भारतीय इतिहास के कुछ विषय Ii Chapter 7 एक साम्राज्य की राजधानी - विजयनगर
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    NCERT Solution For Class 12 ������������������ भारतीय इतिहास के कुछ विषय Ii

    एक साम्राज्य की राजधानी - विजयनगर Here is the CBSE ������������������ Chapter 7 for Class 12 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 12 ������������������ एक साम्राज्य की राजधानी - विजयनगर Chapter 7 NCERT Solutions for Class 12 ������������������ एक साम्राज्य की राजधानी - विजयनगर Chapter 7 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 12 ������������������.

    Question 1
    CBSEHHIHSH12028302

    विजयनगर की जल-आवश्यकताओं को किस प्रकार पूरा किया जाता था?

    Solution

    विजयनगर की जल-आवश्यकताओं को मुख्य रूप में तुंगभद्रा नदी से निकलने वाली धाराओं पर बाँध बनाकर पूरा किया जाता था। बाँधों से विभिन्न आकार के हौज़ों का निर्माण किया जाता था। इस हौज़ के पानी से न केवल आस-पास के खेतों को सींचा जा सकता था बल्कि इसे एक नहर के माध्यम से राजधानी तक भी ले जाया जाता था। कमलपुरम् जलाशय नामक हौज़ सबसे महत्त्वपूर्ण हौज़ था। तत्कालीन समय के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण जल संबंधी संरचनाओं में से एक, हिरिया नहर के भग्नावशेषों को आज भी देखा जा सकता है। इस नहर में तुंगभद्रा पर बने बाँध से पानी लाया जाता था और इस धार्मिक केंद्र से शहरी केंद्र को अलग करने वाली घाटी को सिंचित करने में प्रयोग किया जाता था। इसके अलावा झील, कुएँ, बरसत के पानी वाले जलाशय तथा मंदिरों के जलाशय सामान्य नगरवासियों के लिए पानी की आवश्यकताओं को पूरा करते थे।

    Question 2
    CBSEHHIHSH12028303

    शहर के किलेबंद क्षेत्र में कृषि क्षेत्र को रखने के आपके विचार में क्या फ़ायदे और नुकसान थे?

    Solution

    फ़ायदे अथवा लाभ:

    1. मध्यकाल में विजय प्राप्ति में घेराबन्दियों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता था। घेराबन्दियों का प्रमुख उद्देश्य प्रतिपक्ष को खाद्य सामग्री से वंचित कर देना होता था ताकि वे विवश होकर आत्मसमर्पण करने को तैयार हो जाएँ।
    2. कई बार शत्रु की घेराबंदी वर्षों तक चलती रहती थीं। इस स्थिति में बाहर से खाद्यान्नों का आना दुष्कर हो जाता था। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए शासक प्राय: किलेबंदी क्षेत्रों के भीतर ही विशाल अन्नागारों का निर्माण करवाते थे।
    3. इसके परिणामस्वरूप खेतों में खड़ी फसलें शत्रु द्वारा किए जाने वाले विनाश से बच जाती थीं।
    4. खेतों के किलेबन्द क्षेत्र में होने के कारण प्रतिपक्ष की खाद्यान्न आपूर्ति संकट में पड़ जाती थी, जिससे घेराबन्दी को लम्बे समय तक खींचना कठिन हो जाता था और उसे विवशतापूर्वक घेराबन्दी को उठाना पड़ता था।

    नुकसान तथा हानियाँ:

    1. कृषिक्षेत्र को किलेबन्द क्षेत्र में रखने की व्यवस्था अत्यंत महँगी थी। राज्य को इस पर ज्यादा धने-राशि व्यय करनी पड़ती थी।
    2. किलेबन्द क्षेत्र में कृषि क्षेत्र होने के परिणामस्वरूप घेराबन्दी की स्थिति में बाहर रहने वाले किसानों के लिए खेतों में काम करना कठिन हो जाता था।
    3. घेराबन्दी की स्थिति में कृषि के लिए आवश्यक बीज, उर्वरक, यंत्र आदि को बाहर के बाजारों से लाना प्रायः कठिन हो जाता था।
    4. यदि शत्रु किलेबन्द क्षेत्र में प्रवेश करने में सफल हो जाता था तो खेतों में खड़ी फसल उसके विनाश का शिकार बन जाती थी।

    Question 3
    CBSEHHIHSH12028304

    आपके विचार में महानवमी डिब्बा से संबद्ध अनुष्ठानों का क्या महत्त्व था?

    Solution
    1. हमारे विचार में महानवमी डिब्बा से संबद्ध अनुष्ठानों का व्यापक महत्त्व था। विजयनगर शहरों के सबसे ऊँचे स्थानों पर महानवमी डिब्बा नमक विशाल मंच होता था।
    2. इस संरचना से जुड़ेअनुष्ठान, संभवत: सितंबर तथा अक्टूबर के शरद मासों में मनाए जाने वाले दस दिन के हिंदू त्यौहार, जिसे दशहरा (उत्तर भारत), दुर्गा पूजा (बंगाल में) तथा नवरात्री या महानवमी (प्रायद्वीपीय भारत में) नामों से जाना जाता है, के महानवमी के अवसर पर निष्पादित किए जाते थे। इस अवसर पर विजयनगर शासक अपने रुतबे, ताकत तथा अधिराज्य का प्रदर्शन करते थे।
    3. इस अवसर पर होने वाले अनुष्ठानों में मूर्तिपूजा, अश्व-पूजा के साथ-साथ भैंसों तथा अन्य जानवरों की बलि दी जाती थी। नृत्य, कुश्ती प्रतिस्पर्धा तथा घोड़ों, हाथियों तथा रथों व सैनिकों की शोभा यात्राएँ निकाली जाती थीं। साथ ही, प्रमुख नायकों और अधीनस्थराजाओं द्वारा राजा को प्रदान की जाने वाली औपचारिक भेंट इस अवसर के प्रमुख आकर्षण थे।
    4. त्योहार के अंतिम दिन राजा सेनाओं का निरीक्षण करता था। साथ ही नए सिरे से कर निर्धारित किए जाते थे।
    Question 4
    CBSEHHIHSH12028305

    चित्र विरुपाक्ष मन्दिर के एक अन्य स्तंभ का रेखाचित्र है। क्या आप कोई पुष्प-विषयक रूपांकन देखते हैं? किन जानवरों को दिखाया गया है? आपके विचार में उन्हें क्यों चित्रित किया गया है? मानव आकृतियों का वर्णन कीजिए।

    Wired Faculty
    चित्र: विरुपाक्ष मंदिर का स्तंभ

    Solution

    विरुपाक्ष मन्दिर के इस स्तम्भ को ध्यानपूर्वक देखने से पता लगता है कि इस स्तम्भ में विभिन्न प्रकार के फूलदार पौधों तथा पशु-पक्षियों का चित्रण किया गया है। इसमें मोर, घोड़ा बतख जैसे पक्षियों और पशुओं की आकृतियाँ स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। इन्हें संभवत: प्रवेश द्वार को आकर्षक बनाने तथा लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए चित्रित किया गया हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न पशु-पक्षी, देवी-देवताओं के साथ वाहन के रूप में भी जुड़े हुए थे। इसलिए उन्हें भी पूजा का पात्र माना जाता था।
    मानव आकृतियों में देवी-देवता तथा श्रद्धालु दोनों ही शालिम किए गए हैं। एक देवता को सिर पर घंटी, ताज तथा गले में मालाएँ पहने दिखाया गया हैं। इन्होंने अपने हाथ में गदा धारण की हुई हैं। ऐसा प्रतीत होता हैं की वह दुष्टों के संहारक हैं।एक अन्य चित्रण में एक श्रृद्धालु को शिवलिंग के सम्मुख विशेष नृत्य करते हुए दिखाया गया हैं। उसकी पूजा की विधि विचित्र हैं। यह किसी भी रूप में मान्य नहीं है। 

    Question 5
    CBSEHHIHSH12028306

    ''शाही केंद्र'' शब्द शहर के जिस भाग के लिए प्रयोग किए गए हैं क्या वे उस भाग का सही वर्णन करते हैं।

    Solution
    1. पुरातत्वविदों को विजय नगर की खुदाई के दौरान विभिन्न प्रकार के अवशेष मिले। शहर के केंद्र में कुछ 52 बड़े भव्य तथा अन्य स्थानों की तुलना में अधिक सुरक्षात्मक ढंग से बनाए गए थे। इनकी बनावट को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि किसी स्थल से विजयनगर साम्राज्य का प्रशासन चलता था इसलिए पुरातत्वविदों ने इसे शाही या राजकीय केंद्र कहां है।
    2. इस क्षेत्र में शासक का आवास, 60 से अधिक मंदिर तथा बड़े-बड़े सभा स्थल है। शहर के इसी हिस्से में 'महानवमी डिब्बा' जैसे भव्य चबूतरा हैं जहाँ शासक अपनी भव्यता, शक्ति का प्रदर्शन करते थे। इस तरह के शासकों का आयोजन स्थल भी यही स्वीकारा जाता है। विभिन्न मंडपों से आंगन भी यहाँ है। शासक द्वारा सलाहकारों की सभा का आयोजन जिस कमल महल में होता है क्षेत्र में है।
    3. शाही केंद्र में हजार राम मंदिर जैसा दर्शनीय भव्य स्थल हैं जिसके बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर केवल शाही परिवार के सदस्यों के लिए था। यह क्षेत्र राज्य के बीच में था। विजयनगर शहर सात दुर्गों की दीवारों के अंदर था तो केवल यही क्षेत्र सातवें दुर्ग में था इस केंद्र के बाहर राज्य के सबसे अधिक शक्तिशाली मानी जाने वाली सेना (अर्थात् हाथी सेना) का अस्तबल भी यही था।
    4. इस तरह के विभिन्न पक्षों को देखने के उपरांत तथा भवनों के अवशेषों के मूल्यांकन से स्पष्ट है कि यह शाही केंद्र था। इस बारे में जो वर्णन जिस तरह दिया गया हैं वह सही अर्थों में इसकी पुष्टि करता हैं।
    Question 6
    CBSEHHIHSH12028307

    कमल महल और हाथियों के अस्तबल जैसे भवनों का स्थापत्य हमें उनके बनवाने वाले शासकों के विषय में क्या बताता है?

    Solution

    अनेक पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित विजयनगर एक विशाल शहर था। इसमें अनेक भव्य महल, सुन्दर आवासस्थान, उपवन और झीलें थीं जिनके कारण नगर देखने में अत्यधिक आकर्षक एवं मनमोहक लगता था। बस्ती के दक्षिण-पश्चिमी भाग में शाही केन्द्र स्थित था जिसमें अनेक महत्त्वपूर्ण भवनों को बनाया गया था। लोटस महल अथवा कमल महल और हाथियों का अस्तबल इसी प्रकार की दो महत्त्वपूर्ण संरचनाएँ थीं। इन दोनों भवनों का स्थापत्य अलग-अलग तरह का हैं। इन दोनों संरचनाओं से हमें उनके निर्माता शासकों की अभिरुचियों एवं नीतियों के विषय में पर्याप्त जानकारी मिलती है।

    कमल महल: शाही केन्द्र के भव्य महलों में सर्वाधिक सुन्दर कमल महल था। यह नामकरण इस महल की सुंदरता एवं भव्यता से प्रभावित होकर अंग्रेज़ यात्रियों द्वारा किया गया था। स्थानीय रूप से इस महल को चित्तरंजनी-महल के नाम से जाना जाता है। हालांकि यह नाम निश्चित रूप से रोमांचक है, लेकिन इतिहासकार इस बारे में निश्चित नहीं हैं कि यह भवन किस कार्य के लिए बना था। इसकी स्थिति के विभिन्न पक्षों को देखकर पता चलता हैं कि शासक इसके माध्यम से अपनी समृद्धि तथा राज्य के वास्तुविदों के कौशल को दुनिया के समक्ष रखना चाहता थे। ऐसा अनुमान लगाया जाता हैं कि शासक यहाँ अपने सलाहकारों से भेंट किया करता था। विभिन्न राजदूतों का स्वागतकक्ष भी यही था।

    हाथियों के अस्तबल: हाथियों का विशाल फीलखाना (हाथियों का अस्तबल अथवा रहने का स्थान) कमल महल के समीप ही स्थित था। फीलखाना की विशालता से स्पष्ट होता है कि विजय नगर के शासक अपनी सेना में हाथियों को अत्यधिक महत्त्व देते थे। उनकी विशाल एवं सुसंगठित सेना में हाथियों की पर्याप्त संख्या थी। फीलखाना की स्थापत्य कला शैली पर इस्लामी स्थापत्य कला शैली का स्पष्ट प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। इसके निर्माण में भारतीय इस्लामी स्थापत्य कला शैली का अनुसरण किया गया है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि विजय नगर के शासक धार्मिक दृष्टि से उदार एवं सहनशील थे।

    Question 7
    CBSEHHIHSH12028308

    अध्याय के विभिन्न विवरणों से आप विजयनगर के सामान्य लोगों के जीवन की क्या छवि पाते हैं?

    Solution

    अध्याय के विभिन्न विवरणों से हमे विजयनगर के सामान्य लोगों के जीवन में यह जानकारी प्राप्त होती हैं: 

    1. समाज में दास प्रथा का प्रचलन था। दस-दासियों का क्रय-विक्रय होता था। सामान्य लोगों के आवासों, जो अब अस्तित्व में नहीं है, का 16 वीं शताब्दी का पुर्तगाली यात्री बाइबोसा इस प्रकार वर्णन करता है: 'लोगों के अन्य आवास छप्पर के हैं, पर फिर भी सुदृढ़ है और व्यवसाय के आधार पर कई खुले स्थानों वाली लंबी गलियों में व्यवस्थित है।
    2. विजयनगर में विभिन्न सम्प्रदायों और विभिन्न समुदायों के लोग रहते थे। विजयनगर के लगभग सभी शासकवर्ग धर्म-सहिष्णु थे। उन्होंने बिना किसी भेद-भाव के सभी मंदिरों को अनुदान प्रदान किए। बारबोसा ने कृष्णदेव राय के साम्राज्य में प्रचलित न्याय और समानता के व्यवहार की प्रशंसा करते हुए लिखा है कि राजा इतनी आजादी देता है कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छानुसार आ-जा सकता है और अपने धर्म के अनुसार जीवनव्यतीत कर सकता है।
    3. क्षेत्र-सर्वेक्षण से पता चलता है कि इस पूरे क्षेत्र में बहुत-से पूजा-स्थल और छोटे मंदिर थे जो विविध संप्रदायों से सम्बन्ध रखते थे। ये सम्भवत: विभिन्न समुदायों द्वारा संरक्षित थे। सर्वेक्षण से यह भी संकेत मिलता है कि कुएँ, बरसात के पानी वाले जलाशय तथा मंदिरों के जलाशय सम्भवत: सामान्य नगर-निवासियों के लिए जल का मुख्य स्रोत है।
    4. शाही क्षेत्र में 60 से अधिक मंदिर तथा पूरे साम्राज्य में 1000 से अधिक मंदिरों का होना इस बात कि पुष्टि करता है कि जान सामान्य की धर्म में रूचि थी। शासक उनकी भावनाओं का ध्यान रखते हुए शासन करता था। वह यह भी दिखाने का प्रयास करता था कि वह किसी एक वर्ग-विशेष का शासक नहीं है।
    5. विजयनगर के नायकों के वर्णन में यह बात भी सामने आती है कि वह नायक उसी क्षेत्र में सफल होता था जहाँ उसे स्थानीय सैनिकों व किसानों का समर्थन प्राप्त होता था। अत: इस बात से पता चलता है कि साम्राज्य में उनका भी महत्व था।

    इसके अतिरिक्त बाज़ार में प्रत्येक चीज़ की उपलब्धता बड़े-बड़े कार्यकर्मों के लिए भवनों का निर्माण, उत्सवों में जनता की भागीदारी, इस प्रकार के विवरण विजयनगर के जनसामान्य के जीवन के सम्बन्ध में पर्याप्त जानकारी प्रदान करते हैं। 

    Question 8
    CBSEHHIHSH12028309

    पिछली दो शताब्दियों में हम्पी के भवनावशेषों के अध्ययन में कौन-सी पद्धतियों का प्रयोग किया गया है? आपके अनुसार यह पद्धतियाँ विरुपाक्ष मन्दिर के पुरोहितों द्वारा प्रदान की गई जानकारी का किस प्रकार पूरक रहीं?

    Solution

    हम्पी के भग्नावशेषों के अध्ययन में पिछली दो शताब्दियों में अनेक पद्धतियों का प्रयोग किया गया है जिनका उल्लेख निम्नलिखत हैं: 

    1. हम्पी के भग्नावशेषों के अध्ययन में सर्वप्रथम सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया। 1800 ई० में ब्रिटिश इस्ट इंडिया कम्पनी की सेवा में नियुक्त एक अभियंता एवं पुराविद् कर्नल कॉलिन मैकेन्जी द्वारा हम्पी के भग्नाशेषों की ओर ध्यान आकर्षित किया गया। उन्होंने इस स्थान का पहला सर्वेक्षण मानचित्र बनाया।
    2. कालान्तर में छाया चित्रकारों में हम्पी के भवनों के चित्रों का संकलन प्रारंभ कर दिया। 1856 ई० में अलेक्जेंडर ग्रनिलों ने हम्पी के पुरातात्विक अवशेषों के पहले विस्तृत चित्र लिए। इसके परिणामस्वरूप शोधकर्ता उनकी अध्ययन करने में समर्थ हो गए।
    3. हम्पी की खोज में अभिलेखकर्ताओं ने भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। अभिलेखकर्ताओं ने 1836 ई० से ही यहाँ और हम्पी के मन्दिरों से दर्जनों अभिलेखों को एकत्र करना प्रारंभ कर दिया था।
    4. हम्पी के भग्नावशेषों के अध्ययन में विदेशी यात्रियों के वृत्तान्तों का भी अध्ययन किया गया। इतिहासकारों ने इन स्रोतों का विदेशी यात्रियों के वृत्तांतों और तेलुगु, कन्नड़, तमिल एवं संस्कृत में लिखे गए साहित्य से मिलान किया। इनसे उन्हें साम्राज्य के इतिहास के पुनर्निर्माण में महत्त्वपूर्ण सहायता मिली।
    5. 1876 ई० में जे०एफ० फ्लीट ने पुरास्थल के मंदिर की दीवारों के अभिलेखों का प्रलेखन प्रारंभ किया। विरुपाक्ष मन्दिर के पुरोहितों द्वारा प्रदत्त सूचनाओं की पुष्टि।

    नि:संदेह ये पद्धतियाँ विरुपाक्ष मन्दिर के पुरोहितों द्वारा प्रदत्त सूचनाओं की पूरक थीं। उल्लेखनीय है कि मैकेन्जी द्वारा प्राप्त प्रारंभिक जानकारियाँ विरुपाक्ष मन्दिर और पम्पा देवी के मन्दिर के पुरोहितों की स्मृतियों पर आधारित थीं।

    Question 9
    CBSEHHIHSH12028310

    स्थापत्य की कौन-कौन-सी परंपराओं ने विजयनगर के वास्तुविदों को प्रेरित किया? उन्होंने इन परंपराओं में किस प्रकार बदलाव किए?

    Solution
    1. विजय नगर साम्राज्य दक्षिण भारत के जिस क्षेत्र में स्थापित हुआ, वह स्थापत्य कला की दृष्टि से काफी समृद्ध था। इस क्षेत्र में पल्लव, चालुक्य, होयसाल व चोल वंशो का शासन रहा। इन सभी वंशों के शासकों ने पिछले कई शताब्दियों से विभिन्न तरह के भवनों का निर्माण करवाया। इन भवनों में सबसे अधिक मात्रा में मंदिर थे। विजयनगर के वास्तुविदों को इन्हीं भवनों विशेषकर मंदिरों को देखकर भवन बनाने की प्रेरणा मिली।
    2. इसके साथ विजयनगर के शासकों के अरब क्षेत्र के साथ लगातार सम्बन्ध रहे। वह से वस्तुओं का आदान-प्रदान निरंतर होता रहा। विजयनगर के वास्तुविदों को अरब क्षेत्र विशेषकर ईरान के भवन देखने का मौका मिला। उत्तर भारत के भवनों तथा उड़ीसा के गजपति शासकों के भवनों ने भी उन्हें मार्गदर्शन दिया।
    3. विजयनगर के वास्तुविदों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत से सीख लेकर भारत के अन्य स्थानों के भवनों जैसे भवन बनाने प्रारंभ किए। उन्होंने अरब क्षेत्र की भवन निर्माण शैली का भी प्रचुर भाषा में प्रयोग किया। उनका यह प्रयोग शाही भवनों, महलों, शहरी क्षेत्र की इमारतों के साथ-साथ बाजारों इत्यादि में भी दिखाई देता है।
    4. विजयनगर में वास्तविक ने इस में मिश्रित वास्तुकला का प्रयोग जल प्रबंधन में किया। इसमें मैदानी व पर्वतीय दोनों शैलियाँ प्रयोग की। राज्यों को सुरक्षा देने की सोचते हुए उन्होंने दुर्गों की सात पंक्तियाँ बनाई। दुर्गों की दीवारें, दरवाज़े व गुबंद तुर्की प्रभाव वाले बनाए। कल्याण मंडप, महानवमी डिब्बा व शहरी क्षेत्र में 300 से अधिक मंदिरों के निर्माण में 50 से अधिक शैलियों का मिश्रण किया है। हजार राम के मंदिर पर रामायण के दृश्य को अंकित करवाकर भवनों को धर्म समाज से जोड़ने का प्रयास किया।
    5. मंदिरों की पहचान उनके गोपुरमों से होती थी तो इन्होंने उन्हें क्षेत्र में सबसे ऊँची इमारतों के रूप में तैयार करवाया। विभिन्न प्रकार के भवनों को देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि उन्होंने अपनी विरासत तथा अन्य संस्कृतियों के अनुभव का प्रयोग किया। वे इस प्रयोग को इतना आगे ले गए कि अन्य शैलियों कि मौलिकताएँ गौण हो गयी तथा ये भवन मौलिक रूप से विजयनगर की वास्तुकला के प्रतीक दिखाई देने लगे।

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