ, इंदर सेना आज के युवा वर्ग का प्रेरणा स्रोत हो सकती है। युवा वर्ग का समाज के लिए कुछ करना निश्चय ही अच्छी बात है। मेरे स्मृति कोश में एक ऐसा अनुभव है जब युवाओं ने संगठित होकर समाजोपयोगी रचनात्मक कार्य किया।

    कुछ युवकों ने एकत्रित होकर एक ‘जागरण मंच’ बनाया था। ये युवक दफ्तरों में फैले भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करते थे। सरकारी दफ्तरों में व्याप्त भ्रष्टाचार समाज के लिए सिरदर्द बन रहा था। ये युवक संगठित होकर दफ्तरों में जाते थे और लोगों के काम न करने का कारण पूछते थे। पहले तो इन्हें टाला गया पर जब वे धरना-प्रदर्शन पर उतर आए तो उन्हें लोगों के जायज काम करने ही पड़े। इससे लोगों ने राहत की साँस ली।

    Question 17
    CBSEHIHN12026902

    तकनीकी विकास के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। कृषि समाज में चैत्र, वैशाख सभी माह बहुत महत्त्वपूर्ण हैं पर आषाढ़ का चढ़ना उनमें उल्लास क्यों भर देता है?

    Solution

    आषाढ़ का चढ़ना किसान के जीवन में उल्लास इसलिए भर देता है क्योंकि इस मास में झमाझम वर्षा होती है। इससे उसके खेतों की प्यास बुझ जाती है। खेत बुवाई के लिए तैयार हो जाते हैं। किसान खेतों में बीजों की बुवाई कर अच्छी फसल की उम्मीद करने लगता है।

    Sponsor Area

    Question 18
    CBSEHIHN12026903

    पाठ के संदर्भ में इसी पुस्तक में दी गई निराला की कविता बादल-राग पर विचार कीजिए और बताइए कि आपके जीवन में बादलों की क्या भूमिका है?

    Solution

    निराला की कविता ‘बादल-राग’ एक प्रगतिवादी रचना है। इसमें कवि ने किसान-मजदूरों (शोषित वर्ग) के जीवन में बादलों के महत्त्व को रेखांकित किया है। वैसे ये बादल क्रांति के प्रतीक हैं। इनके आने पर शोषित वर्ग तौ हर्षित होता है और शोषकवर्ग दु:खी होता है।

    हमारे जीवन में भी बादलों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जब बादल बरसते हैं तब पृथ्वी पर जीवन का संचार होता है। हमारा पूरा जीवन बादलों पर निर्भर है। बादल ही हमारी खेतों की पशु-पक्षियों की प्यास बुझाते हैं।

    Question 19
    CBSEHIHN12026904

    ‘त्याग तो वह होता ...... उसी का फल मिलता है।’ अपने जीवन के किमी प्रसंग से इस सूक्ति की सार्थकता समझाइए।

    Solution

    जीजी का यह कथन पूर्णत: उचित है। जब हम उस चीज का त्याग दूसरों के लिए करते हैं जिसकी हमें भी जरूरत होती है तभी उस त्याग का फल मिलता है।

    मेरे जीवन में भी एक ऐसा ही प्रसंग आया। दिल्ली में भयंकर जल-संकट चल रहा था। पीने के पानी का भयकर अकाल पड़ा था। मेरे घर में केवल एक बाल्टी पेयजल था। पड़ोसी के घर में बिल्कुल पानी नहीं था। यद्यपि मेरे परिवार के लिए भी यह पानी आवश्यक था पर मैंने आधी बाल्टी पानी पड़ोसी को दे दिया। उसके परिवारजनों ने उस जल से अपनी व्यास बुझाई। इसका फल मुझे अगले ही दिन मिल गया। दिल्ली का जल संकट दूर हो गया।

    Question 20
    CBSEHIHN12026905

    पानी का संकट वर्तमान स्थिति में भी बहुत गहराया हुआ है। इसी तरह के पर्यावरण से संबद्ध अन्य संकटों के बारे में लिखिए।

    Solution

    पानी का संकट तो है ही इसके साथ पर्यावरण प्रदूषण का सकट भी गहराता चला जा रहा है। हमारा पर्यावरण विषैली गैसों से भरा हुआ है। साँस लेने तक के लिए स्वच्छ वायु उपलब्ध नही है। अंधाधुंध बढ़ते वाहन पर्यावरण में विषैली गैसें छोड़ रहे हैं। कल-कारखानों का धुआँ भी पर्यावरण के संकट को बढ़ा रहा है। वृक्षों की संख्या में निरंतर गिरावट आ रही है। पर्यावरण का दूसरा संकट धनि-प्रदूषण का है। कारखानों, वाहनो तथा कानफोडू संगीत ने वातावरण मे इतना शोर भर दिया है कि बहरेपन की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

    Question 21
    CBSEHIHN12026906

    आपकी दादी-नानी किस तरह के विश्वासों की बात करती हैं? ऐसी स्थिति में उनके प्रति आपका रवैया क्या होता है? लिखिए।

    Solution

    हमारी दादी-नानी तरह-तरह के अंधविश्वासों की बात करती हैं। वे शनिवार को तेल दान करती हैं। सप्ताह में दो-तीन व्रत रखती हैं। वे हर बात में भगवान की मूर्ति के सम्मुख खड़ी होकर प्रार्थना करने लगती हैं। वे पूजा-पाठ, तीर्थयात्रा में भी विश्वास करती हैं।

    इन स्थिति में उनके प्रति मेरा रवैया ज्यादा ध्यान न देने का होता है। मेरे मन में तो इन सब बातों के लिए विरोध का भाव होता है, पा मैं दादी-नानी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचाना चाहता अत चुप होकर रह जाता हूँ। मैं उनकी पूजा-पाठ में दखल नहीं देता।

    Question 25
    CBSEHIHN12026910

    जीजी ने रूठे लेखक को किस प्रकार मनाने का प्रयास किया? उसने क्या बात समझाई?

    Solution

    जीजी लेखक के मुँह में मठरी डालती हुई बोलीं, “देख बिना त्याग के दान नहीं होता। अगर तेरे पास लाखों-करोड़ों रुपए हैं और उसमें से तू दो-चार रुपए किसी को दे दे तो यह क्या त्याग हुआ। त्याग तो वह होता है कि जो चीज तेरे पास भी कम है जिसकी तुझको भी जरूरत है तो अपनी जरूरत पीछे रख कर दूसरे के कल्याण के लिए उसे दे तो त्याग तो वह होता है दान तो कह होता है उसी का फल मिलता है।”

    Question 26
    CBSEHIHN12026911

    ‘काले मेधा पानी दे’ पाठ का प्रतिपाद्य दीजिए।

    Solution

    ‘काले मेघा पानी दे’ संस्मरण धर्मवीर भारती द्वारा लिखित है। इसमें लेखक ने लोक आस्था और विज्ञान के द्वंद्व का सुंदर चित्रण किया है। विज्ञान का अपना तर्क है और विश्वास की अपनी सामर्थ्य। लेखक ने किशोर जीवन के इस संस्मरण में दिखलाया है कि अनावृष्टि से मुक्ति पाने हेतु गाँव के बच्चों की इंदर सेना द्वार-द्वार पानी माँगने जाती है लेकिन लेखक का तर्कशील किशोर मन भीषण सूखे में उसे पानी की निर्मम बर्बादी समझता है। लेखक की जीजी इस कार्य को अंधविश्वास न मानकर लोक आस्था त्याग की भावना कहती है। लेखक बार-बार अपनी जीजी के तर्को का खंडन करता हुए इसे पाखंड और अंधविश्वास कहता है लेकिन जीजी की संतुष्टि और अपने सद्भाव को बचाए रखने के लिए वह तमाम रीति-रिवाजों को ऊपरी तौर पर सही मानता है लेकिन अंतर्मन से उनका खंडन करता चलता है। पाठ के अंत में लेखक ने देशभक्ति का परिचय देते हुए देश में फैले भ्रष्टाचार के प्रति गहन चिंता व्यक्त की है तथा उन लोगों के प्रति कटाक्ष किया है जो आज भी पश्चिमी संस्कृति और भाषा के अधीन हैं तथा भ्रष्टाचार को अनदेखा कर रहे हैं।

    Question 27
    CBSEHIHN12026912

    इंदर सेना के बारे में लेखक के विचार बताइए।

    Solution

    इंदर सेना के बारे में लेखक बताता है कि गाँव में जब सूखे की स्थिति आ जाती है तब बालकों की टोली कीचड़ में लथपथ होकर मेघों से जल बरसाने की प्रार्थना करती है। लेखक इसे अंधविश्वास मानता है। वह इसे पानी की बर्बादी मानता है। एक तरफ तो सूखे के कारण लोग पानी का अभाव झेलते हैं. दूसरी तरफ घर में बनाकर रखा गया पानी इस टोली के लड़कों के ऊपर फेका जाता है। इससे तो पानी का संकट और भी बढ़ता है।

    Question 28
    CBSEHIHN12026913

    सूखे के कारण गाँवों में कैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है?

    Solution

    सूखे के कारण गाँव की स्थिति बड़ी दयनीय हो जाती है। एक तो पानी की कमी ऊपर से गरमी का विकराल रूप लोगो की परेशानियों को बढ़ा देता है। लोग गरमी से तड़पने लगते हैं। गाँवो में खेतों की मिट्टी सूखकर पपड़ी बन जाती है। लू के प्रभाव से व्यक्ति तथा पशु बीमार हो जाते हैं। पानी के अभाव में पश मरने लगते हैं।

    Question 29
    CBSEHIHN12026914

    ‘काले मेघा पानी दे’ संस्मरण की क्या विशेषता है?

    Solution

    इस संस्मरण की यह विशेषता है कि इसमें लेखक ने लोक-प्रचलित विश्वास और विज्ञान के द्वंद्व का सुंदर चित्रण किया है। विज्ञान का अपना तर्क है और विश्वास का अपनी सामर्थ्य। इसमें कौन कितना सार्थक है यह प्रश्न पढ़-लिखे समाज को उद्वेलित करता है। इसी बात को लेखक ने पानी के संदर्भ में प्रसंग रचा है। आषाढ़ का पहला पखवारा बीत जाने पर भी खेती तथा अन्य कामों के लिए पानी न हो तो जीवन चुनौतियों का घर बन जाता है। उन चुनौतियों का निराकरण यदि विज्ञान न कर पाए तो उत्सवधर्मी का भारतीय समाज किसी न किसी जुगाड़ में लग जाता है, प्रपंच रचता है तथा हर कीमत पर जीवित रहने का प्रयास करता है।

    Question 30
    CBSEHIHN12026915

    दिनों-दिन गहराते पानी के संकट से निपटने के लिए क्या आज का युवा वर्ग ‘काले मेघा पानी दे’ की इंदर सेना की तर्ज पर कोई सामूहिक दोलन प्रारम्भ कर सकता है? अपने विचार लिखिए।

    Solution

    आजकल दिनों-दिन पानी का संकट गहराता जा रहा है। इस संकट से निपटने के लिए आज का युवा वर्ग इंदर सेना की तर्ज पर सामूहिक आदोलन प्रारंभ कर सकता है। आज का युवा वर्ग इन्दर सेना से जनोपयोगी कार्य को करने की प्रेरणा ले सकता है। यह युवा आदोलन जल की बर्बादी को रोकने के लिए जन-जागरण कर मकता है। आज भी पेयजल को काफी बर्बादी की जाती है। पेड़- पौधों एवं निर्माण कार्यो में पेयजल को नष्ट किया जाता है। युवा वर्ग सामूहिक दोलन छेड़कर लोगों को इमस होने वाली हानियों के प्रति जागरूक कर सकता है।

    Mock Test Series

    Sponsor Area

    Sponsor Area

    NCERT Book Store

    NCERT Sample Papers

    Entrance Exams Preparation