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पिछले दिनों छुट्टियों में मैं अपनी नानी के घर गया। वहाँ बड़ा ही आनंद था क्योंकि किसी भी काम की या खाने-पीने की कोई रोक-टोक नहीं थी। रोज शाम को मैं साइकिल चलाने जाता। मुझे तेज व हाथ छोड़कर साइकिल चलाना बहुत अच्छा लगता था। एक दिन शाम को मैंने बहुत तेज साइकिल चलाई जब मुझे बहुत मजा आ रहा था तो मैंने हैंडल से हाथ छोड़ दिए, ऐसा लगा जैसे मन की इच्छा पूरी हो गई।
अचानक ही मैंने देखा कि सामने हमारे पड़ोसी श्रीमान दीपक आ रहे थे उन्होंने मुझे पहचान लिया और घर जाकर मेरे माता-पिता को बता दिया। अगले दिन ही मेरे माता-पिता नानी के घर आ गए। उन्होंने मुझे खूब डाँटा। बात यहाँ आकर खत्म हुई कि मैं नाना-नानी से डरता नहीं हूँ। मुझे सारा सामान बाँधकर उसी समय घर वापस आना पड़ा।
कुछ शब्द परस्पर मिलते-जुलते अर्थवाले होते हैं, उन्हें पर्यायवाची कहते हैं। और कुछ विपरीत अर्थवाले भी। समानार्थी शब्द पर्यायवाची कहे जाते हैं और विपरीतार्थक शब्द विलोम, जैसे-
पर्यायवाची - चंद्रमा-शशि, इंदु, राका
मधुकर-भ्रमर, भौंरा, मधुप
सूर्य-रवि, भानु, दिनकर
विपरीतार्थक - दिन-रात
श्वेत-श्याम
शीत-उष्ण
पाठों से दोनों प्रकार के शब्दों को खोजकर लिखिए।
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B.
माखन-रोटीD.
कृष्ण उनकी मक्खन से भरी हड़ियों से मक्खन चुरा लेते हैं।D.
उन्हें गले लगाकर आशीष देती है कि कृष्ण और बलराम की जोड़ी बनी रहे।C.
कृष्ण ने हमारे घर में घुसकर दूध-दही स्वयं खाया और अपने मित्रों को भी खिलाया।निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
तेरैं लाल मेरौ माखन खायौ।
दुपहर दिवस जानि घर सूनो ढुँढ़ि-ढ़ँढ़ोरि आपही आयौ।
खोलि किवारि, पैठि मंदिर मैं, दूध-दही सब सखनि खवायौ।
ऊखल चढ़ि, सींके की लीन्हौ, अनभावत भुइँ मैं ढरकायौ।
दिन प्रति हानि होति गोरस की, यह ढोटा कौनैं ढँग लायौ।
सूर स्याम कौं हटकि न राखैं तैं ही पूत अनोयौ जायौ।
गोपी ने माँ यशोदा को क्या उलाहना दिया?
A.
क्या तुम्हारा पुत्र अनोखा है, उसे डाँटती क्यों नहीं?Sponsor Area
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