लोकतांत्रिक राजनीति 1 Chapter 1 समकालीन विश्व में लोकतंत्र
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    NCERT Solution For Class 9 सामाजिक विज्ञान लोकतांत्रिक राजनीति 1

    समकालीन विश्व में लोकतंत्र Here is the CBSE सामाजिक विज्ञान Chapter 1 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 सामाजिक विज्ञान समकालीन विश्व में लोकतंत्र Chapter 1 NCERT Solutions for Class 9 सामाजिक विज्ञान समकालीन विश्व में लोकतंत्र Chapter 1 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 सामाजिक विज्ञान.

    Question 4
    CBSEHHISSH9009347

    इन देशों और लोकतंत्र की उनकी राह में मेल बैठाएँ l

    A. चिले (i) ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी  
    B. नेपाल (ii) सैनिक तानाशाही की समाप्ति  
    C. पोलैंड (iii) एक दल के शासन का अंत  
    D. घाना (iv) राजा ने अपने अधिकार छोड़ने पर सहमति दी  

    Solution

    A.

    चिले

    (i)

    सैनिक तानाशाही की समाप्ति

     

    B.

    नेपाल

    (ii)

    राजा ने अपने अधिकार छोड़ने पर सहमति दी

     

    C.

    पोलैंड

    (iii)

    एक दल के शासन का अंत

     

    D.

    घाना

    (iv)

    ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी

     
    Question 5
    CBSEHHISSH9009348

    गैर-लोकतांत्रिक शासन वाले देशों के लोगों को किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है? इस अध्याय में दिए गए उदाहरणों के आधार पर इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।

    Solution

    गैर-लोकतांत्रिक देश में लोगों को निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है:
    (i) गैर-लोकतांत्रिक देशों के लोग मूल अधिकारों और स्वतंत्रता का आनंद नहीं ले सकते।
    (ii) लोगो को अपने विचार व्यक्त करने की आज़ादी नहीं होती।
    (iii) लोग चुनावों द्वारा अपने शासकों को चुन और बदल नहीं सकते।
    (iv) लोग विरोध नहीं कर सकते और न ही राजनितिक गतिविधियाँ चला सकते है। 
    (v) लोग राजनितिक संगठन नहीं चला सकते। 
    (vi) चिली और पोलैंड के मामलो में देखा जा सकता है कि वहाँ राजनैतिक और सैन्य गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाने पर जेल में डाल दिया जाता है।

    Question 6
    CBSEHHISSH9009349

    जब सेना लोकतांत्रिक शासन को उखाड़ फेंकती है तो सामान्यतः कौन सी स्वतंत्रताएँ छीन ली जाती है?

    Solution

    जब सेना लोकतांत्रिक शासन को उखाड़ फेंकती है तो सामान्यतः निम्नलिखित स्वतंत्रताएँ छीन ली जाती है-
    (1) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
    (2) राजनितिक संगठन बनाने की स्वतंत्रता।
    (3) प्रेस की स्वतंत्रता।
    (4) सरकार के विरुद्ध आवाज़ उठाने की स्वतंत्रता।
    (5) आंदोलन की स्वतंत्रता।
    (6) समानता के अधिकार की स्वतंत्रता। 
    (7) शासन चुनने और बदलने की स्वतंत्रता।

    Question 7
    CBSEHHISSH9009350

    वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ाने में इनमे से किन बातों में मदद मिलेगी? प्रत्येक मामले में अपने जवाब के पक्ष में तर्क दीजिए।
    (क) मेरे देश अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को ज़्यादा पैसे देता है इसलिए मैं चाहता हूँ कि मेरे साथ ज़्यादा समान्यजनक व्यवहार हो और मुझे ज़्यादा अधिकार मिलें।
    (ख) मेरा देश छोटा या गरीब हो सकता है लेकिन मेरी आवाज़ को सामान आदर के साथ सुना जाना चाहिए क्योंकि इन फैसलों का मेरे देश पर भी असर होगा।
    (ग) अंतराष्ट्रीय मामलों में अमीर देश की ज़्यादा चलनी चाहिए। गरीब देशो की संख्या ज्यादा है, सिर्फ़ इसके चलते अमीर देश अपने हितो का नुकसान नहीं होने दे सकते।
    (घ) भारत जैसे बड़े देशो की आवाज़ का अंतराष्ट्रीय संगठनों में ज्यादा वज़न होना ही चाहिएl

    Solution

    (क) यह मामला वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ाने में मदद नहीं करेगा क्योंकि लोकतंत्र के अनुसार एक देश किसी दूसरे देश के मुकाबले ज़्यादा धन तो अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को दे तो सकता है परन्तु प्रत्येक राष्ट्र को अधिकार बराबर ही होने चाहिए।
    यही बात अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष पर भी लागू होती है। जहाँ राष्ट्रीयों के मतों का महत्व उनके द्वारा दिए जाने वाले धन पर निर्भर करता है।
    (ख) हाँ, यह मामला वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ने में मदद करेगा क्योंकि लोकतंत्रिक व्यवस्था में प्रत्येक व्यक्ति को सामान अधिकार और सुविधाएँ प्राप्त होते हैं।
    (ग) यह मामला वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ाने में मदद नहीं करेगा क्योंकि लोकतंत्र में सभी का महत्व बराबर होता है किसी को केवल इस आधार पर उपेक्षित नहीं किया जा सकता कि उसकी संख्या अन्य की अपेक्षा कम है।
    (घ) यह मामला वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ने में मदद नहीं करेगा क्योंकि लोकतंत्र में सभी के विचारो और बातों का सामान महत्व है किसी भी देश को अंतराष्ट्रीय स्तर पर क्षेत्र और जनसंख्या के आधार पर अलग नहीं मापा जा सकता। लोकतंत्र में सभी सामान है अन्यथा लोकतंत्र का कोई महत्व ही नहीं रह जाता। 

    Question 8
    CBSEHHISSH9009351

    नेपाल के संकट पर हुई एक टीवी चर्चा में व्यक्त किए गए तीन विचार इस प्रकार के थे। इसमें से आप किसे सही मानते हैं और क्यों?
    वक्ता 1 : भारत एक लोकतान्त्रिक देश है इसलिए राजशाही के खिलाफ़ और लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाले नेपाली लोगों के समर्थन में भारत को ज़्यादा दखल देना चाहिए। 
    वक्ता 2 : यह एक खतरनाक तर्क है। हम उस स्थिति में पहुँच जायेंगे जहाँ इराक के मामले में अमेरिका पहुँचा है। किसी भी बाहरी शक्ति के सहारे लोकतंत्र नहीं आ सकता।  
    वक्ता 3 : लेकिन हमें किसी देश के आंतरिक मामलों की चिंता ही क्यों करनी चाहिए? हमें वहाँ अपने व्यावसायिक हितों की चिंता करनी चाहिए लोकतंत्र की नहीं। 

    Solution

    (1) हम वक्ता 1 की बात से पूर्णतः सहमत है क्योंकि हम एक लोकतान्त्रिक देश है और लोकतान्त्रिक देश होने के नाते हमें अन्य देशो में भी लोकतंत्र स्थापित करने की कोशिश करनी चाहिए और साथ ही नेपाल हमारा पड़ोसी देश है नेपाल के साथ हमारे संबंध भी अच्छे ही रहे है। उन्हें हमें बिगाड़ना नहीं चाहिए।
    (2) हम वक्ता 2 के विचार से असहमत है क्योंकि जैसा अमेरिका ने इराक में आंतरिक हस्तक्षेप किया है हम वैसा हस्तक्षेप नेपाल में नहीं कर रहे। हम केवल उन्हें नैतिक समर्थन करने की बात कर रहे है।
    (3) हम वक्ता 3 के कथन से असहमत है क्योंकि हमारा देश एक लोकतान्त्रिक देश है और लोकतान्त्रिक देश होने के नाते हमें सबसे पहले लोकतंत्र के बारे में ही सोचना चाहिए न की व्यापारिक हितों के बारे में। अंतर्राष्ट्रीय संबंध दूसरे देशो की संकट के समय मदद करने से ही बेहतर होते है।

    Question 9
    CBSEHHISSH9009352

    एक काल्पनिक देश आनंदलोक में लोग विदेशी शासन को समाप्त करके पुराने राजपरिवारो को सत्ता सौंपते हैl वे कहते है, 'आखिर जब विदेशियों ने हमारे ऊपर राज करना शुरू किया तब इन्ही के पूर्वज हमारे राजा थे यह अच्छा है की हमारा एक मजबूत शासक है जो हमें अमीर और ताकतवर बनने में मदद कर सकता हैl 'जब किसी ने लोकतान्त्रिक शासन की बात की तो वह के सयाने लोगों ने कहा कि यह तो एक विदेशी विचार हैl हमारी लड़ाई विदेशियों और उनके विचारों को देश से खदेड़ने की थीl जब किसी ने मिडिया के आज़ादी की मांग की तो बड़े-बुजुर्गो ने कहा की शासन ज़्यादा आलोचना करने से नुकसान होगा और इससे अपने जीवन स्तर को सुधरने में कोई मदद नहीं मिलेगीl 'आखिर महराज दयावान हैं और अपनी पूरी प्रजा के कल्याण में दिलचस्पी लेते है उनके लिए मुश्किल क्यों पैदा की जाएँ? क्या हम सभी खुशाल नहीं होना चाहते?

    उपरोक्त उद्धरण को पढ़ने के बाद चमन, चंपा और चंदू ने कुछ इस तरह के निष्कर्ष निकले:
    चमन: आनंदलोक एक लोकतान्त्रिक देश है क्योंकि लोगों ने विदेशी शासको को उखाड़ फेंका और राजा का शासन बहाल किया।

    चंपा: आनंदलोक लोकतान्त्रिक देश नहीं है क्योंकि लोग अपने शासन की आलोचना नहीं कर सकते राजा अच्छा हो सकता है और आर्थिक समृद्धि भी ला सकते हैl लेकिन राजा लोकतान्त्रिक शासन नहीं ला सकता।

    चंदू: लोगों को खुशाली चाहिए इसलिए वे अपने शासन को अपनी तरफ से फैसले लेना देना चाहते हैl अगर लोग खुश है तो वहाँ का शासन लोकतान्त्रिक ही है।

    इन तीनो कथनों के बारे में आपकी क्या राय है? इस देश में सरकार के स्वरूप के बारे में आपकी क्या राय है?

    Solution

    (1) आनंदलोक एक लोकतांत्रिक देश नहीं है बस विदेशी शासन को उखाड़ फेंकना ही लोकतंत्र की स्थापना नहीं है। उससे कुछ हदतक लोकतंत्र आ सकता है, जैसे की ब्रिटेन में है। परन्तु जब किसी देश पर पूर्णतः एक राजा का शासन होता है तो वहाँ लोकतंत्र नहीं राजतंत्र कायम होता है। अतः चमन द्वारा दिया गया बयान गलत है।
    (2) हम चंपा से सहमत हैं आनंदलोक एक लोकतांत्रिक देश नहीं है क्योंकि राजा लोगों द्वारा नहीं चुना गया है।इसके अलावा लोगों को राजनीतिक स्वतंत्रता भी नहीं है। एक लोकतांत्रिक देश में लोगों के पास शासन की आलोचना करने का अधिकार भी होना चाहिए जो यहाँ के लोगों के पास नहीं है।
    (3) चंदू  का बयान पूर्णतः गलत है यदि लोग खुश हैं तो इसका अर्थ यह नहीं है कि उस देश में लोकतंत्र मौजूद है। जब लोग खुद अपना प्रतिनधि चुने तभी लोकतंत्र हो सकता है।
    इस देश में वर्तमान में राजशाही है जिसके अपने कई बुरे प्रभाव है।

    Question 10
    CBSEHHISSH9009757

    आयेंदे कौन था?

     

    Solution

    1. आयेंदे चिले की सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक नेता था।
    2. उसने चिले में एक 'पॉपुलर यूनिटी' गठबंधन बनाया तथा 1970 में चुनाव जीतकर चिले का राष्ट्रपति बना।
    3. राष्ट्रपति रहते हुए उसने गरीबों एवं मजदूरों के लिए कई नियम बनाए।

    Question 11
    CBSEHHISSH9009758

    ग्डांस्क शहर में लेनिन शीपयार्ड के मज़दूर 1980 में हड़ताल पर क्यों चले गए?

    Solution

    लेनिन शीपयार्ड के मज़दूर 14 अगस्त 1980 को हड़ताल पर चले गए। फैक्ट्री का सरकार द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया था । मजदूरों की मांग थी कि फैक्ट्री में पुन: क्रेन संचालक को वापस लाया जाय। वह एक महिला थी जिसे अन्याय पूर्वक नौकरी से हटा दिया गया था।

    Question 12
    CBSEHHISSH9009759

    संयुक्त राष्ट्र संघ में 'संयुक्त राष्ट्र महासभा' के क्या कार्य है?

    Solution

    संयुक्त राष्ट्र महासभा, 'संयुक्त राष्ट्र संघ' के संसद की तरह है, जहाँ हर तरह की बहस होती है। इस तरह संयुक्त राष्ट्र एक लोकतांत्रिक संस्था लगती है। लेकिन विभिन्न देशों के बीच में यदि कोई टकराव है, तो महासभा कोई कार्रवाई नहीं कर सकती।

    Question 13
    CBSEHHISSH9009760

    सुरक्षा परिषद् कैसे संयुक्त राष्ट्र संघ को लोकतांत्रिक नहीं बनाता है?

    Solution

    परिषद् के 5 सदस्य स्थायी होते हैं बाकी 10 सदस्यों का चुनाव आम सभा दो वर्ष के लिए करती हैं। वास्तविक शक्ति 5 सदस्यों के हाथो में ही होती है। इन सदस्यों को वीटो अधिकार है। अगर कोई भी स्थायी सदस्य देश इस अधिकार का प्रयोग करता हैं तो सुरक्षा परिषद् उसकी मर्जी के खिलाफ फैसला नहीं कर सकती। इसलिए सुरक्षा परिषद् संयुक्त राष्ट्र संघ को लोकतांत्रिक नहीं बनाता।

    Question 14
    CBSEHHISSH9009761

    1970 में चिले में सल्वाडोर आयेंदे के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद क्या नीतियाँ बनाई गई? किन्हीं तीन के नाम लिखें।

    Solution
    1. शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार
    2. बच्चों के लिए मुक्त दूध
    3. भूमिहीन किसानों में भूमि का वितरण।
    Question 15
    CBSEHHISSH9009762

    'अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष' एक लोकतांत्रिक संस्था नहीं है । तीन तर्क दे ?

    Solution

    (1) इसके सभी 173 सदस्य देशों को समान मताधिकार नहीं है।
    (2) सभी देशों के मत का मूल्य उसके द्वारा मुद्रा कोष में सहयोग के अनुपात से तय होता है।
    (3) मुद्रा कोष के करीब आधे वोटों पर सिर्फ 07 देशों का अधिकार हैं ।

    Question 16
    CBSEHHISSH9009763

    पोलैण्ड में लोकतंत्र कैसे पुनःस्थापित हुआ?

    Solution

    लेक वालेशा जो एक इलेक्ट्रीशियन था, उसने 'एक क्रेन चालक महिला' को गलत ढंग से नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ़ हड़ताल में हिस्सा लिया। हड़ताल को समर्थन बढ़ता चला गया और जल्दी ही यह पूरे शहर में फैल गई। वह बहुत ही जल्द प्रसिद्ध हो गया और हड़ताली कर्मचारियों का नेता बन गया। जल्दी ही सरकार मजदूरों की मांग मानने के लिए तैयार हो गई । एक स्वतंत्र मज़दूर संघ बनाया गया। जल्दी ही इसके एक करोड़ सदस्य हो गए। सरकार ने इसे दबाने का प्रयास किया। इसके विरोध में हड़ताल हुई। इसके बाद स्वतंत्र चुनाव के लिए एक समझौता 1989 में हुआ। इस चुनाव में लेक वालेशा पोलैण्ड के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए ।

    Question 17
    CBSEHHISSH9009764

    लेक वालेशा कौन था?

    Solution

    'लेक वालेशा' लेनिन जहाज कारखाना का एक 'विद्युतकर्मी' था। उसने हड़ताली कर्मचारियों का साथ दिया। उसके नेतृत्व में मज़दूरों ने सरकार के साथ 21 सूत्री करार किया और हड़ताल खत्म हुई। बाद में एक नए मज़दूर संगठन का भी गठन हुआ।

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    Question 18
    CBSEHHISSH9009765

    चिले के पिनोशे के शासन एवं कम्यूनिस्ट(साम्यवादी) शासन (पोलैण्ड) में अंतर बताएँ?

    Solution
    1. पिनोशे एक सेना का जनरल था तथा उसे अमेरिका का समर्थन प्राप्त था । उसने 1973 में आयेंदे की चुनी हुई सरकार के खिलाफ विद्रोह किया । इससे चिले में लोकतांत्रिक शासन स्थापित हुआ।
    2. पिनोशे सरकार ने आयेंदे के सभी समर्थकों की हत्या करवा दी जो लोकतंत्र स्थापित करना चाहते थे।
    3. पोलैण्ड में 1980 में संयुक्त पोलीश यूनाइटेड वर्कस पार्टी का शासन था। कोई दूसरी पार्टी वहाँ कार्य नहीं कर सकती थी । पोलैण्ड की सरकार को सोवियत रूस का समर्थन प्राप्त था।
    4. परन्तु जब लेक वालेशा द्वारा चलाया गया आदोलन आगे बढ़ा तब वहाँ के मज़दूर अपने अधिकारों की मांग करने लगे।
    5. वालेशा और पोलिश सरकार के बीच एक समझौता हुआ जिसमें मुक्त चुनाव कराने पर विचार हुआ । 1990 में चुनाव हुए जिसमें कई दलों ने संघर्ष किया।
    Question 19
    CBSEHHISSH9009766

    उन्नीसवीं सदी में वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र की स्थापना के लिए प्रमुख माँग क्या थी?

     

    Solution
    1. 19वीं सदी में लोकतंत्र के लिए संघर्ष मुख्यत: राजनीतिक समानता, स्वतंत्रता तथा न्याय के लिए था।
    2. प्रत्येक व्यस्क नागरिक के लिए मत के अधिकार की माँग की गई।
    3. कुछ देशों में सिर्फ संपत्ति वालों को मत का अधिकार था। महिलाओं को भी मत का अधिकार नहीं था।
    4. लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाले लोग ''सार्वभौमिक मताधिकार'' की माँग कर रहे थे।
    Question 20
    CBSEHHISSH9009767

    लोकतांत्रिक एवं गैर-लोकतांत्रिक शासन में अंतर बताएँ ?

    Solution
    1. लोकतांत्रिक सरकार जनता द्वारा चुनी जाती है, जबकि गैर-लोकतांत्रिक नहीं।
    2. लोकतांत्रिक देशों में लोगों को मौलिक अधिकार प्राप्त है जबकि गैर लोकतांत्रिक देशों में नहीं।
    3. लोकतंत्र में निरंतर चुनाव होते हैं जिसमें जनता सरकार को बदल सकती है।
    4. लोकतंत्र में सरकार संविधान के अनुसार कार्य करती है।
    5. लोकतंत्र में संसद प्रमुख होता है।
    Question 21
    CBSEHHISSH9009768

    संयुक्त राष्ट्र संघ के एक वैश्विक सरकार के रूप में तीन योगदान बताएँ?

    Solution
    1. यह एक वैश्विक संगठन है जो विश्व में शांति एवम् न्याय, सुरक्षा, आर्थिक विकास, तथा सामाजिक समानता स्थापित करता है।
    2. यह विश्व सेना को सुसंगठित रखता है।
    3. यह दोषी देशों के विरूद्ध कार्यवाही कर सकता है।
    Question 22
    CBSEHHISSH9009769

    1990 के चुनावों के बाद म्यांमार में लोकतंत्र का दमन कैसे हुआ ?

    Solution
    1. 1990 में लगभग 30 साल बाद म्यांमार में चुनाव हुए।
    2. नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी जिसकी नेता आंग सान सू ची थी कि पार्टी विजयी हुई परन्तु सेना के शासकों ने इस परिणाम को स्वीकार नहीं किया।
    3. चुनाव में जीते सभी नेताओं तथा आंग सान सू ची की को घर में नजरबंद कर दिया गया।
    Question 23
    CBSEHHISSH9009770

    वैश्विक सरकार की अनुपस्थिति में सरकारों पर कैसे नियंत्रण किया जा सकता है ?

    Solution
    1. ऐसी कोई वैश्विक सरकार नहीं है लेकिन वैश्विक स्तर पर कई ऐसे संगठन हैं जो ऐसा कार्य कर सकते हैं।
    2. ये देश के शासन पर नियंत्रण नहीं कर सकते, परन्तु वे उस पर कुछ प्रतिबंध लगा सकते हैं।
    3. संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्य इसके उदाहरण हैं।
    4. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् विश्व में शांति एवं सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है।
    5. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष कमज़ोर एवं गरीब देश की सरकारों को धन उपलब्ध कराते हैं।

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