समकालीन विश्व राजनीति Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया
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    NCERT Solution For Class 12 ������������������ समकालीन विश्व राजनीति

    समकालीन दक्षिण एशिया Here is the CBSE ������������������ Chapter 5 for Class 12 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 12 ������������������ समकालीन दक्षिण एशिया Chapter 5 NCERT Solutions for Class 12 ������������������ समकालीन दक्षिण एशिया Chapter 5 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 12 ������������������.

    Question 1
    CBSEHHIPOH12041374

    देशों की पहचान करें:

    (क) राजतंत्र, लोकतंत्र-समर्थक समूहों और अतिवादियों के बीच संघर्ष के कारण राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण बना।
    (ख) चारों तरफ भूमि से घिरा देश।
    (ग) दक्षिण एशिया का वह देश जिसने सबसे पहले अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया।
    (घ) सेना और लोकतंत्र-समर्थक समूहों के बीच संघर्ष में सेना ने लोकतंत्र केऊपर बाजी मारी।
    (ड) दक्षिण एशिया केकेंद्र में अवस्थित। इस देश की सीमाएँदक्षिण एशिया केअधिकांश देशों से मिलती हैं।
    (च) पहले इस द्वीप में शासन की बागडोर सुल्यान केहाथ में थी। अब यह एक गणतंत्र है।
    (छ) ग्रामीण क्षेत्र में छोटी बचत और सहकारी ऋण की व्यवस्था के कारण इस देश को ग़रीबी कम करने में मदद मिली है।
    (ज) एक हिमालयी देश जहाँ संवैधानिक राजतंत्र है। यह देश भी हर तरफ से भूमि से घिरा है।

    Solution

    (क) नेपाल 
    (ख) नेपाल 
    (ग) श्रीलंका 
    (घ) पाकिस्तान 
    (ड) भारत 
    (च) मालद्वीप
    (छ) बांग्लादेश 
    (ज) भूटान 

    Question 3
    CBSEHHIPOH12041376

    पाकिस्तान के लोकतंत्रीकरण में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ हैं?

    Solution

    पाकिस्तान के लोकतंत्रीकरण के समुख निम्नलिखित चुनोतियाँ हैं:

    1. पाकिस्तान में सेना, धर्मगुरु और भू-स्वामी अभिजनों का सामाजिक दबदबा है। इसकी वजह से कई बार निर्वाचित सरकारों को गिराकर सैनिक शासन कायम हुआ है।
    2. पाकिस्तान की भारत के साथ तनातनी रहती है। इस वजह से सेना-समर्थक समूह ज्यादा मजबूत हैं और अक्सर ये समूह दलील देते हैं कि पाकिस्तान के राजनीतिक दलों और लोकतंत्र में खोट है।
    3. राजनीतिक दलों के स्वार्थ साधन तथा लोकतंत्र की धमाचौकड़ी से पाकिस्तान की सुरक्षा खतरे में पड़ेगी। इस तरह ये ताकतें सैनिक शासन को जायज ठहराती हैं।
    4. पाकिस्तान में लोकतांत्रिक शासन चले- इसके लिए कोई खास अंतर्राष्ट्रीय समर्थन नहीं मिलता। इस वजह से भी सेना को अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए बढ़ावा मिला है।
    5. अमरीका तथा अन्य पश्चिमी देशों ने अपने-अपने स्वार्थों से गुजरे वक्त में पाकिस्तान में सैनिक शासन को बढ़ावा दिया। इन देशों को उस आतंकवाद से डर लगता है जिसे ये देश ' विश्वव्यापी इस्लामी आतंकवाद' कहते हैं।

    Question 4
    CBSEHHIPOH12041377

    नेपाल के लोग अपने देश में लोकतंत्र को बहाल करने में कैसे सफल हुए?

    Solution

    नेपाल में समय-समय पर लोकतंत्र के मार्ग में कठिनाइयाँ आती रही हैं। नेपाल में लोकतंत्र की बहाली के लिए अनेक प्रयास किए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप आज नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना हो चुकी हैं। नेपाल में लोकतंत्र की बहाली के लिए किए गए प्रयासों का वर्णन निम्नलिखित है:

    1. नेपाल अतीत में एक हिन्दू-राज्य था फिर आधुनिक काल में कई सालों तक यहाँ संवैधानिक राजतंत्र रहा। संवैधानिक राजतंत्र के दौर में नेपाल की राजनीतिक पार्टियाँ और आम जनता ज्यादा खुले और उत्तरदायी शासन की आवाज उठाते रहे। लेकिन राजा ने सेना की सहायता से शासन पर पूरा नियंत्रण कर लिया और नेपाल में लोकतंत्र की राह अवरुद्ध हो गई।
    2. एक मजबूत लोकतंत्र-समर्थक आदोलन की चपेट में आकर राजा ने 1990 में नए लोकतांत्रिक संविधान की माँग मान ली। परन्तु देश में अनेक पार्टियों की मौजूदगी के कारण मिश्रित सरकारों के निर्माण होना था जो अधिक समय तक नहीं चल पाती थी। इसके चलते 2002 में राजा ने संसद को भंग कर दिया और सरकार को गिरा दिया।
    3. इसके विरुद्ध सन् 2006 में देश-व्यापी प्रदर्शन हुए जिसमें जनता माओवादी तथा सभी राजनैतिक दाल शामिल हुए। संघर्षरत लोकतंत्र-समर्थक शक्तियों ने अपनी पहली बड़ी जीत हासिल की जब 26 अप्रैल 2006 को राजा ने संसद को बहाल किया और सात दलों को मिली-जुली सरकार बनाने का न्योता भेजा।
    4. इस गठबंधन के प्रभाव के कारण राजा ने नेपाली कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष गिरिजा प्रसाद कोइराला को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। इसके साथ ही नेपाल में संविधान का निर्माण करने के लिए संविधान सभा का भी गठन किया गया।
    5. इस संविधान सभा ने को नेपाल को एक धर्म-निरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने की घोषणा की। राजा के सभी अधिकार ले लिए गए और यहाँ तक कि देश में राजतंत्र को भी समाप्त कर दिया गया है। नेपाल में 2015 में नया लोकतांत्रिक संविधान लागू हो गया।

     इस प्रकार हम कह सकते हैं कि नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना तो हो गई है, परंतु वहां पर विभिन्न राजनीतिक दलों के आपसी मतभेद के चलते यह कहना थोड़ा मुश्किल हैं कि वहां पर लोकतंत्र कितना सफल हो पाएगा।

    Question 5
    CBSEHHIPOH12041378

    श्रीलंका के जातीय-संघर्ष में किनकी भूमिका प्रमुख है?

    Solution

    श्रीलंका के जातीय संघर्ष में भारतीय मूल के तमिल मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने लिट्टे नाम का एक संगठन बनाया हुआ है जो हिंसात्मक आंदोलन पर उतारू है जिसके कारण पूरा श्रीलंका जातीय संघर्ष की आग में जल रहा है। उनकी प्रमुख माँग है कि श्रीलंका के एक क्षेत्र को अलग राष्ट्र बनाया जाए।

    1. सिंहली समुदाय: श्रीलंका की राजनीति पर बहुसंख्यक सिंहली समुदाय का दबदबा रहा हैं तथा तमिल सरकार एवं नेताओं पर उनके हितों की उपेक्षा करने का दोषारोपण करते रहे हैं।
    2. तमिल अल्पसंख्यक: तमिल अल्पसंख्यक हैं। ये लोग भारत छोड़कर श्रीलंका आ बसे एक बड़ी तमिल आबादी के खिलाफ़ हैं। तमिलों का बसना श्रीलंका के आजाद होने के बाद भी जारी रहा। सिंहली राष्ट्रवादियों का मानना था कि श्रीलंका में तमिलों के साथ कोई रियायत' नहीं बरती जानी चाहिए, क्योंकि श्रीलंका सिर्फ सिंहली लोगों का है। 
    3. तमिल छापामार: तमिलों के प्रति उपेक्षा भरे बर्ताव से एक उग्र तमिल राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न हुई। 1983 के बाद से उग्र तमिल संगठन 'लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिटे)' श्रीलंका की सेना के साथ सशस्त्र संघर्ष कर रहा हैं। इसने 'तमिल ईलम' यानी श्रीलंका के तमिलों के लिए एक अलग देश की माँग की है। श्रीलंका के उत्तर पूर्वी हिस्से पर लिट्टे का नियंत्रण है। 

    Question 6
    CBSEHHIPOH12041379

    भारत और पाकिस्तान के बीच हाल में क्या समझौते हुए?

    Solution

    आजादी के पश्चात भारत के विभाजन तथा पाकिस्तान की स्थापना से लेकर अब तक भारत तथा पाकिस्तान के आपसी संबंध तनावपूर्ण ही रहे हैं। इन तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच शांति बनाए रखने के लिए कई समझौते किए गए है जिनमें कुछ निम्नलिखित है:

    1. 'सिंधु जल संधि': 1960 में विश्व बैंक की सहायता से भारत और पाकिस्तान ने 'सिंधु जल संधि' पर हस्ताक्षर किए और यह संधि भारत-पाक के बीच अनेक सैन्य संघर्षों के बावजूद आज भी कायम है। यद्यपि 'सिंधु जल संधि' की व्याख्या और नदी-जल के प्रयोग को लेकर अभी भी कुछ छोटे- मोटे विवाद हैं।
    2. वार्ताओं का दौर: अभी हाल के वर्षों में भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मामलों पर वार्ताएँ चल रही हैं। भारत व पाकिस्तान के संबध कभी खत्म न होने वाले झगड़ों और हिंसा की कहानी बयान करते हैं, फिर भी तनाव को कम करने के लिए और दोनों देशों के बीच शांति बहाली के लिए ये दोनों देश लगातार प्रयास कर रहे हैं।
    3. शिमला समझौता: 3 जुलाई 1972 को भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद शिमला में एक संधि पर हस्ताक्षर हुए, जिसे शिमला समझौता कहा जाता है। इसमें भारत की तरफ से इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की तरफ से जुल्फिकार अली भुट्टो शामिल थे। इस समझौते के तहत दोनों देशों ने यह करार किया कि भारत व पाकिस्तान के बीच डाक तार सेवा फिर से चालू की जाएगी तथा आर्थिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में दोनों राष्ट्र एक दूसरे की मदद करें। 
    4. लाहौर-दिल्ली बस सेवा: अभी हाल के वर्षों में भारत व पाकिस्तान के बीच लाहौर-दिल्ली बस सेवा बहाल करने पर सहमति बनी। आतंकवादी घटनाओं के बाद भारत व पाकिस्तान के बीच चल रही बस सेवा को रोक दिया गया, लेकिन आज वह बस सेवा दोनों देशों के नागरिकों के लिए सहायक बन रही है। 
    5. परस्पर विश्वास: दोनों देशों के बीच युद्ध के संकट को कम करने तथा विश्वास बहाली के उपाय करने पर सहमति हुई है। जिसमें अनेक महत्त्वपूर्ण हस्तियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने समय-समय पर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाकर दोनों देशों के बीच दोस्ती का माहौल बनाने का प्रयास किया है, जिसके परिणामस्वरूप कई बार यातायात के लिए भारत व पाकिस्तान ने अपने मार्ग खोले हैं और अब आसानी से वीजा भी प्राप्त हो जाते है। 

    Question 7
    CBSEHHIPOH12041380

    ऐसे दो मसलों के नाम बताएँ जिन पर भारत-बांग्लादेश के बीच आपसी सहयोग है और इसी तरह दो ऐसे मसलों के नाम बताएँ जिन पर असहमति है।

    Solution

    भारत और बांग्लादेश के बीच आपसी सहयोग के दो मसले निम्नलिखित है:

    1. बांग्लादेश भारत के 'पूरब चलो' की नीति का हिस्सा है। इस नीति के अन्तर्गत म्यांमार के जरिए दक्षिण-पूर्व एशिया से संपर्क साधने की बात है।
    2. आपदा-प्रबंधन और पर्यावरण के मसले पर भी दोनों देशों ने निरंतर सहयोग किया है। इस बात के भी प्रयास किए जा रहे हैं कि साझे खतरों को पहचान कर तथा एक दूसरे की जरूरतों के प्रति ज्यादा संवेदनशीलता बरतकर सहयोग के दायरे को बढ़ाया जाए।

    भारत और बांग्लादेश के बीच असहमति के मुद्दे निम्नलिखित है: 

    1. भारतीय सेना को पूर्वोत्तर भारत में जाने के लिए अपने इलाके से रास्ता देने से बांग्लादेश का इंकार करना।
    2. भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद का एक मुद्दा ब्रह्मपुत्र नदी और गंगा नदी के जल बंटवारे से भी संबंधित है।

    Question 8
    CBSEHHIPOH12041381

    दक्षिण एशिया में द्विपक्षीय संबंधों को बाहरी शक्तियाँ कैसे प्रभावित करती हैं?

    Solution
    1. इसमें कोई दोराहे नहीं कि दक्षिण एशिया के देशों के आपसी संबंधों को बाहरी शक्तियाँ प्रभावित करती हैं जैसे कि भारत तथा पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों को बाहरी शक्ति अमेरिका निश्चित रूप से प्रभावित कर रहा है।
    2. इतना ही नहीं चीन भी इन देशों के आपसी रिश्तो को काफी हद तक प्रभावित कर रहा है। भारत व चीन के रिश्ते में पहले से कुछ सुधार हुआ है परंतु चीन का पाकिस्तान के साथ भी गहरा संबंध है, जिसके कारण भारत तथा चीन एक दूसरे के नजदीक नहीं आ पाए हैं।
    3. शीतयुद्ध के बाद दक्षिण एशिया में अमरीकी प्रभाव तेजी से बढ़ा है। अमरीका ने शीतयुद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों से अपने संबंध बेहतर किए हैं। अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच में मध्यस्थ की भूमिका निभाकर अपना प्रभाव तेजी से बढ़ाया है। दोनों देशों के द्वारा उदारीकरण की नीति अपनाना भी इसी प्रभाव का एक परिणाम है।
    Question 9
    CBSEHHIPOH12041382

    दक्षिण एशिया के देशों के बीच आर्थिक सहयोग की राह तैयार करने में दक्षेस (सार्क) की भूमिका और सीमाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। दक्षिण एशिया की बेहतरी में 'दक्षेस' (सार्क) ज्यादा बड़ी भूमिका निभा सके, इसके लिए आप क्या सुझाव देंगे?

    Solution

    इसमें कोई दो राहें नहीं कि विश्व के लगभग सभी राष्ट्र आर्थिक उन्नति के लिए एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। अनेक संघर्षों के बावजूद दक्षिण एशिया के देश आपस में दोस्ताना रिश्ते तथा सहयोग के महत्त्व को पहचानते हैं। इसलिए आपसी सहयोग को बनाने एवं बढ़ाने के विचार से दक्षिण एशिया के सात देशों ने दक्षेस (SAARC) की स्थापना की। इसकी शुरुआत 1985 में हुई।

    सन् 2004 में सार्क देशों ने 'साफ्टा' (सफ्ता) समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके अनुसार समस्त दक्षिण एशिया को 'मुफ्त व्यापार क्षेत्र' बना दिया गया। इस सहयोग को और अधिक बढ़ाने के लिए सार्क के 12वें शिखर सम्मेलन में साफ्टा को वर्ष 2006 से लागू करने की अनुमति दे दी।

    आर्थिक क्षेत्र में सहयोग में (सार्क) की भूमिका:

    1. दक्षिण एशियाई क्षेत्र की जनता के कल्याण एवं उनके जीवन स्तर में सुधार लाने में ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं।
    2. इसने क्षेत्र के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास को गति देने अथवा सदस्य देशों की सामूहिक आत्मनिर्भरता में वृद्धि करना का भी काम किया है।
    3. विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में पारस्परिक सहायता में तेजी लाना; समान लक्ष्यों और उद्देश्यों वाले अंतरराष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय संगठनों के साथ सहयोग स्थापित करना; अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समान हितों के मामलों में सदस्य देशों के मध्य सहयोग की भावना को मजबूती प्रदान करना, तथा; अन्य विकासशील देशों के साथ सहयोग स्थापित करना। इन सभी उद्देश्यों की पूर्ति में सार्क की भूमिका अहम है।

    सार्क की सीमाएँ:

    1. सार्क की सफलता में सदैव भारत-पाक के कटु संबंध, भारत बांग्लादेश के मध्य गंगा पानी के बंटवारे का मुद्दा, भारत श्रीलंका में तमिल प्रवासियों की समस्या आदि अनेक मुद्दे हैं, जो इसके कार्यों में रुकावट पैदा करते आ रहे है।
    2. सार्क देशों में भारत की सैन्य क्षमता, कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, औद्योगिक प्रगति, तकनीकी विकास आदि ने भारत की सार्क देशों में बिग ब्रदर की स्थिति बना दी है जिसके तहत सार्क के सदस्य देश भारत जैसे बड़े देश पर पूर्ण विश्वास नहीं रख पा रहे हैं।
    3. सार्क सदस्य देशों में अत्याधिक विविधताएँ भी इन सदस्य देशों की एकता में बाधक है उदहारण स्वरूप पाकिस्तान में सैनिक तंत्र, नेपाल और भूटान में राजतंत्र, भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका तथा मालदीव में लोकतंत्र है। इतना ही नहीं इसमें तीन इस्लामिक देश है, दो बौद्ध है , एक हिंदू तथा एक धर्म-निरपेक्ष देश है इन विविधताओं के चलते अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह देश आपस में सहयोग की बजाय टकराव की स्थिति में आ जाते हैं।

    सार्क की सफलता के लिए सुझाव:

    1. सार्क के सदस्य देश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर टकराव व संघर्ष के बजाय पारस्परिक सहयोग एवं सर्वसम्मत दृष्टिकोण को अपनाएँ।
    2. द्वि-पक्षीय एवं बहु-पक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाना चाहिए।
    3. सांस्कृतिक संपर्क एवं एक- दूसरे देश के लोगों के आवागमन को प्रोत्साहन देने का कार्य भी किया जाना चाहिए।
    4. सार्क के सदस्य देशों को सहयोग के नए क्षेत्र, जैसे उद्योग, व्यापार, मुद्रा, ऊर्जा आदि क्षेत्रों को ढूंढने का प्रयास करना चाहिए और सामूहिक आत्म-निर्भता की ओर भी अग्रसर होना चाहिए।

    Question 10
    CBSEHHIPOH12041383

    दक्षिण एशिया के देश एक-दूसरे पर अविश्वास करते हैं। इससे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर यह क्षेत्र एकजुट होकर अपना प्रभाव नहीं जमा पाता। इस कथन की पुष्टि में कोई भी दो उदाहरण दें और दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के लिए उपाय सुझाएँ।

    Solution

    इसमें कोई संदेह नहीं कि दक्षिण एशिया के देश एक- दूसरे पर विश्वास नहीं करते, परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ये देश एक सुर में नहीं बोल पाते जिस कारण यह अपना प्रभाव भी नहीं जमा पाते उदाहरण के लिए:

    1. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत- पाक के विचार सदैव एक दूसरे से विपरीत होते हैं।
    2. इसके अतिरिक्त सार्क के अन्य देशों को सदा ही यह भय लगा रहता है कि भारत जैसे विशाल तथा शक्तिशाली देश उन पर अपना दबदबा ना बना दे।

    दक्षिण एशिया एक ऐसा क्षेत्र है जहां सद्भाव और शत्रुता, आशा और निराशा तथा पारस्परिक शंका और विश्वास साथ-साथ बसते हैं।

    दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के लिए सुझाव:

    1. यदि हम दक्षिण एशिया को मजबूत बनाना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले दक्षिण एशिया के सभी देशों के बीच विश्वास का वातावरण पैदा होना चाहिए अथवा उन्हें एक दूसरे को संदेह की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए।
    2. उन्हें आपसी समस्याओं के निवारण के लिए बाहरी शक्तियों को स्थान नहीं देना चाहिए। सार्क के सदस्य देशो को महाशक्तियों को इस क्षेत्र से दूर रखने का प्रयास करना चाहिए। संघर्ष के आपसी मुद्दों को टालने की वजह पारस्परिक विचार विमर्श के द्वारा समाधान करने का प्रयास किया जाना चाहिए।

    Question 11
    CBSEHHIPOH12041384

    दक्षिण एशिया के देश भारत को एक बाहुबली समझते हैं जो इस क्षेत्र के छोटे देशों पर अपना दबदबा जमाना चाहता है और उनके अंदरूनी मामलों में दखल देता है। इन देशों की ऐसी सोच के लिए कौन-कौन सी बातें जिम्मेदार हैं?

    Solution
    1. भारत का आकार इन देशों से बहुत बड़ा है और वह शक्तिशाली भी है। इसकी वजह से अपेक्षाकृत छोटे देशों का भारत के इरादों को लेकर शक करना लाजिमी है।
    2. सार्क देशों में भारत की सैन्य शक्ति, औद्योगिक प्रगति, परमाणु कुशलता, तकनीकी विकास को देखते हुए भी छोटे देशों को लगता है कि भारत दक्षिण एशिया में अपना दबदबा कायम करना चाहता है।
    3. तीसरा कारण भारत की भौगोलिक स्थिति भी है जहाँ दक्षिण एशिया के अन्य सभी देश उसकी सीमा के इर्द-गिर्द पड़ते है। भारत बीच में स्थित है।
    4. इतना ही नहीं भारत विश्व की बड़ी तेज़ी से उभरती हुई एक आर्थिक व्यवस्था भी है। भारत सरकार को अक्सर महसूस होता है कि उसके पड़ोसी देश उसका काफी फायदा उठा रहे है। इसके कारण भी छोटे देशों को लगता है कि भारत दक्षिण एशिया में अपना दबदबा कायम करना चाहता है।

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