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नीचे कुछ गलत वाक्य दिए गए हैं। हर एक में की गई गलती पहचानें और अध्याय के आधार पर उसको ठीक करके लिखें।
स्वतंत्रता के बाद देश लोकतांत्रिक हो या नहीं, इस विषय पर स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं ने अपना दिमाग खुला रखा था।
स्वतंत्र आंदोलन के नेताओं की इस बारे में धारणा स्पष्ट थी कि स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात देश में लोकतंत्र होना चाहिए।
नीचे कुछ गलत वाक्य दिए गए हैं हर एक में की गई गलती पहचानें और अध्याय के आधार पर उसको ठीक करके लिखें।
भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य की संविधान में कही गई हरेक बात पर सहमत थे।
भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्यों की संविधान में कही गई हरेक बात पर सहमती नहीं थी बल्कि उनकी अलग-अलग धारणाएँ थी।
नीचे कुछ गलत वाक्य दिए गए हैं। हर एक में की गई गलती पहचानें और अध्याय के आधार पर उसको ठीक करके लिखें।
जिन देशों में संविधान है, वहाँ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की होगी।
एक लोकतान्त्रिक देश का संविधान आवश्यक रूप से होना ही चाहिए।
नीचे कुछ गलत वाक्य दिए गए हैं। हर एक में की गई गलती पहचानें और अध्याय के आधार पर उसको ठीक करके लिखें।
संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है इसलिए इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता।
संविधान लोगों की इच्छा और समाज के बदलावों के अनुरूप होना चाहिए इसलिए संविधान में संसोधन की व्यवस्था होती है।
दक्षिण अफ्रीका का लोकतांत्रिक संविधान बनाने में, इनमें से कौन-सा टकराव सबसे महत्वपूर्ण था:
दक्षिण अफ्रीका और उसके पड़ोसी देशों का
स्त्रियों और पुरुषों का
गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का
रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत बहुसंख्यको का
C.
गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का
संविधान निर्माण में इन नेताओं और उनकी भूमिका में मेल बैठाएँ।
A. मोतीलाल नेहरु | (i) संविधान सभा के अध्यक्ष |
B. बी. आर. अंबेडकर | (ii) संविधान सभा के सदस्य |
C. राजेंद्र प्रसाद | (iii) प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष |
D. सरोजिनी नायडू | (iv) 1928 में भारत का संविधान बनाया |
A. मोतीलाल नेहरु | (i) 1928 में भारत का संविधान बनाया |
B. बी. आर. अंबेडकर | (ii) प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष |
C. राजेंद्र प्रसाद | (iii) संविधान सभा के अध्यक्ष |
D. सरोजिनी नायडू | (iv) संविधान सभा के सदस्य |
जवाहर लाल नेहरू के नियति के साथ साक्षात्कार वाले भाषण के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों का जवाब दें:
नेहरू ने क्यों कहा था कि भारत का भविष्य सुस्ताने और आराम करने का नहीं है?
नेहरू ने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि उनके अनुसार एक राष्ट्र के निर्माण का कार्य बहुत बड़ा कार्य होता है, जो एक के जीवनकाल में पूरा नहीं किया जा सकता था और इस कार्य को पूरी निष्ठा के साथ करने के लिए आराम को त्यागना होगा।
जवाहर लाल नेहरू के नियति के साथ साक्षात्कार वाले भाषण के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों का जवाब दें:
वे संविधान निर्माताओं से क्या शपथ चाहते थे?
वे संविधान निर्माताओं से यह शपथ चाहते थे कि वे भारत के संसाधनों और जनता की सेवा तथा मानवता में खुद को समर्पित कर दे।
जवाहर लाल नेहरू के नियति के साथ साक्षात्कार वाले भाषण के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों का जवाब दें:
'हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की कामना हर आँख से आँसू पोंछने की है।' वे इस कथन में किसका ज़िक्र कर रहे थे।
इस कथन में वे महात्मा गाँधी का ज़िक्र कर रहे थे।
हमारे संविधान को दिशा देने वाले ये कुछ मूल्य और उनके अर्थ हैं। इन्हें आपस में मिलाकर दोबारा लिखिए।
A. संप्रभु | (i) सरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी। |
B. गणतंत्र | (ii) फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है। |
C. बंधत्व | (iii) शासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है। |
D. धर्मनिरपेक्ष | (iv) लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए। |
A. संप्रभु | (i) फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है। |
B. गणतंत्र | (ii) शासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है। |
C. बंधत्व | (iii) लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए। |
D. धर्मनिरपेक्ष | (iv) सरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी। |
कुछ दिन पहले नेपाल से आपके एक मित्र से वहाँ की राजनैतिक स्थिति के बारे में आपको पत्र लिखा था। वहाँ अनेक राजनैतिक पार्टियाँ राजा के शासन का विरोध कर रही थीं। उनमें से कुछ का कहना था कि राजा द्वारा दिए गए मौजूदा संविधान में ही संसोधन करके चुने हुए प्रतिनिधियों को ज़्यादा अधिकार, दिए जा सकते हैं। अन्य पार्टियाँ नया गणतांत्रिक संविधान बनाने के लिए नई संविधानसभा गठित करने की मांग कर रही थीं। इस विषय में अपनी राय बताते हुए अपने मित्र को पात्र लिखें।
इस संबंध में हमारे सामने निम्नलिखित विचार है:
(i) नेपाल में सबसे बढ़िया तरीका निर्वाचित प्रतिनिधि को सभी शक्तियाँ देना है। इंग्लैंड की तरह, नेपाल के राजा को राज्य का संवैधानिक प्रमुख बनाया जाना चाहिए।
(ii) कार्यकारी की वास्तविक शक्तियों को प्रधान मंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट के पास निहित होना चाहिए। संसद के लिए कैबिनेट जिम्मेदार होना चाहिए।
(iii) न्यायपालिका स्वतंत्र होना चाहिए। न्यायपालिका को सविधान के लिए दुभाषिया तथा लोगों के मूलभूत अधिकारों के लिए संरक्षक की भूमिका निभानी चाहिए ।
भारत के लोकतंत्र के स्वरूप में विकास के प्रमुख कारणों के बारे में कुछ अलग-अलग विचार इस प्रकार हैं। आप इनमें से हर कथन को भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए कितना महत्पूर्ण कारण मानते हैं?
अंग्रेज़ शासकों ने भारत को उपहार के रूप में लोकतांत्रिक व्यवस्था दी। हमने ब्रिटिश हुकूमत के समय बनी प्रांतीय असेंबलियों के ज़रिये लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण पाया।
इस कारक के योगदान को कॉफी हद तक स्वीकार किया जा सकता है। हालाँकि इससे अंग्रेज़ों की देन नहीं माना जा सकता है। यह सच है की यदि हमें पूर्व प्रशिक्षण प्राप्त नहीं होता तो भारत जैसे विशाल देश में आरंभिक दौर में लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना बहुत ही कठिन होती।
भारत के लोकतंत्र के स्वरूप में विकास के प्रमुख कारणों के बारे में कुछ अलग-अलग विचार इस प्रकार हैं। आप इनमें से हर कथन को भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए कितना महत्पूर्ण कारण मानते हैं?
हमारे स्वतंत्रता संग्राम ने औपनिवेशिक शोषण और भारतीय लोगों को तरह-तरह की आज़ादी न दिए जाने का विरोध किया। ऐसे में स्वतंत्र भारत को लोकतांत्रिक होना ही था।
भारत में राष्ट्रवाद के विचार को फैलाने में स्वतंत्रता संग्राम महत्वपूर्ण था।
यह कथन सच है क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम औपनिवेशिक शोषण के खिलाफ था। भारतीयों को सीमित अधिकार दिए गए थे और प्रतिबंधित थे।
इसलिए, स्वतंत्रता से पहले यह स्पष्ट था कि भारत आजादी के बाद एक लोकतांत्रिक देश होगा।
भारत के लोकतंत्र के स्वरूप में विकास के प्रमुख कारणों के बारे में कुछ अलग-अलग विचार इस प्रकार हैं। आप इनमें से हर कथन को भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए कितना महत्पूर्ण कारण मानते हैं?
हमारे राष्ट्रवादी नेताओं की आस्था लोकतंत्र में थी। अनेक नव स्वतंत्र राष्ट्रों में लोकतंत्र का न आना हमारे नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
यह कथन सही है। हमारे नेता लोकतांत्रिक संस्थानों और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध थे।
भारत में लोकतंत्र पंडित जवाहर लाल नेहरू, डॉ. आंबेडकर, डॉ राजिंदर प्रसाद, सरदार पटेल इत्यादि, के महान नेतृत्व के कारण सफल रहा है।
1912 में प्रकाशित 'विवाहित महिलाओं के आचरण' पुस्तक के निम्नलिखित अंश को पढ़ें-
'ईश्वर ने औरत जाती को शारीरिक तथा भावनात्मक दोनों ही तरह से ज़्यादा नाज़ुक बनाया है। उन्हें आत्म रक्षा के भी योग्य नहीं बनाया है। इसलिए ईश्वर ने उन्हें जीवन भर पुरषों के सरंक्षण में रहने का भाग्य दिया उन्हें दिया है - कभी पिता के, कभी पति के और कभी पुत्र के। इसलिए महिलाओं को निराश होने की जगह इस बात से अनुगृहीत होना चाहिए कि वे अपने आपको पुरषों की सेवा में समर्पित कर सकती हैं।' क्या इस अनुछेद में व्यक्त मूल्य संविधान के दर्शन से मेल खाते हैं या वे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ हैं?
उपरोक्त पाठ्यांश में व्यक्त मूल्य संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ हैं।
इसमें मनुष्य की श्रेष्ठता और प्रभुत्व पर अधिक जोर दिया गया है। यह हमारे संवैधानिक मूल्यों के विपरीत है, हमारे संवैधानिक मूल्य समानता के सिद्धांत पर आधारित है। संविधान के अनुसार पुरुष और महिला दोनों समान हैं। सेक्स के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। क्या आप उनसे सहमत हैं? अपने कारण भी बताइए।
संविधान के नियमों की हैसियत किसी भी अन्य कानून के बराबर है।
यह कथन सही नहीं हैं, क्योंकि संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है ।
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निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। क्या आप उनसे सहमत हैं? अपने कारण भी बताइए।
संविधान संस्थाओं की चर्चा करता है, उसका मूल्यों से कुछ लेना-देना नहीं है।
यह कथन सही हैं, क्योंकि हमारे संविधान में सरकार के तीनों अंगों - विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के संगठन तथा शक्ति की विस्तृत चर्चा की गई है।
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। क्या आप उनसे सहमत हैं? अपने कारण भी बताइए।
नागरिकों के अधिकार और सरकार की सत्ता की सीमाओं का उल्लेख भी संविधान में स्पष्ट रूप में है।
यह कथन सत्य हैं, क्योंकि हमारे संविधान में नागरिकों को दिए गए विभिन्न मौलिक अधिकारों के लिए उपबंध किए गए हैं।
भारत में, संविधान का भाग III मूलभूत अधिकारों से संबंधित है।
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। क्या आप उनसे सहमत हैं? अपने कारण भी बताइए।
संविधान संस्थाओं की चर्चा करता है, उसका मूल्यों से कुछ लेना-देना नहीं है।
यह कथन गलत है, क्योंकि संविधान जिन मूल्यों पर आधारित है उनकी चर्चा संविधान की प्रस्तावना में की गयी है तथा प्रस्तावना हमारे संविधान का हिस्सा है।
हमारे संविधान को दिशा देने वाले ये कुछ मूल्य और उनके अर्थ हैं। इन्हें आपस में मिलाकर दोबारा लिखिए।
(क) संप्रभु (1) सरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी।
(ख) गणतंत्र (2) फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है।
(ग) बंधत्व (3) शासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है।
(घ) धर्मनिरपेक्ष (4) लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए।
(क) संप्रभु - जनता के पास फैसला करने का सर्वोच्च अधिकार है।
(ख) गणतंत्र - राज्य का प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है।
(ग) बंधुता - जनता भाई-बहनों की तरह रहे।
(घ) धर्मनिरपेक्ष - सरकार किसी भी धर्म का पोषण नहीं करेगी।
कुछ दिन पहले नेपाल से आपके एक मित्र ने वहाँ की राजनीतिक स्थिति के बारे में आप को पत्र लिखा था । वहाँ अनेक राजनीतिक पार्टियाँ राजा के शासन का विरोध कर रही थीं। उनमें से कुछ का कहना था कि राजा द्वारा दिए गए मौजूदा संविधान में ही संशोधन करके चुने हुए प्रतिनिधियों को ज़्यादा अधिकार, दिए जा सकते हैं। अन्य पार्टियाँ नया गणतांत्रिक संविधान बनाने के लिए नई संविधानसभा गठित करने की मांग कर रही थीं। इस विषय में अपनी राय बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें।
इस संबंध में हमारे सामने दो विचार रखे गए हैं। पहले विचार के अनुसार चुने हुए जनप्रतिनिधियों को अधिक शक्ति दी जानी चाहिए ताकि संपूर्ण व्यवस्था को अधिक से अधिक जनतांत्रिक बनाए जा सके। दूसरा समूह राजशाही को खत्म कर इसकी जगह नए गणतांत्रिक संविधान के निर्माण की बात कर रहा है । मेरे विचार में अचानक कोई बड़ा परिवर्तन संघर्ष को जन्म देता है। अत: पता पहले कुछ वर्षों के लिए ब्रिटेन की तरह वहाँ भी एक संवैधानिक गणतंत्र की स्थापना होनी चाहिए। किंतु, इस गणतंत्र में राजा की भूमिका सिर्फ परामर्शदाता की हो। अत: वर्तमान संविधान में उपयुक्त संशोधन ही नेपाल के हित में सही फैसला होगा।
भारत के लोकतंत्र के स्वरुप में विकास के प्रमुख कारणों के बारे में कुछ अलग-अलग विचार इस प्रकार हैं। आप इनमें से हर कथन को भारत में लोकतान्त्रिक व्यवस्था के लिए कितना महत्वपूर्ण कारण मानते हैं?
(क) अंग्रेज़ शासकों ने भारत को उपहार के रूप में लोकतांत्रिक व्यवस्था दी। हमने ब्रिटिश हुकूमत के समय बनी प्रांतीय असेंबलियों के ज़रिये लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण पाया।
(ख) हमारे स्वतंत्रता संग्राम ने औपनिवेशिक शोषण और भारतीय लोगों को तरह-तरह की आज़ादी न दिए जाने का विरोध किया। ऐसे में स्वतंत्र भारत को लोकतंत्र होना ही था।
(ग) हमारे राष्ट्रवादी नेताओं की आस्था लोकतंत्र में थी। अनेक नव स्वतंत्र राष्ट्र में लोकतंत्र का ना आना हमारे नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
(क) इस कारक के योगदान को काफी हद तक स्वीकार किया जा सकता है। हालाँकि इसे अंग्रेज़ों की देन नहीं माना जा सकता है। यह सच है कि यदि हमें पूर्व प्रशिक्षण प्राप्त नहीं होता तो भारत जैसे विशाल देश में आरंभिक दौर में लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना बहुत ही मुश्किल होती।
(ख) इस कारक का भी भारत में लोकतंत्र की स्थापना में योगदान रहा है। क्योंकि हमारे संघर्ष का तरीका, हमारे राजनीतिक दलों की संरचना सभी लोकतांत्रिक थी, अत: लोकतंत्र की अच्छाइयों को हम महसूस कर रहे थे। दूसरी तरफ, चूँकि लोगों को विभिन्न स्वतंत्रताएँ नहीं मिली थीं, अत: लोकतंत्र ही एकमात्र व्यवस्था थी जो उनकी इन आकांक्षाओं को पूरा कर सकती थी।
(ग) स्वतंत्रता प्राप्ति के नाजुक दौर में यह बहुत ज़रूरी था कि सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए निष्ठावान लोकतांत्रिक विचारों वाले नेता हों ताकि इन मूल्यों की स्थापना के लिए वे दूसरों को भी प्रेरित कर सकें। अत: इस कार्य का योगदान भी महत्वपूर्ण था।
1912 में प्रकाशित 'विवाहित महिलाओं के आचरण' पुस्तक के निम्नलिखित अंश को पढ़ें-
'ईश्वर ने औरत जाति को शारीरिक तथा भावनात्मक दोनों ही तरह से ज़्यादा नाज़ुक बनाया है। उन्हें आत्म रक्षा के भी योग्य नहीं बनाया है। इसलिए ईश्वर ने उन्हें जीवन भर पुरुषों के संरक्षण में रहने का भाग्य दिया है- कभी पिता के, कभी पति के और कभी पुत्र के। इसलिए महिलाओं को निराश होने की जगह इस बात से अनुग्रहित होना चाहिए कि वे अपने आपको पुरषों की सेवा में समर्पित कर सकती हैं।' क्या इस अनुच्छेद में व्यक्त मूल्य संविधान के दर्शन से मेल खाते हैं या वे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ हैं?
इस पाठ्यांश में व्यक्त मूल्य हमारे संविधान में अंतनिर्हित मूल्यों को प्रदर्शित नहीं करते। यह हमारे संवैधानिक मूल्यों के विपरीत है, क्योंकि हमारा संविधान पुरुष तथा महिला को हर दृष्टिकोण से समान मानता है।
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। क्या आप हमसे सहमत हैं? अपने कारण भी बताइए।
(क) संविधान के नियमों की हैसियत किसी भी अन्य कानून के बराबर है।
(ख) संविधान बताता है कि शासन व्यवस्था के विविध अंगों का गठन किस तरह होगा।
(ग) नागरिकों के अधिकारों और सरकार की सत्ता की सीमाओं का उल्लेख भी संविधान में स्पष्ट रूप में है।
(घ) संविधान संस्थाओं की चर्चा करता है, उसका मूल्यों से कुछ लेना-देना नहीं है।
(क) यह वक्तव्य सत्य नहीं है, क्योंकि संवैधानिक नियम मौलिक नियम हैं, जबकि दूसरे अन्य नियमों की वैधानिकता इस आधार पर तय होती है कि वे संवैधानिक नियमों के अनुरूप हैं अथवा नहीं।
(ख) यह कथन सत्य है, क्योंकि हमारे संविधान में सरकार के तीन अंगों -विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के संगठन तथा शक्ति की विस्तृत चर्चा की गई है।
(ग) यह व्यक्तव्य सही है, क्योंकि हमारे संविधान में नागरिकों को दिए गए विभिन्न मौलिक अधिकारों के लिए उपबंध किए गए हैं। साथ ही, सरकार की क्या शक्तियाँ तथा सीमाएँ हैं, इसकी भी विस्तृत चर्चा की गई है।
(घ) यह व्यक्तव्य गलत है, क्योंकि संविधान जिन मूल्यों पर आधारित है उनकी चर्चा संविधान की प्रस्तावना में की गई है तथा प्रस्तावना हमारे संविधान का हिस्सा है।
अफ्रीका में लोकतंत्र की स्थापना के बाद काले नेताओं ने अपने-समर्थकों से क्या अपील की?
'संविधान' से आप क्या समझते हैं?
भारतीय लोगों को 1937 में चुनाव में भाग लेने तथा विधानमंडल में आने से क्या लाभ हुआ?
1937 के चुनाव के द्वारा चुना गया विधानमंडल पूर्ण लोकतांत्रिक था। इससे लोगों को शासन तंत्र में काम करने का अनुभव हुआ तथा कैसे कार्य किया जाय, ये भी वे लोग सीख सकें।
संविधान सभा के गठन पर चर्चा करें?
दक्षिण अफ्रीका जैसे देश के लिए संविधान की आवश्यकता क्यों थी?
दमन करने वाले तथा दमित अर्थात् काले एवं गोरे लोग एक साथ रहने के लिए तैयार थे। वे समानता का सिद्धान्त अपनाना चाहते थे। उनका एक दूसरे पर विश्वास करना जरूरी था । वे अपनी इच्छाओं की रक्षा करना चाहते थे। इसके लिए यह जरूरी था कि कुछ नियम लिखे जाएँ। यह संविधान के द्वारा ही संभव था।
धर्म निरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? भारत कैसे एक धर्मनिरपेक्ष देश है ?
भारत कई धर्मों का देश है तथा यहाँ सभी धर्मों का सम्मान होता है। किसी भी धर्म को राजधर्म का दर्जा नहीं प्राप्त है तथा सभी धर्मों को बराबर सम्मान दिया जाता है। सभी लोगों को अपना धर्म चुनने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है।
संविधान संशोधन क्या है? भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में इसका महत्व बताएँ।
संविधान संशोधन, संविधान में होने वाले बदलाव है जो देश की सर्वोच्च विधायिका अर्थात् संसद के द्वारा किए जाते है।भारत का संविधान बहुत विशाल एवं विस्तृत दस्तावेज है। इसलिए इसमें संशोधन की आवश्यकता है जिससे ये समय के अनुरूप बदल सके।
संविधान निर्माण के समय क्या-क्या समस्याएँ आई?
संविधान के निर्माण के दौरान काले और गोरे लोगों में क्या समझौता हुआ ?
संविधान किसी देश को लोकतांत्रिक बनाने में कैसे मदद कर सकते थे ?
संविधान लोकतांत्रिक व्यवस्था को ला सकता है:
संविधान की 'प्रस्तावना' क्या है? हम 'भारत के लोग' तथा 'धर्म निरपेक्ष' शब्द का क्या महत्व है?
यह संविधान की भूमिका वाला भाग है। इसे संविधान की कुंजी भी कहा जाता है। 'हम भारत के लोग' अर्थात् संविधान का निर्माण एवं वृद्धि जनता के प्रतिनिधियों द्वारा हुई है। धर्मनिरपेक्ष अर्थात् सभी नागरिकों को अपना अपना धर्म चुनने की स्वतंत्रता है। यहाँ देश का कोई राजधर्म नहीं होता।
भारतीय संविधान बहुत ही कठोर एवं बहुत ही लचीला है। व्याख्या करें?
भारत के संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण वर्ष कौन-कौन से थे?
'समाजवादी राज्य' का क्या उद्देश्य है? यह कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
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अफ्रीका की नस्लवाद की नीति क्या थी? इसको कैसे समाप्त किया गया?
भारत के संविधान की प्रस्तावना एक छोटे से मूल्यों का वाक्य है। किस देश की प्रेरणा से भारत के संविधान में प्रस्तावना को शामिल किया गया? प्रस्तावना की शुरूआत 'हम भारत के लोग' से क्यों होती है।
अमेरिका की संवैधानिक व्यवस्था से प्रेरणा लेकर भारत जैसे बहुत सारे देशों ने प्रस्तावना से संविधान की शुरूआत की। 'हम भारत के लोग' से तात्पर्य है कि भारत में जो भी व्यवसथा है वह हम सभी भारतीयों द्वारा अंगीकृत की गई है
प्रस्तावना क्या है? प्रस्तावना के तीन निर्देशक सिद्धान्त क्या हैं?
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