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इसमें से किससे लोकतंत्र के विस्तार में मदद नहीं मिलती?
लोगो का संघर्ष
विदेश शासन द्वारा आकर्मण
उपनिवेशवाद का अंत
लोगो के स्वतंत्रता की चाह
B.
विदेश शासन द्वारा आकर्मण
आज की दुनिया के बारे में इसमें से कौन-सा कथन सही है?
राजशाही शासन की वह पद्धति है जो अब समाप्त हो गई हैl
विभिन्न देशों के बीच संबंध पहले के किसी वक़्त से अब कहीं ज्यादा है लोकतांत्रिक हैl
आज पहले के किसे दौर से ज्यादा देशों में शासकों का चुनाव लोगो के द्वारा हो रहा हैl
आज दुनिया में सैनिक तानाशाह नहीं रह गए हैl
B.
विभिन्न देशों के बीच संबंध पहले के किसी वक़्त से अब कहीं ज्यादा है लोकतांत्रिक हैl
अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में लोकतंत्र की जरूरत है ताकि-
अमीर देशों की बातो का ज्यादा वज़न हो।
विभिन्न देशों की बात का वज़न उसकी सैन्य शक्ति के अनुपात में हो।
देशों की उसकी आबादी के अनूपात में सम्मान मिले।
दुनिया के सभी देशों के साथ सम्मान व्यवहार।
D.
दुनिया के सभी देशों के साथ सम्मान व्यवहार।
इन देशों और लोकतंत्र की उनकी राह में मेल बैठाएँ l
A. चिले | (i) ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी |
B. नेपाल | (ii) सैनिक तानाशाही की समाप्ति |
C. पोलैंड | (iii) एक दल के शासन का अंत |
D. घाना | (iv) राजा ने अपने अधिकार छोड़ने पर सहमति दी |
A. चिले | (i) सैनिक तानाशाही की समाप्ति |
B. नेपाल | (ii) राजा ने अपने अधिकार छोड़ने पर सहमति दी |
C. पोलैंड | (iii) एक दल के शासन का अंत |
D. घाना | (iv) ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी |
गैर-लोकतांत्रिक शासन वाले देशों के लोगों को किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है? इस अध्याय में दिए गए उदाहरणों के आधार पर इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
गैर-लोकतांत्रिक देश में लोगों को निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है:
(i) गैर-लोकतांत्रिक देशों के लोग मूल अधिकारों और स्वतंत्रता का आनंद नहीं ले सकते।
(ii) लोगो को अपने विचार व्यक्त करने की आज़ादी नहीं होती।
(iii) लोग चुनावों द्वारा अपने शासकों को चुन और बदल नहीं सकते।
(iv) लोग विरोध नहीं कर सकते और न ही राजनितिक गतिविधियाँ चला सकते है।
(v) लोग राजनितिक संगठन नहीं चला सकते।
(vi) चिली और पोलैंड के मामलो में देखा जा सकता है कि वहाँ राजनैतिक और सैन्य गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाने पर जेल में डाल दिया जाता है।
जब सेना लोकतांत्रिक शासन को उखाड़ फेंकती है तो सामान्यतः कौन सी स्वतंत्रताएँ छीन ली जाती है?
जब सेना लोकतांत्रिक शासन को उखाड़ फेंकती है तो सामान्यतः निम्नलिखित स्वतंत्रताएँ छीन ली जाती है-
(1) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
(2) राजनितिक संगठन बनाने की स्वतंत्रता।
(3) प्रेस की स्वतंत्रता।
(4) सरकार के विरुद्ध आवाज़ उठाने की स्वतंत्रता।
(5) आंदोलन की स्वतंत्रता।
(6) समानता के अधिकार की स्वतंत्रता।
(7) शासन चुनने और बदलने की स्वतंत्रता।
वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ाने में इनमे से किन बातों में मदद मिलेगी? प्रत्येक मामले में अपने जवाब के पक्ष में तर्क दीजिए।
(क) मेरे देश अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को ज़्यादा पैसे देता है इसलिए मैं चाहता हूँ कि मेरे साथ ज़्यादा समान्यजनक व्यवहार हो और मुझे ज़्यादा अधिकार मिलें।
(ख) मेरा देश छोटा या गरीब हो सकता है लेकिन मेरी आवाज़ को सामान आदर के साथ सुना जाना चाहिए क्योंकि इन फैसलों का मेरे देश पर भी असर होगा।
(ग) अंतराष्ट्रीय मामलों में अमीर देश की ज़्यादा चलनी चाहिए। गरीब देशो की संख्या ज्यादा है, सिर्फ़ इसके चलते अमीर देश अपने हितो का नुकसान नहीं होने दे सकते।
(घ) भारत जैसे बड़े देशो की आवाज़ का अंतराष्ट्रीय संगठनों में ज्यादा वज़न होना ही चाहिएl
(क) यह मामला वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ाने में मदद नहीं करेगा क्योंकि लोकतंत्र के अनुसार एक देश किसी दूसरे देश के मुकाबले ज़्यादा धन तो अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को दे तो सकता है परन्तु प्रत्येक राष्ट्र को अधिकार बराबर ही होने चाहिए।
यही बात अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष पर भी लागू होती है। जहाँ राष्ट्रीयों के मतों का महत्व उनके द्वारा दिए जाने वाले धन पर निर्भर करता है।
(ख) हाँ, यह मामला वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ने में मदद करेगा क्योंकि लोकतंत्रिक व्यवस्था में प्रत्येक व्यक्ति को सामान अधिकार और सुविधाएँ प्राप्त होते हैं।
(ग) यह मामला वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ाने में मदद नहीं करेगा क्योंकि लोकतंत्र में सभी का महत्व बराबर होता है किसी को केवल इस आधार पर उपेक्षित नहीं किया जा सकता कि उसकी संख्या अन्य की अपेक्षा कम है।
(घ) यह मामला वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ने में मदद नहीं करेगा क्योंकि लोकतंत्र में सभी के विचारो और बातों का सामान महत्व है किसी भी देश को अंतराष्ट्रीय स्तर पर क्षेत्र और जनसंख्या के आधार पर अलग नहीं मापा जा सकता। लोकतंत्र में सभी सामान है अन्यथा लोकतंत्र का कोई महत्व ही नहीं रह जाता।
नेपाल के संकट पर हुई एक टीवी चर्चा में व्यक्त किए गए तीन विचार इस प्रकार के थे। इसमें से आप किसे सही मानते हैं और क्यों?
वक्ता 1 : भारत एक लोकतान्त्रिक देश है इसलिए राजशाही के खिलाफ़ और लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाले नेपाली लोगों के समर्थन में भारत को ज़्यादा दखल देना चाहिए।
वक्ता 2 : यह एक खतरनाक तर्क है। हम उस स्थिति में पहुँच जायेंगे जहाँ इराक के मामले में अमेरिका पहुँचा है। किसी भी बाहरी शक्ति के सहारे लोकतंत्र नहीं आ सकता।
वक्ता 3 : लेकिन हमें किसी देश के आंतरिक मामलों की चिंता ही क्यों करनी चाहिए? हमें वहाँ अपने व्यावसायिक हितों की चिंता करनी चाहिए लोकतंत्र की नहीं।
(1) हम वक्ता 1 की बात से पूर्णतः सहमत है क्योंकि हम एक लोकतान्त्रिक देश है और लोकतान्त्रिक देश होने के नाते हमें अन्य देशो में भी लोकतंत्र स्थापित करने की कोशिश करनी चाहिए और साथ ही नेपाल हमारा पड़ोसी देश है नेपाल के साथ हमारे संबंध भी अच्छे ही रहे है। उन्हें हमें बिगाड़ना नहीं चाहिए।
(2) हम वक्ता 2 के विचार से असहमत है क्योंकि जैसा अमेरिका ने इराक में आंतरिक हस्तक्षेप किया है हम वैसा हस्तक्षेप नेपाल में नहीं कर रहे। हम केवल उन्हें नैतिक समर्थन करने की बात कर रहे है।
(3) हम वक्ता 3 के कथन से असहमत है क्योंकि हमारा देश एक लोकतान्त्रिक देश है और लोकतान्त्रिक देश होने के नाते हमें सबसे पहले लोकतंत्र के बारे में ही सोचना चाहिए न की व्यापारिक हितों के बारे में। अंतर्राष्ट्रीय संबंध दूसरे देशो की संकट के समय मदद करने से ही बेहतर होते है।
एक काल्पनिक देश आनंदलोक में लोग विदेशी शासन को समाप्त करके पुराने राजपरिवारो को सत्ता सौंपते हैl वे कहते है, 'आखिर जब विदेशियों ने हमारे ऊपर राज करना शुरू किया तब इन्ही के पूर्वज हमारे राजा थे यह अच्छा है की हमारा एक मजबूत शासक है जो हमें अमीर और ताकतवर बनने में मदद कर सकता हैl 'जब किसी ने लोकतान्त्रिक शासन की बात की तो वह के सयाने लोगों ने कहा कि यह तो एक विदेशी विचार हैl हमारी लड़ाई विदेशियों और उनके विचारों को देश से खदेड़ने की थीl जब किसी ने मिडिया के आज़ादी की मांग की तो बड़े-बुजुर्गो ने कहा की शासन ज़्यादा आलोचना करने से नुकसान होगा और इससे अपने जीवन स्तर को सुधरने में कोई मदद नहीं मिलेगीl 'आखिर महराज दयावान हैं और अपनी पूरी प्रजा के कल्याण में दिलचस्पी लेते है उनके लिए मुश्किल क्यों पैदा की जाएँ? क्या हम सभी खुशाल नहीं होना चाहते?
उपरोक्त उद्धरण को पढ़ने के बाद चमन, चंपा और चंदू ने कुछ इस तरह के निष्कर्ष निकले:
चमन: आनंदलोक एक लोकतान्त्रिक देश है क्योंकि लोगों ने विदेशी शासको को उखाड़ फेंका और राजा का शासन बहाल किया।
चंपा: आनंदलोक लोकतान्त्रिक देश नहीं है क्योंकि लोग अपने शासन की आलोचना नहीं कर सकते राजा अच्छा हो सकता है और आर्थिक समृद्धि भी ला सकते हैl लेकिन राजा लोकतान्त्रिक शासन नहीं ला सकता।
चंदू: लोगों को खुशाली चाहिए इसलिए वे अपने शासन को अपनी तरफ से फैसले लेना देना चाहते हैl अगर लोग खुश है तो वहाँ का शासन लोकतान्त्रिक ही है।
इन तीनो कथनों के बारे में आपकी क्या राय है? इस देश में सरकार के स्वरूप के बारे में आपकी क्या राय है?
(1) आनंदलोक एक लोकतांत्रिक देश नहीं है बस विदेशी शासन को उखाड़ फेंकना ही लोकतंत्र की स्थापना नहीं है। उससे कुछ हदतक लोकतंत्र आ सकता है, जैसे की ब्रिटेन में है। परन्तु जब किसी देश पर पूर्णतः एक राजा का शासन होता है तो वहाँ लोकतंत्र नहीं राजतंत्र कायम होता है। अतः चमन द्वारा दिया गया बयान गलत है।
(2) हम चंपा से सहमत हैं आनंदलोक एक लोकतांत्रिक देश नहीं है क्योंकि राजा लोगों द्वारा नहीं चुना गया है।इसके अलावा लोगों को राजनीतिक स्वतंत्रता भी नहीं है। एक लोकतांत्रिक देश में लोगों के पास शासन की आलोचना करने का अधिकार भी होना चाहिए जो यहाँ के लोगों के पास नहीं है।
(3) चंदू का बयान पूर्णतः गलत है यदि लोग खुश हैं तो इसका अर्थ यह नहीं है कि उस देश में लोकतंत्र मौजूद है। जब लोग खुद अपना प्रतिनधि चुने तभी लोकतंत्र हो सकता है।
इस देश में वर्तमान में राजशाही है जिसके अपने कई बुरे प्रभाव है।
आयेंदे कौन था?
1. आयेंदे चिले की सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक नेता था।
2. उसने चिले में एक 'पॉपुलर यूनिटी' गठबंधन बनाया तथा 1970 में चुनाव जीतकर चिले का राष्ट्रपति बना।
3. राष्ट्रपति रहते हुए उसने गरीबों एवं मजदूरों के लिए कई नियम बनाए।
ग्डांस्क शहर में लेनिन शीपयार्ड के मज़दूर 1980 में हड़ताल पर क्यों चले गए?
लेनिन शीपयार्ड के मज़दूर 14 अगस्त 1980 को हड़ताल पर चले गए। फैक्ट्री का सरकार द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया था । मजदूरों की मांग थी कि फैक्ट्री में पुन: क्रेन संचालक को वापस लाया जाय। वह एक महिला थी जिसे अन्याय पूर्वक नौकरी से हटा दिया गया था।
संयुक्त राष्ट्र संघ में 'संयुक्त राष्ट्र महासभा' के क्या कार्य है?
संयुक्त राष्ट्र महासभा, 'संयुक्त राष्ट्र संघ' के संसद की तरह है, जहाँ हर तरह की बहस होती है। इस तरह संयुक्त राष्ट्र एक लोकतांत्रिक संस्था लगती है। लेकिन विभिन्न देशों के बीच में यदि कोई टकराव है, तो महासभा कोई कार्रवाई नहीं कर सकती।
सुरक्षा परिषद् कैसे संयुक्त राष्ट्र संघ को लोकतांत्रिक नहीं बनाता है?
परिषद् के 5 सदस्य स्थायी होते हैं बाकी 10 सदस्यों का चुनाव आम सभा दो वर्ष के लिए करती हैं। वास्तविक शक्ति 5 सदस्यों के हाथो में ही होती है। इन सदस्यों को वीटो अधिकार है। अगर कोई भी स्थायी सदस्य देश इस अधिकार का प्रयोग करता हैं तो सुरक्षा परिषद् उसकी मर्जी के खिलाफ फैसला नहीं कर सकती। इसलिए सुरक्षा परिषद् संयुक्त राष्ट्र संघ को लोकतांत्रिक नहीं बनाता।
1970 में चिले में सल्वाडोर आयेंदे के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद क्या नीतियाँ बनाई गई? किन्हीं तीन के नाम लिखें।
'अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष' एक लोकतांत्रिक संस्था नहीं है । तीन तर्क दे ?
(1) इसके सभी 173 सदस्य देशों को समान मताधिकार नहीं है।
(2) सभी देशों के मत का मूल्य उसके द्वारा मुद्रा कोष में सहयोग के अनुपात से तय होता है।
(3) मुद्रा कोष के करीब आधे वोटों पर सिर्फ 07 देशों का अधिकार हैं ।
पोलैण्ड में लोकतंत्र कैसे पुनःस्थापित हुआ?
लेक वालेशा जो एक इलेक्ट्रीशियन था, उसने 'एक क्रेन चालक महिला' को गलत ढंग से नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ़ हड़ताल में हिस्सा लिया। हड़ताल को समर्थन बढ़ता चला गया और जल्दी ही यह पूरे शहर में फैल गई। वह बहुत ही जल्द प्रसिद्ध हो गया और हड़ताली कर्मचारियों का नेता बन गया। जल्दी ही सरकार मजदूरों की मांग मानने के लिए तैयार हो गई । एक स्वतंत्र मज़दूर संघ बनाया गया। जल्दी ही इसके एक करोड़ सदस्य हो गए। सरकार ने इसे दबाने का प्रयास किया। इसके विरोध में हड़ताल हुई। इसके बाद स्वतंत्र चुनाव के लिए एक समझौता 1989 में हुआ। इस चुनाव में लेक वालेशा पोलैण्ड के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए ।
लेक वालेशा कौन था?
'लेक वालेशा' लेनिन जहाज कारखाना का एक 'विद्युतकर्मी' था। उसने हड़ताली कर्मचारियों का साथ दिया। उसके नेतृत्व में मज़दूरों ने सरकार के साथ 21 सूत्री करार किया और हड़ताल खत्म हुई। बाद में एक नए मज़दूर संगठन का भी गठन हुआ।
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चिले के पिनोशे के शासन एवं कम्यूनिस्ट(साम्यवादी) शासन (पोलैण्ड) में अंतर बताएँ?
उन्नीसवीं सदी में वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र की स्थापना के लिए प्रमुख माँग क्या थी?
लोकतांत्रिक एवं गैर-लोकतांत्रिक शासन में अंतर बताएँ ?
संयुक्त राष्ट्र संघ के एक वैश्विक सरकार के रूप में तीन योगदान बताएँ?
1990 के चुनावों के बाद म्यांमार में लोकतंत्र का दमन कैसे हुआ ?
वैश्विक सरकार की अनुपस्थिति में सरकारों पर कैसे नियंत्रण किया जा सकता है ?
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