जब मधुरिमा संपत्ति के पंजीकरण वाले दफ़्तर में गई तो रजिस्ट्रार ने कहा, 'आप अपना नाम मधुरिमा बनर्जी, बेटी ए.के. बनर्जी नहीं लिख सकतीं। आप शादीशुदा हैं और आपको अपने पति का ही नाम देना होगा। फिर आपके पति का उपनाम तो राव है। इसलिए आपका नाम भी बदलकर मधुरिमा राव हो जाना चाहिए।' मधुरिमा इस बात से सहमत नहीं हुई। उसने कहा, 'अगर शादी के बाद मेरे पति का नाम नहीं बदला तो मेरा नाम क्यों बदलना चाहिए? अगर वह अपने नाम के साथ पिता का नाम लिखते रह सकते हैं तो मैं क्यों नहीं लिख सकती?' आपकी राय में इस विवाद में किसका पक्ष सही है? और क्यों?
इस विवाद में, मधुरिमा सही है। वह अपनी इच्छा के अनुसार अपना नाम लिख सकती है क्योंकि 'स्वतंत्रता का अधिकार' उसे यह करने के लिए अधिकार प्रदान करता है।
रजिस्ट्रार की सलाह पुर्वाग्रह से प्रभावित तथा अनुचित है। वास्तव में, इस तरह का रिवाज़ पुरुष प्रधानता का सूचक है। यह महिला स्वतंत्रता की भावना के भी विरुद्ध है।



