निम्नलिखित संवाद पढ़ें। आप किस तर्क सेसहमत हैं और क्यों ?
अमित - संविधान के प्रावधानों को देखने से लगता है कि राष्ट्रपति का काम सिर्फ ठप्पा मारना है।
शमा - राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है। इस कारण उसे प्रधानमंत्री को हटाने का भी अधिकार होना चाहिए।
राजेश - हमें राष्ट्रपति की जरूरत नहीं। चुनाव के बाद, संसद बैठक बुलाकर एक नेता चुन सकती है जो प्रधानमंत्री बने।
हम अमित के कथन से कुछ हद तक सहमत हो सकते है, भारत में संसदीय शासन-प्रणाली को अपनाया गया है। भारत का राष्ट्रपति संवैधानिक मुखिया है जबकि प्रधान-मंत्री एवं मंत्री-मंडल वास्तविक कार्यपालिका है। अपने सव-विवेकी अधिकार (Discreationary Powers of the President) के बाव-जूद राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का प्रयोग मंत्रिमंडल की सलाह के अनुसार करता है। इतना ही नहीं उसकी वीटो शक्ति (veto power) भी सीमित है। उदाहरण स्वरूप: संविधान संसोधन 44 के अनुरूप राष्ट्रपति मंत्रिमंडल की विधयेक पर हस्ताक्षर की सलाह को मानने के लिए बाध्य हो जाता है अगर वह विधेयक (Bill) पुनःर्विचार के पश्चात राष्ट्रपति को वापस भेजा गया है।



