लोकतांत्रिक राजनीति 1 Chapter 6 लोकतांत्रिक अधिकार
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    NCERT Solution For Class 9 सामाजिक विज्ञान लोकतांत्रिक राजनीति 1

    लोकतांत्रिक अधिकार Here is the CBSE सामाजिक विज्ञान Chapter 6 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 सामाजिक विज्ञान लोकतांत्रिक अधिकार Chapter 6 NCERT Solutions for Class 9 सामाजिक विज्ञान लोकतांत्रिक अधिकार Chapter 6 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 सामाजिक विज्ञान.

    Question 8
    CBSEHHISSH9009434

    लोकतंत्र और अधिकारों के बीच संबंधों के बारे में इनमें से कोन-सा बयान ज़्यादा उचित हैं? आपकी पसंद के पक्ष में कारण बताएँ?



    • हर लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों को अधिकार देता है।

    • अपने नागरिकों को अधिकार देने वाला हर देश लोकतांत्रिक है।

    • अधिकार देना अच्छा है, पर यह लोकतंत्र के लिए ज़रूरी नहीं है।

    Solution

    A.

    हर लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों को अधिकार देता है।

    कथन, 'हर लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों को अधिकार देता है।' अधिक मान्य है क्योंकि नागरिक केवल लोकतांत्रिक राज्य में अधिकार का आनंद लेते हैं।

    बिना अधिकार नागरिक राज्य के प्रशासन में भाग नहीं ले सकते। नागरिकों के व्यक्तित्व के विकास में अधिकार भी बहुत उपयोगी हैं।

    Question 9
    CBSEHHISSH9009435

    स्वतंत्रता के अधिकार पर ये पाबंदियाँ क्या उचित हैं? अपने जवाब के पक्ष में कारण बताएँ।

    भारतीय नागरिकों को सुरक्षा कारणों से कुछ सीमावर्ती इलाकों में जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है।

    Solution

    देश की सुरक्षा, जनता की सुरक्षा है। यदि सरकार इसको देखते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों के घूमने पर प्रतिबंध लगाती है तो यह उचित है क्योंकि इससे ने केवल संबंधित व्यक्तियों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है, बल्कि इसका फायदा उठाकर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल लोग दुश्मन से सूचनाओं का आदान-प्रदान भी कर सकते है।     

    Question 10
    CBSEHHISSH9009436

    स्वतंत्रता के अधिकार पर ये पाबंदियाँ क्या उचित हैं? अपने जवाब के पक्ष में कारण बताएँ।

    स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा के लिए कुछ इलाकों में बाहरी लोगों को संपत्ति खरीदने की अनुमति नहीं है।

    Solution

    हां, स्थानीय लोगों की संस्कृति और हितों की रक्षा के लिए यह प्रतिबंध भी उचित है। क्योंकि यदि कोई बाहरी व्यक्ति किसी विशेष क्षेत्र में संपत्ति नहीं खरीद सकता, तो यह उचित ही है। ऐसा वह वहाँ के लोगों की विशेष सांस्कृतिक पहचान बनाये रखने के लिए करती है। 

    Question 11
    CBSEHHISSH9009437

    स्वतंत्रता के अधिकार पर ये पाबंदियाँ क्या उचित हैं? अपने जवाब के पक्ष में कारण बताएँ।

    शासक दल को अगले चुनाव में नुकसान पहुँचा में नुकसान पहुँचा सकने वाली किताब पर सरकार प्रतिबंध लगाती है।         

    Solution

    लोगों को संविधान के अंतर्गत अपने विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्राप्त है और किताब विचार व्यक्त करने का एक माध्यम है। परन्तु ऐसे विचार समाज विरोधी अथवा राष्ट्रविरोधी न हों। किन्तु, यदि सरकार सिर्फ इस कारण से किताब के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाती है की यह उसकी पार्टी के विरोध में है अथवा आगामी चुनाव में उसकी पार्टी पर इसका प्रभाव पढ़ सकता है, तो यह सरासर गलत है। क्योंकि, इससे व्यक्ति को स्वतंत्रता के अधिकार का हनन होता है।       

    Question 12
    CBSEHHISSH9009438

    मनोज एक सरकारी दफ़्तर में मैनेजर के पद के लिए आवेदन देने गया। वहाँ के किरानी ने उसका आवेदन लेने से मन कर दिया और कहा, 'झाडू लगाने वाले का बेटा होकर तुम मैनेजर बनना चाहते हो। तुम्हारी जाती का कोई कभी इस पद पर आया है? नगरपालिका के दफ़्तर जाओं और सफ़ाई कर्मचारी के लिए अर्जी दो।' इस मामले में मनोज के किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है? मनोज की तरफ़ से जिला अधिकारी के नाम लिखे एक पत्र में इसका उल्लेख करो।   

    Solution

    इस उदाहरण में समानता के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है।

    सेवा में,
    जिला कलेक्टर,
    .....................
    ......................
    25/04/2017

    विषय: मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के संबंध में
    श्रीमान्
    सविनय निवेदन यह है कि मैं मनोज, पुत्र श्री ..............निवासी ...........दिनांक..................
    को ..............सरकारी दफ़्तर में मैनेजर के पद के लिए आवेदन करने गया। वहाँ संबंधित क्लर्क ने आवेदन लेने से मना कर दिया। उन्होंने मुझे तुच्छ जाती का होने का बता के मेरा अपमान किया।
    श्रीमान् जी हमारे संविधान में हम सबको विभिन्न मौलिक अधिकार दिए गए है, जिसमे समानता का अधिकार भी मौजूद है। व्यक्ति किसी भी जाति या प्रान्त से क्यों न हो उससे किसी भी दफ़्तर में सामान रूप से कार्य करने का अधिकार है। इस घटना से हमारे 'समानता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है।
    अत: आपसे से यह साग्रह निवेदन है कि आप आवश्यक कदम उठाते हुए हमारे अधिकारों की रक्षा करें। इसके लिए में हमेशा आपका आभारी रहूँगा।

    विश्वास भाजन
    मनोज

    Question 13
    CBSEHHISSH9009439

    जब मधुरिमा संपत्ति के पंजीकरण वाले दफ़्तर में गई तो रजिस्ट्रार ने कहा, 'आप अपना नाम मधुरिमा बनर्जी, बेटी ए.के. बनर्जी नहीं लिख सकतीं। आप शादीशुदा हैं और आपको अपने पति का ही नाम देना होगा। फिर आपके पति का उपनाम तो राव है। इसलिए आपका नाम भी बदलकर मधुरिमा राव हो जाना चाहिए।' मधुरिमा इस बात से सहमत नहीं हुई। उसने कहा, 'अगर शादी के बाद मेरे पति का नाम नहीं बदला तो मेरा नाम क्यों बदलना चाहिए? अगर वह अपने नाम के साथ पिता का नाम लिखते रह सकते हैं तो मैं क्यों नहीं लिख सकती?' आपकी राय में इस विवाद में किसका पक्ष सही है? और क्यों? 

    Solution

    इस विवाद में, मधुरिमा सही है। वह अपनी इच्छा के अनुसार अपना नाम लिख सकती है क्योंकि 'स्वतंत्रता का अधिकार' उसे यह करने के लिए अधिकार प्रदान करता है। 
    रजिस्ट्रार की सलाह पुर्वाग्रह से प्रभावित तथा अनुचित है। वास्तव में, इस तरह का रिवाज़ पुरुष प्रधानता का सूचक है। यह महिला स्वतंत्रता की भावना के भी विरुद्ध है। 

    Question 14
    CBSEHHISSH9009440

    मध्य प्रदेश के होशंगाबाद ज़िले के पिपरिया में हज़ारो आदिवासी और जंगल में रहने वाले लोग सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क, बोरी वन्यजीव अभ्यारण्य और पंचमढ़ी वन्यजीव अभ्यारण्य से अपने प्रस्तावित विस्थापन का विरोध करने के लिए जमा हुए। उनका कहना था की यह विस्थापन उनकी जीविका और उनके विश्वासों पर हमला है। सरकार का दावा है इलाके के विकास और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए उनका विस्थापन ज़रूरी है। जंगल पर आधारित जीवन जीने वाले की तरफ़ से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक पत्र, इस मसले पर सरकार द्वारा दिया जा सकने वाला संभावित जवाब और इस मामले पर मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट तैयार करो। 

    Solution

    सेवा में,
    अध्यक्ष,
    राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
    श्रीमान्

    सविनय निवेदन यह कि हम बनवासी लोग सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क, बोरी वन्यजीव अभ्यारण्य और पंचमढ़ी वन्यजीव अभ्यारण्य क्षेत्रों में सदियों से रहते आ रहे हैं। हमारे पूर्वज जंगलो में रहते थे तथा 'वन देवता' और 'पर्वत' की पूजा करते थे। हमारी जीविका का मुख्य स्त्रोत वन है। इन वनों से हमारी परम्पराएँ तथा मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं।
    अत: आप से अनुरोध हैं कि इस मामले की जांच करें और हमारी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हमे उचित न्याय दिलवाएँ। इसके लिए हम सब बनवासी सदैव आपके आभारी रहेंगे।

    इस मामले पर सरकार और एनएचआरसी की रिपोर्ट का जवाब:

    वन्यजीव क्षेत्र के संरक्षण अथवा विकास के लिए सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क,बोरी वन्यजीव अभयारण्य और पंचमढ़ी वन्यजीव अभ्यारण्य से विस्थापन आवश्यक है।

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