स्पर्श भाग २ Chapter 9 आत्मत्राण
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    NCERT Solution For Class 10 Social+science स्पर्श भाग २

    आत्मत्राण Here is the CBSE Social+science Chapter 9 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 Social+science आत्मत्राण Chapter 9 NCERT Solutions for Class 10 Social+science आत्मत्राण Chapter 9 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 Social+science.

    Question 1
    CBSEENHN10002444

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    कवि किससे और क्या प्रार्थना कर रहा है?  

    Solution

    कवि करुणामय ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है कि उसे जीवन की विपदाओं से दूर चाहे ना रखे पर इतनी शक्ति दे कि इन मुश्किलों पर विजय पा सके। दुखों में भी ईश्वर को न भूले, उसका विश्वास अटल रहे। 

    Question 2
    CBSEENHN10002445

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    'विपदाओं से मुझे बचाओं, यह मेरी प्रार्थना नहीं' - कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है? 

    Solution

    कवि का कहना है कि हे ईश्वर मैं यह नहीं कहता कि मुझ पर कोई विपदा न आए, मेरे जीवन में कोई दुख न आए बल्कि मैं यह चाहता हूँ कि मुझमें इन विपदाओं को सहने की शक्ति दें ताकि आत्म-विश्वास के साथ निर्भीक होकर हर परिस्थितियों का सामना करने का साहस मुझ में आ जाए।  

    Question 3
    CBSEENHN10002446

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है?

    Solution

    विपरीत परिस्थितियों में कवी सहायक के न मिलने पर कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उसका बल पौरुष न हिले, वह सदा बना रहे और कोई भी कष्ट वह धैर्य से सह ले। 

    Question 4
    CBSEENHN10002447

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    अंत में कवि क्या अनुनय करता है? 

    Solution

    अंत में कवि अनुनय करता है कि चाहे सब लोग उसे धोखा दे, सब दुख उसे घेर ले पर ईश्वर के प्रति उसकी आस्था कम न हो, सुखों के आने पर भी ईश्वर को हर क्षण याद करता रहें। उसका विश्वास बना रहे। उसका ईश्वर के प्रति विश्वास कभी न डगमगाए। इस पूरी कविता में कवि ने ईश्वर से साहस और आत्मबल माँगा है।

    Question 5
    CBSEENHN10002448

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    'आत्मत्राण' शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।  

    Solution

    आत्मत्राण का अर्थ है आत्मा का त्राण अर्थात् आत्मा या मन के भय का निवारण, उससे मुक्ति। कवि चाहता है कि जीवन में आने वाले दुखों को वह निर्भय होकर सहन करे। त्राण शब्द का प्रयोग इस कविता के संदर्भ में बचाव, आश्रय और भय निवारण के अर्थ में किया जा सकता है। दुख न मिले ऐसी प्रार्थना वह नहीं करता बल्कि मिले हुए दुखों को सहने, उसे झेलने की शाक्ति के लिए प्रार्थना करता है। कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उसका बल पौरुष न हिले, वह सदा बना रहे और कोई भी कष्ट वह धैर्य से सह ले इसलिए यह शीर्षक पूर्णतया सार्थक है। 

    Question 6
    CBSEENHN10002449

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप प्रार्थना के अतिरिक्त और क्या-क्या प्रयास करते हैं? लिखिए। 

    Solution

    अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना के अतिरिक्त हम निम्नलिखित प्रयास करते हैं-
    १) कठिन परिश्रम और संघर्ष करते हैं।
    २) सफलता प्राप्त होने तक धैर्य धारण करते हैं।

    Question 7
    CBSEENHN10002450

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    क्या कवि की यह प्रार्थना आपको अन्य प्रार्थना गीतों से अलग लगती है? यदि हाँ, तो कैसे? 

    Solution

    यह प्रार्थना अन्य प्रार्थना गीतों से भिन्न है क्योंकि अन्य प्रार्थना गीतों में दास्य भाव, आत्म समर्पण, समस्त दुखों को दूर करके सुखशांति की प्रार्थना, कल्याण, मानवता का विकास, ईश्वर सभी कार्य पूरे करें ऐसी प्रार्थनाएँ होती हैं परन्तु इस कविता में कष्टों से छुटकारा नहीं कष्टों को सहने की शक्ति के लिए प्रार्थना की गई है। यहाँ ईश्वर में आस्था बनी रहे, कर्मशील बने रहने की प्रार्थना की गई है। यह प्रार्थना किसी सांसारिक या भौतिक सुख की कामना के लिए नहीं है।

    Question 8
    CBSEENHN10002451

    निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-  
    नत शिर होकर सुख के दिन में
    तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में।

    Solution

    इन पंक्तियों में कवि कहना चाहता है कि वह सुख के दिनों में भी सिर झुकाकर ईश्वर को हर पल श्रद्धा भाव से याद रखना चाहता है, वह एक पल भी ईश्वर को भुलाना नहीं चाहता। कवि दुख-सुख दोनों में ही प्रभु को सम भाव से याद करना चाहते हैं। 

    Question 9
    CBSEENHN10002452

    निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-  
    हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचना रही
    तो भी मन में ना मानूँ क्षय।

    Solution

    कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि जीवन में उसे लाभ मिले या हानि ही उठानी पड़े तब भी वह अपना मनोबल न खोए। हर परिस्थिति का सहर्ष सामना कर सके। 

    Question 10
    CBSEENHN10002453

    निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-  
    तरने की हो शक्ति अनामय
    मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।

    Solution

    कवि कामना करता है कि यदि प्रभु दुख दे तो उसे सहने की शक्ति भी दे। कवि इस संसार रूपी भवसागर को पार करना चाहते हैं, वह यह नहीं चाहता कि ईश्वर उसे इस दुख के भार को कम कर दे या सांत्वना दे। वह अपने जीवन की ज़िम्मेदारियों को कम करने के लिए नहीं कहता बल्कि उससे संघर्ष करने, उसे सहने की शक्ति के लिए प्रार्थना करता है।

    Question 11
    CBSEHIHN10002837

    Q12'आत्त्मत्राण' शीर्षक का अर्थ बताते हुए उसकी सार्थकता, ​कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    यह कविता हमें ईश्वर के सहारे ना रहकर स्वयं संघर्ष करने के लिए प्रेरित करती है| कवि के अनुसार हमें दृढ़तापूर्वक अपने जीवन मार्ग पर हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए| कैसी भी इस स्थिति क्यों ना आ जाए हमें कभी भी अपने जीवन में कठिनाइयों से हार नहीं  माननी चाहिए| यदि ईश्वर से कुछ मांगना ही है तो  अच्छा स्वास्थ्य,  निडरता, बल, विश्वास तथा भगवान का साथ मांगना चाहिए| मनुष्य चाहे तो वह परिस्थिति से निपट सकता है| यही कविता का शीर्षक सार्थक करता है| हमें स्वयं को मजबूत बनाना  है| ईश्वर या अन्य किसी के सहारे आगे नहीं बढ़ना है| हमें हर स्थिति का सामना डट  कर करना है| इसके साथ-साथ हमें स्वयं की  क्षमताओं पर और ईश्वर पर अटल विश्वास रखना चाहिए| 

    Question 12
    CBSEHIHN10002851

    'आत्मत्राण' कवित में कवि की प्रार्थना से क्या संदेश मिलता है? अपने शब्दों में लिखिए।

    Solution

    'आत्मत्राण' कविता रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखित कविता है। आत्मत्राण कविता में कवि मनुष्य को भगवान के प्रति विश्वास बनाए रखने का संदेश देता है। वह प्रभु से प्रार्थना करता है कि चाहे कितना कठिन समय हो या कितनी विपदाएँ जीवन में हों। परन्तु हमारी आस्था भगवान पर बनी रहनी चाहिए। उनके अनुसार जीवन में थोड़ा-सा दुख आते ही, मनुष्य का भगवान पर से विश्वास हट जाता है। कवि भगवान से प्रार्थना करता है कि ऐसे समय मैं आप मेरे मन में अपने प्रति विश्वास को बनाए रखना। उनके अनुसार भगवान पर विश्वास ही उन्हें सारी विपदाओं व कठिनाइयों से उभरने की शक्ति देता है। दूसरे वह (भगवान) मनुष्य को विषम परिस्थितियों में निडर होकर लड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। उनके अनुसार भगवान में वे शक्तियाँ हैं कि वह असंभव को संभव को बना सकते हैं। परन्तु कवि भगवान से प्रार्थना करते हैं कि परिस्थितियाँ कैसी भी हो, वह उनसे स्वयं आमना-सामना करें। भगवान मात्र उसका सहयोग करे। 

    Question 13
    CBSEHIHN10002869

    'आत्मत्राण' कविता के द्वारा कवि क्या कहना चा​हता है? उसका संदेश स्पष्ट कीजिए। 

    Solution

    'आत्मत्राण' कविता रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखित कविता है। आत्मत्राण कविता में कवि मनुष्य को भगवान के प्रति विश्वास बनाए रखने का संदेश देता है। वह प्रभु से प्रार्थना करता है कि चाहे कितना कठिन समय हो या कितनी विपदाएँ जीवन में हों। परन्तु हमारी आस्था भगवान पर बनी रहनी चाहिए। उनके अनुसार जीवन में थोड़ा-सा दुख आते ही, मनुष्य का भगवान पर से विश्वास हट जाता है। कवि भगवान से प्रार्थना करता है कि ऐसे समय मैं आप मेरे मन में अपने प्रति विश्वास को बनाए रखना। उनके अनुसार भगवान पर विश्वास ही उन्हें सारी विपदाओं व कठिनाइयों से उभरने की शक्ति देता है। दूसरे वह (भगवान) मनुष्य को विषम परिस्थितियों में निडर होकर लड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। उनके अनुसार भगवान में वे शक्तियाँ हैं कि वह असंभव को संभव को बना सकते हैं। परन्तु कवि भगवान से प्रार्थना करते हैं कि परिस्थितियाँ कैसी भी हो, वह उनसे स्वयं आमना-सामना करें। भगवान मात्र उसका सहयोग करे। इससे होगा यह कि वह स्वयं इतना मजबूत हो जाएगा कि हर परिस्थिति में कमजोर नहीं पड़ेगा और उसका डटकर सामना करेगा।

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