Question
निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-
नत शिर होकर सुख के दिन में
तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में।
Solution
इन पंक्तियों में कवि कहना चाहता है कि वह सुख के दिनों में भी सिर झुकाकर ईश्वर को हर पल श्रद्धा भाव से याद रखना चाहता है, वह एक पल भी ईश्वर को भुलाना नहीं चाहता। कवि दुख-सुख दोनों में ही प्रभु को सम भाव से याद करना चाहते हैं।