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निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें:
बंजर भूमि तथा कृषि योग्य व्यर्थ भूमि में अंतर स्पष्ट करें।
बंजर भूमि: वह भूमि जो प्रचलित प्रौद्योगिकी की मदद से कृषि योग्य नहीं बनाई जा सकती, जैसे- बंजर पहाड़ी भ-भूभाग, मरुस्थल व खड्ड आदि।
कृषि योग्य व्यर्थ भूमि: वह भूमि जो पिछले पाँच वर्षो तक या अधिक समय तक परती या कृषि-रहित है। भूमि उद्धार तकनीक द्वारा इसे सुधार कर कृषि योग्य बनाया जा सकता है।
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें:
निवल बोया गया क्षेत्र तथा सकल बोया गया क्षेत्र में अंतर बताएँ।
निवल बोया क्षेत्र: वह भूमि जिस पर फसलें उगाई व काटी जाती हैं, वह निवल बोया गया क्षेत्र कहलाता है।
सकल बोया गया क्षेत्र: इसमें बोया गया शुद्ध क्षेत्र तथा शुद्ध क्षेत्र में जोड़ा गया वह क्षेत्र जिसमें किसी कृषि वर्ष अवधि में एक से अधिक बार फसलें उगाई जाती हैं, दोनों शामिल होते हैं।
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें:
भारत जैसे देश में गहन कृषि नीति अपनाने की आवश्यकता क्यों है?
भारत शुरुआत से ही एक कृषि-प्रधान देश रहा है। इसकी घनी आबादी तथा निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या के चलते खाद्यान्नों की आपूर्ति करना इसके लिए एक बड़ी चुनौती रहा है। इसलिए भारत को गहन कृषि नीति को अपनाने की आवश्यकता है क्योंकि इस नीति के तहत भूमि के कम क्षेत्र में अधिक उत्पादकता की जा सकती है।
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें:
शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि में क्या अंतर हैं?
शुष्क कृषि | आर्द्र कृषि |
1. शुष्क कृषि की फसल के लिए सिंचाई की कम आवश्यकता पड़ती है। | 1. आर्द्र कृषि फसल को अत्याधिक सिंचाई की आवश्यकता होती हैं। |
2. शुष्क कृषि के लिए वार्षिक वर्षा 75 सें.मी. से कम होनी चाहिए। | 2. आर्द्र कृषि में फसलों की ज़रूरत से अधिक जल व वर्षा की आवश्यकता होती है। इसके लिए 150 सें.मी. से 200 सें.मी. वर्ष की आवश्यकता होती है। |
3. इस कृषि में रागी, बाजरा, मूँग, चना तथा ग्वार आदि उगाई जाती है। | 3. इसमें चावल, जूट, गन्ना आदि तथा ताजेपानी की जलकृषि भी की जाती है |
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें:
भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात विकास की महत्वपूर्ण नीतियों का वर्णन करें।
भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात कृषि विकास की महत्वपूर्ण नीतियाँ इस प्रकार हैं:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें:
भारत में भूसंसाधनों की विभित्र प्रकार की पर्यावरणीय समस्याएँ कौन-सी हैं? उनका निदान कैसे किया जाए?
भारत में भू-संसाधनों का निम्नीकरण एक गंबीर समस्या है जो कृषि विकास की दोषपूर्ण नीतियों के कारण उत्पन्न हुई है। भारत में कृषि भूमि की अनेक पर्यावरणीय समस्याएँ है जिनमे: मृदा अपरदन, अत्याधिक सिंचाई, भूमि की गुणवत्ता में कमी, तीव्र हवाएँ, लवणीकरण इत्यादि शामिल है:
समस्यायों के निदान के उपाय:
उपरोक्त समस्याओं के निदान के साथ-साथ हमे इन समस्याओं को जन्म देने वाले क्रियाकलापों को नियंत्रित करना होगा।
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