भारत का संविधान सिद्धांत और व्यवहार Chapter 4 कार्यपालिका
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    NCERT Solution For Class 11 राजनीतिक विज्ञान भारत का संविधान सिद्धांत और व्यवहार

    कार्यपालिका Here is the CBSE राजनीतिक विज्ञान Chapter 4 for Class 11 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 11 राजनीतिक विज्ञान कार्यपालिका Chapter 4 NCERT Solutions for Class 11 राजनीतिक विज्ञान कार्यपालिका Chapter 4 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 11 राजनीतिक विज्ञान.

    Question 2
    CBSEHHIPOH11021773

    निम्नलिखित को सुमेलित करें

    A. भारतीय विदेश सेवा (i) जिसमें बहाली हो उसी प्रदेश में काम करती है। 
    B. प्रादेशिक लोक सेवा (ii) केंद्रीय सरकार के दफ्तरों में काम करती है जो या तो देश की राजधानी में होते हैं या देश में कहीं और।
    C. अखिल भारतीय सेवाएँ (iii) जिस प्रदेश में भेजा जाए उसमें काम करती है, इसमें प्रति नियुक्ति पर केंद्र में भी भेजा जा सकता है।
    D. केंद्रीय सेवाएँ (iv) भारत के लिए विदेशों में कार्यरत।

    Solution

    A.

    भारतीय विदेश सेवा

    (i)

    भारत के लिए विदेशों में कार्यरत।

    B.

    प्रादेशिक लोक सेवा

    (ii)

    जिसमें बहाली हो उसी प्रदेश में काम करती है। 

    C.

    अखिल भारतीय सेवाएँ

    (iii)

    जिस प्रदेश में भेजा जाए उसमें काम करती है, इसमें प्रति नियुक्ति पर केंद्र में भी भेजा जा सकता है।

    D.

    केंद्रीय सेवाएँ

    (iv)

    केंद्रीय सरकार के दफ्तरों में काम करती है जो या तो देश की राजधानी में होते हैं या देश में कहीं और।

    Question 4
    CBSEHHIPOH11021775

    इस चर्चा को पढ़कर बताएँ कि कौन सा कथन भारत पर सबसे ज्यादा लागू होता है:

    1. आलोक: प्रधानमंत्री राजा के समान है। वह हमारे देश में हर बात का फैसला करता है।
    2. शेखर: प्रधानमंत्री सिर्फ 'समान हैसियत के सदस्यों में प्रथम' है। उसे कोई विशेष अधिकार प्राप्त नहीं। सभी मंत्रियों और प्रधानमंत्री के अधिकार बराबर हैं। 
    3. बॉबी: प्रधानमंत्री को दल के सदस्यों तथा सरकार को समर्थन देने वाले सदस्यों का ध्यान रखना पड़ता है। लेकिन कुल मिलाकर देखें तो नीति-निर्माण तथा मंत्रियों केचयन में प्रधानमंत्री की बहुत ज्यादा चलती है। 

    Solution

    इन तीनों कर्तव्यों में बॉबी का कथन भारतीय परिपेक्ष्य में प्रधानमंत्री की स्थिति को व्यक्त करता हैं। भारत में, प्रधानमंत्री का सरकार में स्थान सर्वोपरि होता है। मंत्रि-परिषद् के प्रधान के रूप में प्रधानमंत्री अपने देश की सरकार का सबसे महत्त्वपूर्ण पदाधिकारी होता है। निश्चय ही प्रधान मंत्री को अत्यधिक शक्तियां प्राप्त है फिर भी लोकसभा में बहुमत को बनाए रखने के लिए और अन्य कारणों से भी उसके निर्णयों को राजनितिक दल के सदस्य, सहयोगी दल व तत्कालीन परिस्थितियाँ भी प्रभावित करती हैं।

    Question 5
    CBSEHHIPOH11021776

    क्या मंत्रिमंडल की सलाह राष्ट्रपति को हर हाल में माननी पड़ती है ? आप क्या सोचते हैं ? अपना उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में लिखें।

    Solution

    भारत के संविधान के अनुच्छेद 74 में लिखा है कि राष्ट्रपति को उसके कार्यों में सलाह देने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्रिमंडल होगा जो उनकी सलाह के अनुसार कार्य करेगा। 42 वें संविधान संशोधन के अनुसार यह निश्चित किया गया था कि राष्ट्रपति को मंत्रिमंडल की सलाह अनिवार्य रूप से माननी होगी। परंतु संविधान के 44 वे संविधान संशोधन में  फिर यह निश्चित किया कि राष्ट्रपति प्रथम बार में मंत्रिमंडल की सलाह को मानने के लिए बाध्य नहीं है, परन्तु राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद् द्वारा भेजी गई सलाह को पुनर्विचार के लिए भेज सकता है, लेकिन यदि मंत्रिपरिषद् पुन: उस सिफ़ारिश को राष्ट्रपति के पास भेजती है तो राष्ट्रपति उससे मानने के लिए बाध्य है।  

    Question 6
    CBSEHHIPOH11021777

    संसदीय व्यवस्था ने कार्यपालिका को नियंत्रण में रखने के लिए विधायिका को बहुत-से अधिकार दिए हैं। कार्यपालिका को नियंत्रित करना इतना जरूरी क्यों है? आप क्या सोचते हैं ?

    Solution

    मंत्रिमंडल अपने सभी कार्यो के लिए व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप से संसद के प्रति दायित्व उत्तरदाई होता है। संसद मंत्रियों से प्रश्न पूछकर, उनकी आलोचना करके तथा अविश्वास के प्रस्ताव द्वारा मंत्रिमंडल पर नियंत्रण रखती है। मंत्रिमंडल संसद में बहुमत रहने तक ही कार्यरत सकता है।
    संविधान के अनुच्छेद 75 (3) के अनुसार मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदाई है। राज्यसभा के सदस्य मंत्रों से प्रश्न पूछ सकते हैं, उनकी आलोचना कर सकते हैं उनसे शासन से संबंधित कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, परंतु राज्यसभा मंत्रिमंडल को अविश्वास प्रस्ताव पास करके अथवा धन- बिल को रद्द करके, नहीं हटा सकती। यह अधिकार केवल लोकसभा के पास है। यदि मंत्रिमंडल को लोकसभा में मंत्रिमंडल का विश्वास प्राप्त नहीं होता तो उसे पद से त्याग-पत्र देना पड़ता है।
    आज कार्यपालिका की शक्तियों में निरंतर वृद्धि होती जा रही हैं। कार्यपालिका अपने उत्तरदायित्व का पालन सुचारु रूप से कर सकें अथवा सार्वजनिक अपेक्षाओं के प्रति संवेदनशील तथा उनकी आकांशाओं पर खरी उतर सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए उस पर नियंत्रण लगाना आवश्यक हो जाता हैं।

    Question 7
    CBSEHHIPOH11021778

    कहा जाता है कि प्रशासनिक-तंत्र के कामकाज में बहुत ज़्यादा राजनीतिक हस्तक्षेप होता है। सुझाव के तौर पर कहा जाता है कि ज़्यादा से ज़्यादा स्वायत्त एजेंसियाँ बननी चाहिए जिन्हें मंत्रियों को जवाब न देना पड़े।

    (क) क्या आप मानते हैं कि इससे प्रशासन ज्यादा जन-हितैषी होगा?
    (ख) क्या इससे प्रशासन की कार्य कुशलता बढ़ेगी?
    (ग) क्या लोकतंत्र का अर्थ यह होता है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों का प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण हो?

    Solution

    (क) प्रशासनिक तंत्र के कामकाज में बहुत अधिक राजनीतिक हस्तक्षेप है। यह सुझाव दिया जाता है कि अधिक से अधिक स्वायत्त एजेंसियां ​​होनी चाहिए जिनके पास मंत्रियों को जवाब देने की कोई ज़िम्मेदारी नहीं है। हमें लगता है कि इससे लोगों के लिए प्रशासन अधिक जन-हितैषी नहीं होगा
    क्योंकि लोकतंत्र में, निर्वाचित प्रतिनिधि और मंत्री सरकार के प्रभारी होते हैं। चूंकि वे लोगों के प्रतिनिधि हैं और प्रशासन उनके नियंत्रण और पर्यवेक्षण में है, इसलिए प्रशासनिक अधिकारी विधायिका द्वारा अपनाई गई नीतियों का उल्लंघन नहीं कर सकते हैं। नीति तैयार करने और उन्हें ईमानदारी से लागू करना प्रशासनिक तंत्र की ज़िम्मेदारी है।
    (ख) स्वायत्त एजेंसियों से प्रशसान की कार्यकुशलता बढ़ सकती हैं। क्योंकि स्वायत्त एजेंसियों के आगमन से अनावश्यक राजीनतिक हस्तक्षेप पर नियंत्रण लगया जा सकता हैं। 
    (ग) निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्य कानून बनाना और प्रशासनिकरण को उत्तरदायी रखना है। प्रशासन एक विशेष कार्य है जिसे प्रशासनिक- तंत्र द्वारा सबसे अच्छा संभाला जाता है। इसलिए, इसे अपने कार्य को पूरा करने के लिए स्वायत्तता की एक निश्चित डिग्री की आवश्यकता होती है। अत: हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र का मतलब प्रशासन पर निर्वाचित प्रतिनिधियों का पूरा नियंत्रण नहीं है।  

    Question 8
    CBSEHHIPOH11021779

    नियुक्ति आधारित प्रशासन की जगह निर्वाचन आधारित प्रशासन होना चाहिए इस विषय पर 200 शब्दों में एक लेख लिखो।

    Solution

    नियुक्ति आधारित प्रशासन: जो प्रशासन नियुक्त किए गए अधिकारियों द्वारा चलाया जाता है उसे नियुक्ति आधारित प्रशासन कहा जाता है।
    निर्वाचन आधारित प्रशासन: जो प्रशासन लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि द्वारा चलाया जाता है उसे निर्वाचन आधारित प्रशासन कहा जाता है।
    प्रशासन नियुक्ति आधारित होना चाहिए या निर्वाचन आधारित इस पर विद्वानों की अलग-अलग राय हैं। अधिकतर विद्वान निर्वाचन आधारित प्रशासन के पक्ष में दिखाई देते हैं:

    1. अधिकतर लोग दोनों प्रशासन में निर्वाचन आधारित प्रशासन को अधिक व्यवहारिक एवं उचित मानते हैं। निर्वाचित आधारित प्रशासन, नियुक्ति आधारित प्रशासन की अपेक्षा अधिक लोकतांत्रिक होता है।
    2. इसके अतिरिक्त नियुक्ति आधारित प्रशासन किसी के लिए भी उत्तरदाई नहीं है, जबकि निर्वाचित प्रशासन अपने समस्त कार्यों के लिए विधानपालिका (संसद) के प्रति उत्तरदाई होता है।
    3. विधानपालिका के सदस्यों को निर्वाचित कार्यपालिका की आलोचना करने तथा उनसे प्रश्न पूछने का अधिकार प्राप्त होता है। निर्वाचित आधारित प्रशासन में अधिकारी तब तक अपने पद पर रहते हैं जब तक इनको संसद का विश्वास प्राप्त रहता है। संसद अविश्वास प्रस्ताव पास करके इनको हटा सकती है।
    4. इसके अतिरिक्त नियुक्ति आधारित प्रशासन को लोगों की समस्याओं की जानकारी नहीं होती, क्योंकि उनका लोगों से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता, जबकि निर्वाचित आधारित प्रशासन का लोगों से प्रत्यक्ष संबंध होता है इसलिए इन्हें लोगों की समस्याओं की अच्छी जानकारी होती है, जिसे व हल करने का प्रयास करते हैं।

    Question 12
    CBSEHHIPOH11021783

    निम्नलिखित संवाद पढ़ें। आप किस तर्क सेसहमत हैं और क्यों ?

    अमित - संविधान के प्रावधानों को देखने से लगता है कि राष्ट्रपति का काम सिर्फ ठप्पा मारना है।
    शमा   - राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है। इस कारण उसे प्रधानमंत्री को हटाने का भी अधिकार होना चाहिए।
    राजेश  - हमें राष्ट्रपति की जरूरत नहीं। चुनाव के बाद, संसद बैठक बुलाकर एक नेता चुन सकती है जो प्रधानमंत्री बने।

    Solution

    हम अमित के कथन से कुछ हद तक सहमत हो सकते है, भारत में संसदीय शासन-प्रणाली को अपनाया गया है। भारत का राष्ट्रपति संवैधानिक मुखिया है जबकि प्रधान-मंत्री एवं मंत्री-मंडल वास्तविक कार्यपालिका है। अपने सव-विवेकी अधिकार (Discreationary Powers of the President) के बाव-जूद राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का प्रयोग मंत्रिमंडल की सलाह के अनुसार करता है। इतना ही नहीं उसकी वीटो शक्ति (veto power) भी सीमित है। उदाहरण स्वरूप: संविधान संसोधन 44 के अनुरूप राष्ट्रपति मंत्रिमंडल की विधयेक पर हस्ताक्षर की सलाह को मानने के लिए बाध्य हो जाता है अगर वह विधेयक (Bill) पुनःर्विचार के पश्चात राष्ट्रपति को वापस भेजा गया है।

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